दिल्ली सरकार ने मंगलवार को टेरी के उस अध्ययन की समीक्षा की, जिसमें यमुना नदी में माइक्रोप्लास्टिक, झाग और रासायनिक प्रदूषकों की बढ़ती मौजूदगी का पता चला है।
सरकार ने विभागों को प्रदूषण को रोकने के लिए समयबद्ध तरीके से और प्रौद्योगिकी-संचालित हस्तक्षेप करने का निर्देश दिया है।
अध्ययन के अनुसार, अशोधित मलजल, औद्योगिक अपशिष्ट और ठोस अपशिष्ट अमोनिया के स्तर, कार्बनिक संदूषण और माइक्रोप्लास्टिक्स की मौजूदगी को बढ़ाते हैं, जिससे विशेष रूप से औद्योगिक समूहों और नालों के पास बार-बार झाग बनता है।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा, ‘‘टेरी द्वारा साझा किए गए निष्कर्ष हमें सीवेज, उद्योगों, ठोस अपशिष्ट और नागरिक व्यवहार के क्षेत्र में एक साथ कार्रवाई करके माइक्रोप्लास्टिक, झाग और अन्य प्रदूषकों से निपटने का एक खाका प्रदान करते हैं।

