लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने बुधवार को कहा कि वह बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर द्वारा निभाई जा रही ‘‘ईमानदार भूमिका’’ की सराहना करते हैं, क्योंकि जो भी जाति, पंथ या धर्म के बारे में नहीं, बल्कि राज्य के बारे में सोचता है, उसका वहां स्वागत है।
प्रशांत किशोर जन सुराज पार्टी के संस्थापक हैं।
जब पासवान से किशोर द्वारा उनके बिहार पहले, बिहारी पहले के नारे को ‘हाईजैक’ करने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि कोई भी दूसरे के एजेंडे को ‘हाईजैक’ नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, प्रशांत जी बिहार की राजनीति में एक ईमानदार भूमिका निभा रहे हैं, जिसकी मैं सराहना करता हूं।
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पासवान ने कहा कि वह उन सभी का स्वागत करते हैं जो धर्म, जाति और पंथ के मुद्दों से ऊपर उठकर बिहार और राज्य के लोगों की प्रगति के लिए काम करना चाहते हैं। लोजपा (आर) अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र की खूबसूरती यही है कि लोगों के पास चुनने के लिए इतने सारे विकल्प होते हैं। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, “लोकतंत्र में, कई विकल्प होना बेहतर है।”
प्रशांत किशोर ने जन सुराज पार्टी की स्थापना की है, जबकि चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का एक घटक दल है।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक पारा चढ़ गया है और यह सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष के बीच एक बड़ा विवाद का विषय बन गया है। भाजपा की सहयोगी जदयू ने चल रहे एसआईआर का बचाव करते हुए कहा है कि इसका उद्देश्य योग्य मतदाताओं की पहचान करना है ताकि संदिग्ध घुसपैठियों सहित अपात्र मतदाता मतदान न कर सकें।
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चुनाव आयोग ने बुधवार को कहा कि बिहार में मतदाता सूची के चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) में एक लाख मतदाता “अज्ञात” हैं, जबकि 7.17 करोड़ मतदाता गणना प्रपत्र प्राप्त और डिजिटल किए जा चुके हैं। आयोग ने बताया कि अब तक 20 लाख मतदाता “मृत” बताए गए हैं और 28 लाख मतदाता अपने वर्तमान पते से स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं।
चुनाव आयोग ने बताया कि 15 लाख मतदाताओं के गणना प्रपत्र स्थानीय चुनाव अधिकारियों को वापस नहीं किए गए हैं। 1 अगस्त को, एसआईआर के पहले चरण के पूरा होने पर, मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशित किया जाएगा।
आपको बता दे कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनावों से पहले अब तक एक काम करने में कामयाब रहे हैं—जिससे अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। उनकी इस घोषणा ने कि उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी, सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को उनके इस बयान पर अपनी राय रखने के लिए प्रेरित किया है—कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के तहत चुनाव लड़ेंगे—जबकि कांग्रेस ने भविष्यवाणी की है कि चुनाव के बाद वह सत्तारूढ़ राजग छोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं, क्योंकि उन्हें नीतीश कुमार के नेतृत्व में भाजपा की हार का अंदेशा है।