फिक्की के एक कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह जो उप सेना प्रमुख हैं। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर को लेकर बेहद अहम जानकारियां देश से साझा की हैं। उन्होंने कहा है कि भारत के सामने केवल एक नहीं बल्कि तीन से चार दुश्मन थे और जिसमें सबसे आगे पाकिस्तान था। उन्होंने ये भी कहा कि चीन ने पाकिस्तान को एक टेस्ट लैब के तौर पर इस्तेमाल किया और उसे आगे कर दिया। इतना ही नहीं भारतीय सेना की तरफ से चीन का नाम तो लिया ही गया, इसके अलावा तुर्किए का भी नाम लिया गया। तुर्किए के बैरिख्तर ड्रोन और लॉजिस्टिकल सपोर्ट के अलावा ट्रेंड टेक्निशियन की मौजूदगी को लेकर उप सेना प्रमुख ने जोर देकर बताया है कि किस तरह से इस युद्ध के दौरान चीन और तुर्किए पाकिस्तान की मदद कर रहे थे।
इसे भी पढ़ें: दुनिया की सबसे बड़ी मिलिट्री सिटी, चीन ने ये क्या कर दिया? अमेरिका से लेकर भारत तक सब रह गए हैरान
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने चीन की 36 चालों की प्राचीन सैन्य रणनीति और उधार के चाकू से दुश्मन को मारने की रणनीति का उल्लेख करते हुए इस बात पर जोर दिया कि बीजिंग ने भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए पाकिस्तान को हरसंभव समर्थन दिया। ‘उधार के चाकू से मारने’ का मतलब है कि दुश्मन को पराजित करने के लिए किसी तीसरे पक्ष का इस्तेमाल करना, अर्थात, चीन ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि भारत वास्तव में तीन शत्रुओं का सामना कर रहा था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन के अलावा तुर्किये भी इस्लामाबाद को सैन्य साजो-सामान की आपूर्ति में प्रमुख भूमिका निभा रहा था।
इसे भी पढ़ें: G20, ट्रंप का इनोग्रेशन डे, BRICS समिट, कौन जिनपिंग को फ्रंट पर आने से रोक रहा, खबर बहुत गर्म है, चीन में तख्तापलट कंफर्म है
भारतीय सेना के क्षमता विकास और संधारण संबंधी कार्य देखने वाले उप सेना प्रमुख ने कहा कि इस्लामाबाद को बीजिंग का समर्थन आश्चर्यजनक नहीं है, क्योंकि पाकिस्तानी सशस्त्र बलों का 81 प्रतिशत सैन्य साजोसामान चीन से आता है। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा कि वह (चीन) उत्तरी सीमा पर खुद सीधे टकराव में पड़ने के बजाय भारत को नुकसान पहुंचाने के लिए पड़ोसी देश का इस्तेमाल करना ज्यादा पसंद करता है। उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान केवल सामने का चेहरा था, जबकि असली समर्थन चीन से मिल रहा था। हमें इसमें कोई हैरानी नहीं हुई, क्योंकि अगर आप पिछले पांच वर्षों के आंकड़े देखें, तो पता चलता है कि पाकिस्तान को मिलने वाले सैन्य उपकरणों में से 81 प्रतिशत चीन से आ रहे हैं।” लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा कि तुर्किये ने भी पाकिस्तान को सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि हमने युद्ध के समय और युद्ध क्षेत्र में कई ड्रोन आते और उतरते देखे, साथ ही वहां मौजूद व्यक्तियों की गतिविधियां भी देखी गईं।