पश्चिम बंगाल पुलिस ने रविवार को दुर्गापुर सामूहिक बलात्कार मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। यह घटना शुक्रवार रात को एक निजी मेडिकल कॉलेज परिसर के बाहर 23 वर्षीय एमबीबीएस छात्रा के साथ कथित तौर पर हुई थी, जब वह अपनी एक सहेली के साथ खाना खाने बाहर गई थी।
पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि दो अन्य की तलाश अभी भी जारी है।
पीड़िता की मां के आरोप
पुलिस शिकायत में, पीड़िता (एमबीबीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा) की मां ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि उनकी बेटी को उसकी सहेली ने छोड़ दिया। इसके बाद कुछ अज्ञात लोगों ने उनकी बेटी को जंगल में घसीट लिया और चिल्लाने की कोशिश करने पर जान से मारने की धमकी दी। कथित तौर पर बदमाशों ने भागने से पहले छात्रा का मोबाइल फोन और 5,000 रुपये भी लूट लिए।
पीड़िता की मां ने दर्दनाक घटना को याद करते हुए बताया कि उनकी बेटी अपनी सहेली के कहने पर खाना खाने बाहर गई थी, तभी तीन लोगों ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, ‘उसकी सहेली उसे छोड़कर भाग गई। मेरी बेटी भी भागने लगी, लेकिन अपनी सहेली का पता नहीं लगा सकी।’ उन्होंने आगे बताया कि तीनों आरोपियों ने उसके अकेले होने का फायदा उठाकर उसे पास के जंगल में ले गए, जहां दो और लोग उनके साथ आ गए।
पीड़िता के सहपाठियों द्वारा सूचित किए जाने के बाद शुक्रवार देर रात दुर्गापुर पहुंचे माता-पिता ने अपनी शिकायत में छात्रा के साथ गए सहपाठी (सहेली) और उसके कुछ ‘साथियों’ का नाम दर्ज कराया है, हालांकि साथियों की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है।
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पीड़िता की हालत स्थिर
ओडिशा के जलेश्वर की रहने वाली पीड़ित छात्रा अभी भी अस्पताल में भर्ती है। पुलिस ने बताया कि उसकी हालत स्थिर है और उसकी मां उसका ख्याल रख रही है।
उच्च स्तरीय जांच की मांग
राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की चार सदस्यीय टीम ने शनिवार को अस्पताल में छात्रा से मुलाकात की। आयोग की सदस्य और स्त्री रोग विशेषज्ञ अर्चना मजूमदार ने छात्रा की हालत के बारे में बताया, ‘वह सदमे में है। उसकी हालत स्थिर है। उसे कुछ चोटें आई हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है।’ एनसीडब्ल्यू ने पश्चिम बंगाल के अधिकारियों से पांच दिनों के भीतर एक विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) भी मांगी है। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने भी घटना के संबंध में निजी मेडिकल कॉलेज से रिपोर्ट मांगी है।
छात्रों का विरोध प्रदर्शन
इस बीच, निजी मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने शनिवार को परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। छात्रों ने कॉलेज प्रशासन की ‘निष्क्रियता और चुप्पी’ का हवाला देते हुए प्राचार्य को एक ज्ञापन भी सौंपा।
ज्ञापन में छात्रों ने कहा, ‘कॉलेज परिसर के पास हुई घटना के बावजूद, तत्काल कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई, कोई सार्वजनिक बयान जारी नहीं किया गया और कोई आपातकालीन सुरक्षा उपाय नहीं किए गए। अधिकारियों की यह लापरवाही और निष्क्रियता छात्रों के विश्वास के साथ विश्वासघात और संस्थान की नैतिक विफलता है।’
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राजनीतिक विवाद शुरू
इस मामले ने राजनीतिक विवाद भी खड़ा कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक शुभेंदु अधिकारी ने पीड़िता के पिता से बात की और मदद का वादा किया। उन्होंने पुलिस की कार्यप्रणाली और राज्य में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुप्पी पर निशाना साधा।
इन आरोपों का जवाब देते हुए, राज्य की महिला एवं बाल विकास मंत्री शशि पांजा ने एक वीडियो संदेश में कहा कि ‘महिलाओं के खिलाफ ऐसे अपराधों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए।’ उन्होंने भाजपा पर ऐसी घटनाओं को राजनीतिक चश्मे से देखने का आरोप लगाया और कहा कि मुख्यमंत्री महिलाओं के खिलाफ अन्याय होने पर कोई समझौता नहीं करती हैं।
ओडिशा के मुख्यमंत्री ने भी घटना की निंदा की है और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आरोपियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने का आह्वान किया है। उन्होंने पीड़ित परिवार को हर संभव सहायता का आश्वासन भी दिया है।