Saturday, October 25, 2025
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DAC ने 79,000 करोड़ के रक्षा सौदों को दी मंजूरी, ‘आत्मनिर्भर भारत’ की राह में बड़ा कदम।

रक्षा क्षेत्र में निवेश को लेकर एक अहम पहल देखने को मिली है। बता दें कि गुरुवार, 23 अक्टूबर को डिफेंस एक्विज़िशन काउंसिल (डीएसी) ने भारतीय थल सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए लगभग 79,000 करोड़ रुपये के सैन्य उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी है।
मौजूद जानकारी के अनुसार, थल सेना के लिए नाग मिसाइल सिस्टम (ट्रैक्ड) Mk-II की स्वीकृति दी गई है, जिससे माना जा रहा है कि भारत डायनेमिक्स को करीब 2,000 करोड़ रुपये तक के ऑर्डर मिल सकते हैं। यह सिस्टम दुश्मन के टैंकों, बंकरों और अन्य फील्ड किलेबंदी को निशाना बनाने की क्षमता को बढ़ाएगा।
इसके अलावा ग्राउंड-बेस्ड मोबाइल ELINT सिस्टम (GBEMS) की खरीद पर भी मंजूरी मिल चुकी है, जिससे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और एस्ट्रा माइक्रो जैसी कंपनियों को फायदा मिलने की संभावना जताई जा रही है। यह सिस्टम दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलों की 24×7 निगरानी के काम आएगा। थल सेना को हाई मोबिलिटी व्हीकल्स (HMVs) के साथ मटेरियल हैंडलिंग क्रेन की भी स्वीकृति दी गई है, जिसमें BEML जैसी कंपनियाँ संभावित लाभार्थी मानी जा रही हैं।
गौरतलब है कि नौसेना के लिए भी कई अहम प्रस्ताव स्वीकृत हुए हैं। मझगांव डॉक, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स, कोचीन शिपयार्ड और L&T जैसी शिपबिल्डिंग कंपनियों को करीब 60,000 करोड़ रुपये तक के लैंडिंग प्लेटफ़ॉर्म डॉक जहाज़ों के ऑर्डर मिलने की संभावना है, जो उभयचर सैन्य अभियानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे। वहीं 30 मिमी नेवल सरफेस गन की खरीद से BHEL और गार्डन रीच को लाभ मिल सकता है, जबकि 76 मिमी सुपर रैपिड गन माउंट के लिए स्मार्ट अम्यूनिशन सप्लाई में भी BHEL संभावित सप्लायर माना जा रहा है।
भारत डायनेमिक्स को एडवांस्ड लाइटवेट टॉरपीडो के लिए 500 से 1,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, जो पारंपरिक से लेकर न्यूक्लियर तथा मिनी सबमरीन तक को निशाना बनाने में सक्षम हैं। वहीं BEL, Astra Micro और Data Patterns को नौसेना के लिए इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल इंफ्रा-रेड सर्च एंड ट्रैक सिस्टम से भी ऑर्डर्स मिल सकते हैं।
ध्यान देने वाली बात है कि निफ्टी इंडिया डिफेंस इंडेक्स लगातार छह दिनों से बढ़त पर बना हुआ है और इस दौरान 2.5% की वृद्धि दर्ज कर चुका है, जबकि पिछले एक महीने से यह बेहद स्थिर बना हुआ है। ऐसे में बाजार विश्लेषकों का मानना है कि रक्षा क्षेत्र में यह हालिया स्वीकृतियाँ रक्षा कंपनियों के लिए मजबूत आर्थिक अवसर लेकर आई हैं।
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