गोवा में शुक्रवार से शुरू हो रहे फिडे विश्व कप 2025 का इंतज़ार अब लगभग खत्म हो गया है। यह टूर्नामेंट भारत में आयोजित होने वाला अब तक का सबसे बड़ा शतरंज आयोजन माना जा रहा है, जिसमें दुनिया के कई शीर्ष ग्रैंडमास्टर्स खिताब के लिए भिड़ने वाले हैं। बता दें कि पिछली बार यह खिताब 2023 में नॉर्वे के दिग्गज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन ने जीता था।
मौजूद जानकारी के अनुसार, इस बार का फिडे विश्व कप खास महत्व रखता है क्योंकि यहां से अगले वर्ष होने वाले फिडे कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए तीन खिलाड़ियों को क्वालिफिकेशन मिलेगा। वहीं, कैंडिडेट्स का विजेता अगले वर्ष भारतीय विश्व चैम्पियन गुकेश डोमरराजू को चुनौती देगा।
गौरतलब है कि यह इस फॉर्मेट का 11वां संस्करण है, लेकिन इस बार कई दिग्गज खिलाड़ी इसमें हिस्सा नहीं ले रहे हैं। कार्लसन ने क्लासिकल शतरंज की सीमित संख्या में प्रतियोगिताएं खेलने के अपने फैसले के कारण भाग नहीं लेने का निर्णय किया है। इसी तरह, हिकारू नाकामुरा और फाबियानो कारुआना भी इस टूर्नामेंट में नहीं खेल रहे हैं क्योंकि दोनों पहले ही कैंडिडेट्स में अपनी जगह पक्की कर चुके हैं।
भारत के लिए यह टूर्नामेंट बेहद खास है क्योंकि गुकेश डोमरराजू पहली बार विश्व खिताब जीतने के बाद घरेलू धरती पर बड़ा टूर्नामेंट खेल रहे हैं। हालांकि उनका 2025 का प्रदर्शन थोड़ा उतार-चढ़ाव भरा रहा है। नीदरलैंड में टाटा स्टील मास्टर्स में शानदार शुरुआत के बाद वे कई फॉर्मेट्स के बीच संतुलन बनाने में संघर्ष करते रहे। सितंबर में हुए ग्रैंड स्विस टूर्नामेंट में वे 44वें स्थान पर रहे, लेकिन हाल में यूरोपियन क्लब कप में शीर्ष बोर्ड पर गोल्ड जीतकर उन्होंने मजबूत वापसी की है।
आर प्रज्ञानानंद भी इस टूर्नामेंट में भारत की बड़ी उम्मीदों में शामिल हैं। 2023 में वे फाइनल तक पहुंचे थे, लेकिन कार्लसन से हार गए थे। इस वर्ष उनका प्रदर्शन शानदार रहा है। उन्होंने टाटा स्टील मास्टर्स, सुपरबेट चेस क्लासिक और उज़चेस कप जैसे बड़े टूर्नामेंट जीते हैं। वर्तमान में वे फिडे सर्किट लीडरबोर्ड में शीर्ष पर हैं और अगर वे इसे बनाए रखते हैं तो सीधे कैंडिडेट्स में प्रवेश पा सकते हैं।
विन्सेंट केमर भी इस बार के प्रबल दावेदारों में हैं। हाल के महीनों में उन्होंने शानदार फॉर्म दिखाया है और लाइव रेटिंग में चौथे स्थान पर हैं। उन्होंने चेन्नई ग्रैंड मास्टर्स 2025 का खिताब जीता था और यूरोपियन क्लब चैंपियनशिप में भी गोल्ड के बेहद करीब पहुंचे थे।
कुल मिलाकर, गोवा में आयोजित यह टूर्नामेंट सिर्फ एक चेस प्रतियोगिता नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की शतरंज क्षमता का प्रदर्शन भी है। भारतीय प्रशंसकों की निगाहें अब गुकेश और प्रज्ञानानंद जैसे युवा सितारों पर टिकी हैं जो देश को एक और गौरव दिलाने की क्षमता रखते हैं।


