दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी ने आखिर वह करिश्मा कर दिखाया, जिसकी कोशिश में वह पिछले 27 सालों से लगी थी। दो दशक से भगवा रथ आकर दिल्ली में थम जाता था। 27 साल से दिल्ली में वनवास पर थी। दिल्ली चुनाव में भाजपा ने बंपर जीत हासिल की है। पार्टी ने 48 सीट जीतकर आम आदमी पार्टी के लगातार चौथी बार सरकार बनाने के सपनों पर भी पानी फेर दिया। भाजपा की जीत में जहां एक ओर पीएम मोदी को श्रेय दिया जाता है, वहीं पार्टी की चुनावी रणनीति भी इसमें कारगर रही। आदमी पार्टी के किले में सेंध लगाने के लिए बीजेपी ने इस बार चुनाव का इंतजार नहीं किया बल्कि उसने लगभग 2 साल पहले ही चुनाव के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी थी पार्टी ने अलग-अलग स्तरों पर कई टीम में भी बने जिन्होंने पार्टी के रणनीति पर अमल शुरू किया।
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उम्मीदवारों की पहचान से लेकर मुद्दों को शॉर्टलिस्ट करने तक
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और केंद्रपाड़ा से सांसद बैजयंत, जिन्हें जय पांडा के नाम से भी जाना जाता है। उनके लंबे राजनीतिक अनुभव का पार्टी को फायदा मिला। बीजद प्रमुख नवीन पटनायक के साथ मतभेदों के बाद 2019 में बीजू जनता दल (बीजेडी) से भाजपा में शामिल हुए पांडा ने दिल्ली चुनाव के लिए भाजपा के प्रभारी के रूप में कार्य किया। पार्टी की जीत का श्रेय आंशिक रूप से उनकी कड़ी मेहनत और संगठनात्मक कौशल को दिया जा रहा है। पार्टी में उम्मीदवारों की पहचान करने से लेकर मुद्दों को शॉर्टलिस्ट करने की जिम्मेदारी निभाई। पटियाला कमान और प्रदेश इकाई के बीच ताजमहल बनाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। उन्होंने ही प्रदेश के अलग-अलग यूनिटों के कामकाज की निगरानी भी की। पांडा 2022 में भाजपा के दिल्ली नगर निगम चुनाव अभियान के दौरान भी प्रभारी थे।
सचदेवा ने पार्टी को रखा एकजुट
संघ परिवार के वफादार वीरेंद्र सचदेवा को दिल्ली नगर निगम में पार्टी की करारी हार के बाद पहले कार्यकारी और फिर पूरी तरह से प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप गई थी। सचदेवा ने आप सरकार को खेलने की तैयारी तो की साथी पार्टी में चल रही गुटबाजी को कंट्रोल करने में भी अहम भूमिका निभाई जिसका नतीजा यह रहा की एकजुट होकर चुनावी मैदान में बीजेपी उतरी। इससे पहले उनकी अगवाई में ही झुकी झोपड़िया में अपना जन आधार बढ़ाने के लिए अभियान शुरू किया गया।
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सर्विलांस टीम को किया दुरुस्त
बीएल संतोष पार्टी कैसे नेतृत्व के निर्देश पर दिल्ली में बाकायदा निगरानी सिस्टम को दुरुस्त किया। साथी यह भी सुनिश्चित किया कि दिल्ली में आरएसएस की टीमों पूरी ताकत से काम करें। इसके साथ दिल्ली में छिटक गए बीजेपी के पुराने वोटर को भी साथ लाया जाए।
मैनिफेस्टो को दिया आकार
दिल्ली में मेनिफेस्टो तैयार करने में रामवीर सिंह बिधूड़ी ने मुख्य भूमिका निभाई। इससे पहले बीजेपी ने मुक्ति योजनाओं पर उसे तरह से आक्रामक प्रचार नहीं किया जैसा इस बार किया गया। उन्होंने मेनिफेस्टो बनाने के लिए कमेटी के अन्य सदस्यों के साथ ऐसी योजनाओं को शामिल किया जिसकी वजह से आपको टक्कर दी जा सके। इनमें महिला सम्मान योजना के तहत ढाई हजार रुपए देना भी शामिल है।
क्लस्टर्स में बांट नेताओं को सौंपी जिम्मेदारी
संगठन मंत्री पवन राणा को लगभग 2 साल पहले ही दिल्ली संगठन की जिम्मेदारी मिली थी। राणा ने दिल्ली को छोटे-छोटे हिस्सों में बताकर नेताओं को जिम्मेदारी दी और यह सुनिश्चित किया कि अगर कहीं कार्यकर्ता की नाराजगी है तो उसे दूर किया जाए। एकजुट किया जाए ताकि उनके अंदर उत्साह की कमी ना हो और पार्टी को बूथ लेवल पर किसी तरह का नुकसान न पहुंचे।