Friday, December 26, 2025
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APEC में चीन की धमक: अमेरिका की गैरमौजूदगी, शी जिनपिंग के इर्द-गिर्द घूम रही विश्व राजनीति।

दक्षिण कोरिया के ऐतिहासिक शहर ग्योंगजू में आयोजित हो रहे एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) शिखर सम्मेलन में इस बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग केंद्र में नज़र आने वाले हैं। मौजूद जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को वे कनाडा और जापान के नेताओं के साथ महत्वपूर्ण बैठकें करेंगे। यह मुलाकात ऐसे समय में हो रही है जब हाल ही में चीन और अमेरिका के बीच एक अस्थायी व्यापार समझौता हुआ है, जिसने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करने वाले दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर प्रतिबंधों को रोक दिया है।
गौरतलब है कि यह समझौता अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दक्षिण कोरिया से रवाना होने से ठीक पहले हुआ था। बता दें कि ट्रंप इस बार एपीईसी के दो दिवसीय मुख्य सत्र में शामिल नहीं होंगे, और उनकी जगह अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। सम्मेलन का मुख्य विषय इस बार वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने और व्यापार में सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित है, हालांकि इस संगठन में लिए गए निर्णय बाध्यकारी नहीं होते हैं।
मौजूदा स्थिति में सभी की नज़रें शी जिनपिंग और जापान की नई प्रधानमंत्री साने ताकाइची की मुलाकात पर टिकी हैं। ताकाइची हाल ही में जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी हैं और उनके राष्ट्रवादी विचारों और सुरक्षा नीतियों को लेकर चीन में चिंता जताई जा रही है। रिपोर्टों के मुताबिक, उन्होंने अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही जापान के द्वीपों की रक्षा के लिए सैन्य तैयारी को तेज़ करने के निर्देश दिए हैं। दोनों देशों के बीच जापानी नागरिकों की चीन में हिरासत और जापानी कृषि उत्पादों पर बीजिंग के आयात प्रतिबंध जैसे संवेदनशील मुद्दे भी चर्चा में शामिल हो सकते हैं।
वहीं कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी भी शुक्रवार शाम 4 बजे शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। उनका उद्देश्य चीन के साथ फिर से संवाद की शुरुआत करना है। बता दें कि कनाडा और चीन के रिश्ते पिछले कुछ वर्षों में तनावपूर्ण रहे हैं। कार्नी से पहले प्रधानमंत्री रहे जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में कनाडाई नागरिकों की चीन में गिरफ्तारी और फांसी की घटनाओं के बाद दोनों देशों के बीच मतभेद गहरे हो गए थे। हाल ही में चीन ने कनाडा से आयातित कैनोला तेल पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जबकि कनाडा ने पहले चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 100 % टैरिफ लगाया था।
दूसरी ओर, सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में दक्षिण कोरिया के प्रधानमंत्री ली जे म्युंग ने “एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग की भावना को पुनर्जीवित करने” पर चर्चा की अध्यक्षता की है। दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चो ह्युन के अनुसार, इस बार भी एक संयुक्त बयान को लेकर बातचीत जारी है, लेकिन यह तय नहीं है कि कोई ठोस समझौता हो पाएगा या नहीं। याद दिला दें कि 2018 और 2019 में भी एपीईसी किसी संयुक्त घोषणा पर सहमति नहीं बना पाया था।
इसी बीच, एनवीडिया के सीईओ जेनसन हुआंग भी सम्मेलन के समानांतर चल रही व्यापारिक बैठक में संबोधन देंगे। एनवीडिया हाल ही में 5 ट्रिलियन डॉलर के मूल्यांकन तक पहुंचने वाली दुनिया की पहली टेक कंपनी बनी है। हालांकि, अमेरिका द्वारा चीन को एडवांस्ड एआई चिप्स की बिक्री का मुद्दा इस बार शी-जिनपिंग और ट्रंप की बैठक में चर्चा से बाहर रहा है।
 
कुल मिलाकर, एपीईसी सम्मेलन इस बार कई भू-राजनीतिक तनावों के बीच एक अहम मंच बन गया है, जहां चीन के बढ़ते प्रभाव, व्यापारिक प्रतिस्पर्धा और वैश्विक सहयोग की दिशा तय होती दिखाई दे रही हैं।
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