बिहार के महागठबंधन में बढ़ते सीट बंटवारे के संकट पर केंद्रित है, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) शामिल हैं, और इस विवाद के केंद्र में प्रमुख नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव हैं। सूत्रों के अनुसार, ‘राहुल गांधी ने यह बहुत स्पष्ट कर दिया है कि कांग्रेस पार्टी इस बार आगामी बिहार चुनावों में 60 से अधिक सीटें चाहती है।’ इस असहमति ने गठबंधन को टूटने के बिंदु पर ला खड़ा किया है, क्योंकि राजद 58 सीटों के अपने प्रस्ताव पर अड़ा हुआ है, जबकि कांग्रेस 65 निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है। वाम दलों और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) से जुड़े एक प्रस्तावित फॉर्मूले ने संघर्ष को और जटिल बना दिया है, जिसमें पार्टियां पहले से ही अनसुलझे गतिरोध के बावजूद उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह जारी कर रही हैं।
इसे भी पढ़ें: सपा ने दंगाइयों को सिर पर बैठाया, अब त्योहारों में शांति भंग करने वालों का ठिकाना जेल: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दावा
अब बिहार विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने बुधवार को अपने कई नेताओं, जिनमें प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल हैं, को पार्टी टिकट दे दिए। इस दौरान पार्टी को नाराज नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ा।
वहीं उसने सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ मतभेदों को भी सुलझाने की कोशिश तेज कर दी।
कांग्रेस ने हालांकि अब तक उम्मीदवारों की आधिकारिक सूची जारी नहीं की है, लेकिन बुधवार देर शाम पटना हवाई अड्डे पर टिकट के कई दावेदारों ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार और विधानमंडल दल के नेता शकील अहमद खान को घेर लिया।
इसे भी पढ़ें: कुशीनगर में दो मोटरसाइकिल की आमने-सामने की टक्कर में एक व्यक्ति की मौत, तीन घायल
इन कार्यकर्ताओं ने दोनों नेताओं पर ‘‘टिकट बेचने’’ का आरोप लगाते हुए नारेबाजी की।
दिल्ली से लौटे कुमार और खान पहले सादाकत आश्रम, जो बिहार प्रदेश कांग्रेस समिति (बीपीसीसी) का मुख्यालय है, में टिकट वितरण करने वाले थे। लेकिन विरोध की आशंका को देखते हुए उन्होंने योजना बदल दी और एक वरिष्ठ नेता के आवास पर जाकर उम्मीदवारों को बुलाया और पार्टी का चुनाव चिह्न सौंपा।
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर बिहार प्रदेश कांग्रेस के आधिकारिक हैंडल से कई उम्मीदवारों की तस्वीरें साझा की गईं। इनमें खुद प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार भी शामिल थे, जो सुरक्षित सीट कुटुंबा से दोबारा किस्मत आजमा रहे हैं। अन्य प्रमुख उम्मीदवारों में मौजूदा विधायक आनंद शंकर सिंह (औरंगाबाद), विजेंद्र चौधरी (मुजफ्फरपुर) और प्रतिमा दास (राजा पाकर) के शामिल हैं।
पहले चरण के लिए नामांकन प्रक्रिया शुक्रवार को समाप्त होगी, जबकि दूसरे और अंतिम चरण के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर है।
बुधवार देर रात प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार और शकील अहमद खान, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी)में बिहार के प्रभारी कृष्णा अल्लावरू के साथ राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के आवास पहुंचे। सूत्रों के अनुसार, वहां दोनों दलों के बीच सीट बंटवारे पर ‘‘सौहार्दपूर्ण समझौता’’ हो गया।
कांग्रेस ने इससे पहले आक्रामक रुख अपनाया था। पार्टी का मानना था कि राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से राज्य में उसकी स्थिति मज़बूत हुई है, जहां लंबे समय से उसे कमजोर माना जाता रहा है।
अपुष्ट खबरों के मुताबिक, कांग्रेस अब 61 सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हो गई है, जो 2020 में लड़ी गई 70 सीटों से नौ कम हैं। उस चुनाव में पार्टी ने 19 सीटें जीती थीं। राजद को इस बार भी सीट बंटवारे में सबसे बड़ा हिस्सा मिलने की उम्मीद है।
हालांकि वह भी पिछली बार से कम सीटों पर मैदान में उतरेगी। पिछले चुनाव में राजद ने 144 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था जिनमें से 75 विजयी हुए थे।
विपक्षी ‘महागठबंधन’ के वाम सहयोगी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी)लिबरेशन, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी को शेष सीटों में समायोजित किए जाने की संभावना है।
News Source – Press Trust of India Information