Tuesday, December 30, 2025
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Changing Face of Terror | लोन वुल्फ से हाइब्रिड वार तक: आतंक की नई शक्ल | Teh Tak Chapter 1

दहशत केवल वही नहीं होती कि कोई आए, अंधाधुंध गोलियां चलाए और अगले पल आदमी ढेर हो जाए। दहशत केवल वह भी नहीं होती कि खचाखच भरी भीड़, बसों, दुकानों में बम रख दिए जाएं और धमाके के साथ पूरी जिंदगी ही हमेशा के लिए खामोश हो जाए। आतंकवाद केवल बम फोड़ने का नाम नहीं है। ये एक विचारधारा है, एक रणनीति है और कभी कभी को एक राजनीतिक हथियार भी है। ब्रूस हॉफमैन ने अपनी किताब इनसाइड टेररिज्म में कहा भी है कि आतंकवादी केवल हथियार नहीं उठाते बल्कि सोच भी बदलते हैं। ये तो साफ है कि आतंकवाद अब किसी एक देश या प्रांत की बात नहीं रह गया है। यह अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गठजोड़ कर चुका है और इसके समर्थन में कई मुस्लिम राष्ट्र और वामपंथी ताकतें हैं। सऊदी, सीरिया, इराक, अफगानिस्तान, कुर्दिस्तान, सूडान, यमन, लेबनान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, इंडोनेशिया और तुर्की जैसे इस्लामिक मुल्क इनकी पहानगाह रहे हैं। न्यूयॉर्क से लेकर नई दिल्ली तक, मैड्रिड से लेकर मुंबई तक, दुनिया  ने बदलते वक्त के साथ आतंकवाद के स्वरूप को टेक्नोलॉजी और जियोपॉलिटिकल के साये में फलते फूलते देखा है। जटिल क्षेत्रीय संघर्षों और वैश्विक चरमपंथी नेटवर्कों के जो आतंक कभी गिने-चुने इलाकों में हथियारों और विस्फोटों की गूँज तक सीमित था, वह आज डिजिटल रेडिक्लाइजेशन, लोन वुल्फ और हाइब्रिड वॉरफेयर की अदृश्य परतों में फैलकर एक ऐसी सीमाहीन चुनौती बन चुका है, जो राष्ट्रों की सीमाओं से कहीं आगे तक असर डालती है। इसलिए आतंकवाद के बदलते स्वरूप को समझना न केवल भारत के लिए एक अनिवार्यता है, बल्कि एक साझा वैश्विक जिम्मेदारी भी है। आतंकवाद का असली मकसद क्या है, ये कब और कैसे शुरू हुआ, बड़े आतंकवादी संगठन कैसे बनते हैं। आतंकवाद का स्वरूप वक्त के साथ कैसे बदल रहा है। ऐसे में आपको सिलसिलेवार ढंग से आतंक की अंदरूनी कहानी की तह तल लिए चलते हैं। 

आतंकवाद और भारत का सुरक्षा परिदृश्य

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आतंकवाद आज भी सबसे जटिल और निरंतर खतरों में से एक है, जो देश की अनूठी भौगोलिक स्थिति, गहरी सामाजिक विविधता और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रीय वातावरण से प्रभावित है। भारत ने दशकों से आतंकवाद के कई, परस्पर जुड़े रूपों का सामना किया है, जिनमें से प्रत्येक बदलती राजनीतिक, तकनीकी और सुरक्षा स्थितियों के अनुरूप ढलता रहा है। भौगोलिक दृष्टि से, भारत का विशाल भूभाग और विविध भूभाग रणनीतिक गहराई के साथ-साथ गंभीर सुरक्षा चुनौतियाँ भी प्रस्तुत करते हैं। ऊँची पर्वत श्रृंखलाओं से लेकर घने जंगलों और नदी-तटीय क्षेत्रों तक फैली लंबी और अक्सर निगरानी में मुश्किल सीमाएँ ऐतिहासिक रूप से आतंकवादी समूहों द्वारा घुसपैठ और आवागमन के लिए उपयोग की जाती रही हैं। इसके अलावा, भारत की विस्तृत तटरेखा ने समुद्री आतंकवाद के प्रति संवेदनशीलता को उजागर किया है, जैसा कि अतीत के हमलों से स्पष्ट है। ये भौगोलिक वास्तविकताएँ निगरानी, ​​खुफिया जानकारी जुटाने और त्वरित प्रतिक्रिया को जटिल बनाती हैं, जिससे आतंकवादी रणनीति लगातार विकसित होती रहती है। 

आतंकवाद की जटिल चुनौती

भारत की असाधारण सामाजिक, सांस्कृतिक, भाषाई और धार्मिक विविधता को भी आतंकवादी संगठनों ने जानबूझकर निशाना बनाया है। भारत में आतंकी हमलों का मकसद अक्सर भौतिक विनाश से कहीं आगे बढ़कर सांप्रदायिक तनाव भड़काना, सामाजिक विभाजन को गहरा करना और लोकतांत्रिक संस्थाओं में जनता के विश्वास को कमजोर करना रहा है। समाज के भीतर मौजूद कमजोरियों का फायदा उठाकर, भारत में आतंकवाद ने अक्सर मनोवैज्ञानिक और प्रतीकात्मक आयाम ले लिया है, जिससे केवल बल प्रयोग से इसका मुकाबला करना कठिन हो जाता है। भारत का क्षेत्रीय पड़ोस भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जो इसकी सुरक्षा चुनौतियों को आकार देने में एक प्रमुख कारक बना हुआ है। लगातार सीमा पार तनाव, अनसुलझे संघर्ष और राज्य समर्थित तथा गैर-राज्य चरमपंथी तत्वों की उपस्थिति ने एक स्थायी खतरे का माहौल बनाया है। परोक्ष युद्ध और बाहरी प्रायोजित आतंकवाद से निपटने के भारत के अनुभव ने यह सुनिश्चित किया है कि आतंकी रणनीति को लगातार परिष्कृत किया जा रहा है ताकि सुरक्षा तंत्रों को दरकिनार किया जा सके और उभरती कमजोरियों का फायदा उठाया जा सके। 

रणनीति से तकनीक तक,आतंकवाद का बदलता स्वरूप

परिणामस्वरूप, भारत में आतंकवाद कभी स्थिर नहीं रहा है। जैसे-जैसे सुरक्षा बलों ने पारंपरिक हमलों के जवाब में अपनी प्रतिक्रिया मजबूत की, आतंकवादी रणनीतियाँ शहरी आतंक, स्लीपर सेल, अकेले हमलावरों और डिजिटल कट्टरपंथ की ओर मुड़ गईं। प्रौद्योगिकी, एन्क्रिप्टेड संचार और ऑनलाइन प्रचार के बढ़ते उपयोग ने आतंकवाद को एक सीमाहीन और विकेंद्रीकृत घटना में बदल दिया है। इस बदलते परिदृश्य में भारत के सामने चुनौती केवल हिंसा के अतीत के स्वरूपों का जवाब देना नहीं है, बल्कि भविष्य के खतरों का पूर्वानुमान लगाना भी है। आतंकवाद का निरंतर विकास अनुकूल सुरक्षा रणनीतियों, तकनीकी नवाचार और सामाजिक लचीलेपन की आवश्यकता को रेखांकित करता है। भारत में आतंकवाद के लगातार बदलते स्वरूप को समझना यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि देश तेजी से अनिश्चित होती दुनिया में तैयार, एकजुट और सुरक्षित रहे।
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