भारत और भूटान के रिश्ते हमेशा से ही खास रहे हैं। दोनों देशों ने आपसी तालमेल को हमेशा ही बनाए रखा है और इस कड़ी में एक नया अध्याय जोड़ने के लिए पीएम मोदी फिर से भूटान पहुंचे। पीएम मोदी का यह दौरा बेहद ही खास है। जहां दोनों देशों ने सामरिक रिश्तों को और भी मजबूत बनाने की दिशा में कार्य किया। इस दौरे की सबसे खास बात कुछ है तो वह है भारत की ओर से भूटान के लिए किया गया बड़ा ऐलान और यह बड़ा ऐलान है ₹4000 करोड़ की लाइन ऑफ क्रेडिट यानी कर्ज देने की सीमा की घोषणा जिससे भूटान को अपने विकास प्रोजेक्ट्स के लिए इसके तहत धन प्राप्ति हो पाई।
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प्रधानमंत्री मोदी ने भूटान के पूर्व नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक की 70वीं जयंती के मौके पर चांगलीमेथांग स्टेडियम में आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की। उन्होंने कहा कनेक्टिविटी अवसर पैदा करती है और अवसर समृद्धि पैदा करते हैं। इसी दृष्टिकोण के अंतर्गत गेलेफु और समत्से शहरों को भारत के विशाल रेल नेटवर्क से जोड़ने का निर्णय लिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह परियोजना पूरी होने पर भूटान के उद्योगों और किसानों की भारत के विशाल बाज़ार तक पहुंच और आसान हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि रेल और सड़क संपर्क के अतिरिक्त दोनों देश सीमा पर बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री ने गेलेफु माइंडफुलनेस सिटी पहल का उल्लेख करते हुए इसके विकास के लिए भारत के पूर्ण समर्थन की पुष्टि की। उन्होंने यह भी घोषणा की है कि भारत जल्द ही आगंतुकों और निवेशकों की सुविधा के लिए गेलेफु के पास आव्रजन चौकी स्थापित करेगा।
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दोनों देशों के बीच तीन एमओयूस पर भी करार हुआ जो कि तीन अलग-अलग क्षेत्रों में शामिल है। जिसमें पहला क्षेत्र है नवीनीकरण ऊर्जा। इस क्षेत्र में दोनों देशों के सहयोग के लिए इसे किया गया है। इसका उद्देश्य सौर, पवन, बायोमास, ऊर्जा भंडारण, ग्रीन हाइड्रोजन और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में मिलकर एक साथ काम करना होगा। इसके साथ ही दूसरा एमओयू स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में किया गया। इस एमयू का उद्देश्य दवाओं, डायग्नोस्टिक उपकरणों, मातृ स्वास्थ्य, पारंपरिक चिकित्सा, डिजिटल हेल्थ और स्वास्थ्य पेशरों के प्रशिक्षण और अनुसंधान में सहयोग को बढ़ाना है। इसके साथ ही जो तीसरा एमयू दोनों देशों के बीच साइन किया गया है वो है पेमा सेक्रेटेरिएट और निभांस के बीच जो कि मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में दोनों देशों के बीच किया गया एमयू है।
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प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि भारत और भूटान का तेज़ी से विकास हो रहा है और उनकी ऊर्जा साझेदारी इस विकास को गति दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत-भूटान जलविद्युत सहयोग की नींव पूर्व नरेश के नेतृत्व में रखी गई थी। मोदी ने सतत विकास और पर्यावरण-प्रथम दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए भूटान के नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनकी इसी दूरदर्शी नींव ने भूटान को दुनिया का पहला कार्बन-निगेटिव देश बनने में सक्षम बनाया है जो असाधारण उपलब्धि है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रति व्यक्ति नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में भूटान विश्व के शीर्ष देशों में से एक है और वर्तमान में अपनी 100 प्रतिशत बिजली का उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से करता है।

