5 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर दबाव बढ़ाते हुए अगले 24 घंटों के भीतर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की चेतावनी दी थी। उस डेडलाइन के समाप्त होते ही ट्रंप की तरफ से नया ऐलान कर दिया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार को भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त व्यापार शुल्क लगाने की घोषणा कर दी है। उन्होंने रूस से तेल खरीद पर कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इसके साथ ही कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है।
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4 अगस्त को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट शेयर किया। फिर से एक धमकी देते हुए रूस से तेल खरीद को लेकर भारत पर हमला बोला। कहा भारत मोटा मुनाफा कमा रहा है। इसलिए हम उस पर लगे टैरिफ को बढ़ाएंगे। फिर 5 अगस्त को खबर आई कि 24 घंटे बाद वो भारत पर टैरिफ बढ़ाने वाले हैं। लेकिन चर्चा तो भारत के जवाब की सबसे ज्यादा है। 4 अगस्त को भारत के विदेश मंत्रालय ने लिखा कि हम रूस से तेल राष्ट्रीय हित में खरीद रहे हैं। हम जनता को सस्ता ईंधन देना चाहते हैं। रूस यूक्रेन युद्ध के समय अमेरिका ने खुद भारत को ऐसा करने के लिए प्रत्योसाहित किया था ताकी अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार स्थिर रहे। भारत ने याद दिलाया कि अमेरिका और यूरोपियन यूनियन अब भी रूस से व्यापार जारी रखे हुए है। यूरोप ने रूस से 2024 में 16.5 मिनियन टन एलएनजी लिया। कुल 67.5 बिलियन यूरो का सामान खरीदा। अमेरिका भी पीछे नहीं है वो भी रूस से यूरोनियम, पैलेडियम, खाद आज भी खरीद रहा है। भारत पर लग रहे आरोप नायाजय और बेमतलब हैं। अपने हितों की रक्षा के लिए जो जरूरी होगा वो किया जाएगा।
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सारे प्लान फेल होते देख ट्रंप ने फिर अपनी स्ट्रैटर्जी बदली। मानवता का ढोंग रचते हुए यूक्रेन में हो रही मौतों के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराने लगे। ट्रंप ने कहा कि रूस से तेल खरीदने के कारण वह अगले 24 घंटों में भारत पर अमेरिकी शुल्क में भारी वृद्धि करेंगे। भारत एक अच्छा व्यापारिक साझेदार नहीं रहा है। वे हमारे साथ बहुत व्यापार करते हैं, लेकिन हम उनके साथ व्यापार नहीं करते। सीएनबीसी को दिए एक साक्षात्कार में ट्रंप ने कहा कि भारत एक अच्छा व्यापारिक साझेदार नहीं रहा है, क्योंकि वे हमारे साथ बहुत व्यापार करते हैं, लेकिन हम उनके साथ व्यापार नहीं करते। इसलिए हमने 25 प्रतिशत पर समझौता किया, लेकिन मुझे लगता है कि मैं अगले 24 घंटों में इसे काफी बढ़ा दूंगा, क्योंकि वे रूसी तेल खरीद रहे हैं। वे युद्ध मशीन को ईंधन दे रहे हैं।