“जीवन के बस तीन निशान, रोटी, कपड़ा और मकान…”
मनोज कुमार की फिल्म का यह डायलॉग भले ही पुराना हो, लेकिन आज भी आम आदमी के लिए यही तीन चीजें सबसे जरूरी हैं। बजट 2025 से पहले मिडिल क्लास की सबसे बड़ी चिंता महंगाई है। रोटी, कपड़ा और मकान—तीनों बुनियादी जरूरतें लगातार महंगी होती जा रही हैं, और हर साल की तरह इस बार भी मिडिल क्लास को सरकार से कुछ राहत की उम्मीद है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आम बजट पेश करेंगी, और उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी कि आम आदमी के खर्चों को कम करने के लिए क्या कदम उठाए जाएं।
Budget 2025: मिडिल क्लास की उम्मीदें—महंगाई कम हो, टैक्स घटे और घर का सपना हो पूरा!
महंगाई की मार से कब मिलेगी राहत?
“बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई…”
महंगाई से परेशान मिडिल क्लास की हालत इस गाने की तरह हो गई है। खाने-पीने की चीजों के दाम, पेट्रोल-डीजल, गैस और दूसरी जरूरतें आम आदमी की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं।
तेल और गैस के दाम लगातार बढ़ रहे हैं।
दाल, अनाज, सब्जियां और दूध जैसी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हैं।
बजट में सरकार को सप्लाई चेन मजबूत करनी होगी, ताकि कीमतें नियंत्रित रहें।
मिडिल क्लास को उम्मीद है कि इस बार सरकार रोजमर्रा के सामानों पर टैक्स घटाकर उन्हें सस्ता करेगी।
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इनकम टैक्स में मिले राहत, तभी बचेगी कमाई!
मिडिल क्लास की दूसरी सबसे बड़ी चिंता इनकम टैक्स है। कमाई कम हो और टैक्स ज्यादा हो, तो बचत कैसे होगी? हर साल नौकरीपेशा लोग उम्मीद करते हैं कि सरकार टैक्स स्लैब में बदलाव करेगी और टैक्स छूट की सीमा बढ़ाएगी।
संभावित बदलाव:
इनकम टैक्स छूट की सीमा ₹2.5 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख की जा सकती है।
80C के तहत छूट की सीमा ₹1.5 लाख से बढ़ाकर ₹2.5 लाख करने की मांग है।
स्टैंडर्ड डिडक्शन ₹50,000 से बढ़ाया जा सकता है।
अगर सरकार इनकम टैक्स का बोझ कम करती है, तो मिडिल क्लास को बड़ी राहत मिलेगी।
हेल्थ और एजुकेशन पर भारी खर्च, सरकार क्या करेगी?
आज स्वास्थ्य और शिक्षा सबसे महंगे सेक्टर बन चुके हैं।
हेल्थ सेक्टर में दिक्कतें:
- प्राइवेट अस्पताल मनमानी फीस वसूल रहे हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों की हालत खराब है।
- मेडिकल खर्च बढ़ता जा रहा है, जो मिडिल क्लास की जेब पर भारी पड़ता है।
एजुकेशन सेक्टर में समस्याएं:
- प्राइवेट स्कूल और कॉलेज मनमाने तरीके से फीस बढ़ा रहे हैं।
- सरकारी स्कूलों की हालत खराब होने से मजबूरी में प्राइवेट एजुकेशन पर खर्च करना पड़ता है।
- एजुकेशन लोन मिलना मुश्किल हो गया है और ब्याज दरें भी ज्यादा हैं।
बजट 2025 में उम्मीदें:
मेडिकल खर्चों पर टैक्स छूट बढ़ाई जाए।
प्राइवेट अस्पतालों पर सख्ती हो, ताकि इलाज सस्ता हो।
एजुकेशन लोन पर ब्याज दरें घटाई जाएं।
सरकारी स्कूलों और कॉलेजों को मजबूत किया जाए।
कम ब्याज दर पर होम लोन मिले, ताकि घर का सपना हो पूरा!
घर खरीदना हर मिडिल क्लास का सपना होता है, लेकिन होम लोन की ऊंची ब्याज दरें इस सपने को तोड़ देती हैं।
होम लोन पर मौजूदा स्थिति:
- ब्याज दर 8-9% के बीच है, जो काफी ज्यादा है।
- होम लोन पर मिलने वाली टैक्स छूट ₹2 लाख है, जिसे ₹5 लाख तक बढ़ाने की जरूरत है।
बजट 2025 में मांग:
होम लोन पर ब्याज दरों को कम किया जाए।
इंटरेस्ट डिडक्शन की लिमिट बढ़ाई जाए।
मिडिल क्लास के लिए सस्ते मकानों की स्कीम लाई जाए।
रोजगार के नए अवसर कब मिलेंगे?
“जब नौकरी मिलेगी तो क्या होगा…?”
यह सवाल हर युवा के दिमाग में घूम रहा है। कोविड-19 के बाद से रोजगार के हालात नहीं सुधरे हैं।
बेरोजगारी के आंकड़े:
- UPA सरकार में बेरोजगारी दर 5.6% थी, जो NDA में बढ़कर 6.6% हो गई है।
- छोटे और मझोले उद्योगों (MSME) को बढ़ावा देने से ही रोजगार बढ़ सकता है।
बजट 2025 में संभावित उपाय:
MSME सेक्टर के लिए राहत पैकेज लाया जाए।
नए स्टार्टअप्स को टैक्स छूट मिले।
रोजगार बढ़ाने वाली योजनाओं को अधिक फंड दिया जाए।
बजट 2025 से मिडिल क्लास की उम्मीदें क्या हैं?
रोजमर्रा की चीजें सस्ती हों।
इनकम टैक्स में राहत मिले।
हेल्थ और एजुकेशन का खर्च कम हो।
होम लोन पर ब्याज दरें घटें।
रोजगार के अवसर बढ़ें।
अब सवाल यह है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बजट में मिडिल क्लास के लिए क्या खास लेकर आएंगी? 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट पर पूरे देश की नजरें टिकी हुई हैं!