Wednesday, November 19, 2025
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China ने घेर लिया युद्धपोतों से जापान, तभी धड़ा-धड़ पहुंचे अमेरिका के न्यूक्लियर बॉम्बर

साल 2019 का वक्त था एक तरफ पीएम मोदी दूसरी तरफ शिंजो आबे और बीच में रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन की मौजूदगी होती है। यह एक बहुत दुर्लभ क्षण होता है। यहां पर पर्दे के पीछे एक ऐसा गेम चला था अगर वह हल हो जाता तो आज जापान इतनी बड़ी मुश्किल में नहीं फंसता। अभी जापान, चाइना और रूस दोनों के बीच में फंसा है। लेकिन धर्म संकट में भारत भी है। एक तरफ भारत के लिए बहुत ज्यादा फायदा निकल कर आ रहा है। तो वहीं दूसरी तरफ चुनौती भी। जापान की जो नई पीएम है तकाची। तकाची को कहा जाता है फीमेल सिंजो आबे। सिंजो आबे की जो नीतियां हैं उसी नीति को वह फॉलो करती हैं। और यह बात इन्होंने ताइवान को लेकर साफ-साफ कह दिया कि ताइवान पर अगर हमला करता है चाइना तो फिर हम सैन्य सहायता देंगे। इस बात का बवाल बहुत ज्यादा मच गया। अब बवाल इतना ज्यादा मच गया कि इनके जो विदेश मंत्री हैं उन्होंने भी बयान दे दिया। राजदूतों की लड़ाई अब विदेश मंत्री तक पहुंच गई।

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चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि जिस तरीके का बयान आप दे रहे हैं कि आप मदद करने को जाएंगे ताइवान की तो आप ताइवान की मदद नहीं कर पाएंगे। हम आपको कुचल देंगे। और अगर आप यह कहते हैं कि ताइवान की इमरजेंसी हमारी इमरजेंसी है तो ऐसा नहीं है बल्कि ताइवान पर इस तरीके का बयान देकर अपने लिए मुसीबत बुला रहे हैं। परिणाम यह हुआ है कि चाइना ने सबसे पहले तो अपने लोगों को कहा जापान मत जाओ और इतना कहते ही जापान के अंदर जो ट्रैवलके शेयर थे वह धड़ाम हुए और उसके बाद इन्होंने वहां अपने वॉरशिप भेज दिए।

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चीन कई बार ताइवान को घेर लेते हैं। ऐसा ही अब यह जापान के साथ कर रहे हैं। दूसरी तरफ अमेरिका के बॉम्बर्स की मौजूदगी जापान में देखने को मिली। दरअसल, अमेरिका, जापान और फिलीपींस का दो दिवसीय समुद्री अभ्यासहुआ। दक्षिणी थिएटर कमान के प्रवक्ता, वरिष्ठ कर्नल तियान जुनली ने एक बयान में कहा कि फिलीपींस अक्सर बाहरी ताकतों के साथ मिलकर तथाकथित संयुक्त गश्त” करता रहा है, जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को खतरा पहुँचता है।

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