Sunday, October 19, 2025
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BARC विकसित कर रहा अगली पीढ़ी का Nuclear Reactor, China के मुकाबले Indian Navy की बढ़ेगी शक्ति

भारतीय परमाणु अनुसंधान संस्थान, भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) एक ऐसे उन्नत रिएक्टर का विकास कर रहा है जो भारतीय नौसेना की अगली पीढ़ी की परमाणु पनडुब्बियों की सहनशीलता और संचालन क्षमता को दोगुना करने में सहायक होगा। अंग्रेजी समाचारपत्र द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, BARC के एक वैज्ञानिक ने नाम गोपनीय रखने की शर्त पर बताया है कि यह रिएक्टर S-5 वर्ग की परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों और परमाणु-संचालित हमलावर पनडुब्बियों के लिए विकसित किया जा रहा है। यह कदम उस समय आया है जब चीन अपने समुद्री परमाणु निरोधक तंत्र को मजबूत कर रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस नए रिएक्टर की क्षमता लगभग 200 मेगावाट इलेक्ट्रिक (MWe) होगी, जबकि वर्तमान दो परमाणु पनडुब्बियों, INS अरिहंत और INS अरिग़हात में रिएक्टर की क्षमता केवल 83 MWe है। हम आपको बता दें कि इसी वर्ग की तीसरी पनडुब्बी, INS अरिधमन वर्तमान में परीक्षणों के दौर से गुजर रही है। बताया जा रहा है कि इस उन्नत रिएक्टर के आने से नई पनडुब्बियों को दीर्घकालिक संचालन और अधिक समय तक जलमग्न रहने की क्षमता प्राप्त होगी। देखा जाये तो यह रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि परमाणु पनडुब्बियाँ भारत के परमाणु त्रिपुटी का एक स्थायी और मोबाइल आधार प्रदान करती हैं, जो दूसरे हमले की क्षमता सुनिश्चित करती हैं। हम आपको बता दें कि परमाणु त्रिपुटी की अन्य दो शाखाएँ सेना और वायु सेना हैं।

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इसके अतिरिक्त, BARC हल्के पानी आधारित 200 MWe भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR), 555 MWe SMR और हाई टेम्परेचर गैस कूल्ड रिएक्टर का भी विकास कर रहा है, जिसका उद्देश्य थर्मोकेमिकल संयंत्र के माध्यम से स्वच्छ हाइड्रोजन उत्पादन है। यह जानकारी परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष एके मोहंती ने वियना में आयोजित IAEA के 69वें सम्मेलन में साझा की थी।
देखा जाये तो यह नया रिएक्टर भारतीय पनडुब्बियों को समुद्र में अधिक समय तक छिपकर रहने और विरोधी तटों पर सतर्कता से कार्य करने की क्षमता देगा। यह चीन और अन्य संभावित प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ रणनीतिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होगा। इसके साथ ही परमाणु त्रिपुटी का महत्वपूर्ण हिस्सा होने के कारण, ये पनडुब्बियाँ भारत की न्यूक्लियर डिटरेंस (परमाणु निरोधक) शक्ति को और विश्वसनीय बनाएंगी। किसी भी अप्रत्याशित हमले के बाद भारत एक विश्वसनीय जवाब दे सकता है। भारत का यह कदम स्वदेशी तकनीक और ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि का संकेत है। यह न केवल नौसैनिक शक्ति बढ़ाता है बल्कि परमाणु ऊर्जा और SMR तकनीकों में भारत की विशेषज्ञता को भी प्रदर्शित करता है। इसके अलावा, उच्च तापमान गैस कूल्ड रिएक्टर द्वारा हाइड्रोजन उत्पादन भारत के ऊर्जा विविधीकरण और पर्यावरणीय लक्ष्यों में सहायक होगा।
बहरहाल, यह परियोजना भारत की समुद्री शक्ति को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के साथ-साथ क्षेत्रीय सामरिक संतुलन बनाए रखने और स्वदेशी परमाणु तकनीक में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने का महत्वपूर्ण कदम है। भारतीय नौसेना के लिए यह आने वाले वर्षों में सुरक्षा, निरोधक शक्ति और तकनीकी श्रेष्ठता का प्रतीक बनेगी।
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