सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली-एनसीआर में दिवाली के दौरान कुछ शर्तों के साथ हरित पटाखों की बिक्री और फोड़ने की अनुमति दे दी। राष्ट्रीय राजधानी में लोग 18 से 21 अक्टूबर तक ये पटाखे फोड़ सकते हैं। इसके अलावा, शीर्ष अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनसीआर के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को 18 अक्टूबर से वायु गुणवत्ता सूचकांक की निगरानी करने का निर्देश दिया। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस कदम पर प्रसन्नता व्यक्त की और इस संबंध में दिल्ली सरकार की याचिका पर विचार करने के लिए शीर्ष अदालत का आभार व्यक्त किया।
इसे भी पढ़ें: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने SC के ग्रीन पटाखों पर फैसले का किया स्वागत, बोलीं- दिल्ली की दिवाली होगी हरित
ग्रीन पटाखों और सामान्य पटाखों में अंतर
ग्रीन पटाखें उन्हें कहा जाता है दो पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हैं और जिनसे कम प्रदूषण होता है। नेशनल इनवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के दावे के अनुसार इन पटाखों में समान्य पटाखों के मुकाबले केमिकल्स नहीं होते हैं। सामान्य पटाखें दो से तीन दिन तक हवा को जहरीला रखते हैं। जबकि ग्रीन पटाखों में धुआं, सल्फर डाइओक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड 30 % कम निकलता है और इनके सीमित इस्तेमाल से ज्यादा वायु प्रदूषण नहीं फैलता और इससे ध्वनि प्रदूषण भी कम होता है। सामान्य पटाखों का शोर 160 डेसिबल तक होता है जबकि ग्रीन पटाखों का शोर 110 से 125 डेसिबल तक होता है। सबसे बड़ी बात ये है कि ग्रीन पटाखें 30 सेकेंड से ज्यादा नहीं चलते। जबकि सामान्य पटाखें इससे कहीं ज्यादा देर तक चलते हैं और प्रदूषण भी ज्यादा फैलाते हैं।
इसे भी पढ़ें: दिल्ली CM की मौजूदगी में विजय सिन्हा का नामांकन, बोले- बिहार में विकास तेज़, NDA की जीत तय
ग्रीन क्रैक्रर की प्रामाणिकता कैसे सुनिश्चित करें
प्रमाणन: सुनिश्चित करें कि पटाखे NEERI द्वारा प्रमाणित हों और पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO) द्वारा अनुमोदित हों।
लाइसेंस प्राप्त विक्रेता: प्रामाणिकता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लाइसेंस प्राप्त खुदरा विक्रेताओं या अधिकृत ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से खरीदारी करें।