डीपसीक को लेकर जब से खबर आ रही थी कि इसने ये कर दिया, वो कर दिया। अमेरिका को नुकसान हो गया। ट्रंप परेशान हो गए। इसके बाद से ही कई लोगों की निगाहें इस बात पर टिकी थी कि भारत कब उठेगा और भारत कब बड़ी एनाउंसमेंट करेगा। अब भारत एक ऐसा एआई का मॉडल बनाएगा जो अमेरिका के चैटजीपीटी और चीन के डीपसीक दोनों को चैलेंज करेगा। चीन और अमेरिका को टक्कर देने के लिए भारत अपना खुद का आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) चैटबॉट अगले 10 महीने में तैयार कर लेगा। यह ऐलान केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया। उन्होंने बताया कि देश का लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) अश्विनी वैष्णव 10 महीने में तैयार हो जाएगा। यह फाउंडेशनल मॉडल होगा, जो सभी भारतीय भाषाओं में होगा। इसका फ्रेमवर्क बन गया है।
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वैष्णव ने कहा कि डीपसीक को जल्द भारतीय सर्वर पर लाएंगे, ताकि डेटा सुरक्षा और गोपनीयता की चिंता दूर की जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक सुरक्षा के मद्देनजर इटली ने चीन के डीपसीक को बैन कर दिया है। आयरलैंड ने डेटा प्रोसेसिंग पर डीपसीक से जानकारी मांगी है। अमेरिकी नौसेना ने भी अपने सदस्यों को डीपसीक का इस्तेमाल न करने को कहा है। उन्होंने बताया कि एआई के लिए कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर सबसे अहम है। भारत ने इस मामले में 10 हजार जीपीयू का लक्ष्य हासिल कर लिया है। इसे अब 18600 जीपीयू करना है। जीपीयू यानी ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (चिप)। किसी भी तरह के लैंग्वेज मॉडल को बनाने में काफी उन्नत जीपीयू की जरूरत होती है।
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डीपसीक ने 20 महीने में एआई चैटबॉट आर। बनाया, लेकिन पांच दिन में ही न्यूयॉर्क की साइबर सिक्योरिटी फर्म विज ने उसके 10 लाख सेंसेटिव डेटा तक आसानी से पहुंच बना ली। हम सॉफ्टवेयर पावर तो हैं, लेकिन हार्डवेयर के लिए आज भी अमेरिका, चीन पर निर्भर हैं। भारत का सेमीकंडक्टर बाजारः 2024 में 4.47 लाख करोड़ रु. का था, जो 2030 तक बढ़कर 8.85 लाख करोड़ रु. ज्यादा का होगा।