9 आतंकी कैंप ध्वस्त हुए, 11 एयरबेस उड़ाए जाने और खुद जनरल को जान बचाने के लिए बंकर में छुपने की नौबत आने के बाद पाकिस्तान ने एक नया इतिहास रच दिया है। वैसे तो पाकिस्तानी सेना की दुनियाभर में बेइज्जती होना आम है। पहलगाम के कायराना हरकत के बाद भारत ने रावलपिंडी में घुसकर मारा। इसके बाद भी पिटने पर प्रमोशन पाकिस्तान में ही हो सकता है। जनरल आसिम मुनीर को पाकिस्तान का फेल्ड मार्शल और इस्लामाबाद की भाषा में कहे तो फील्ड मार्शल बना दिया। पाकिस्तान की फौज में सबसे ऊंचा ओहदा यानी पांच सितारा रैंक। पाकिस्तान के अंदर अपार शक्ति और इस पद का नाम फील्ड मार्शल है। 1959 के बाद पहली बार पाकिस्तान में ये पद जनरल आसिम मुनीर को मिला है। रैंक न तो हर जनरल को मिलती है और न ही रूटीन प्रमोशन का हिस्सा है। ये सिर्फ उसी को दी जाती है जिसने जंग या राष्ट्रीय संकट के वक्त असाधारण नेतृत्व कर दिखाया हो। वलपिंडी स्थित पाकिस्तानी सेना के जनरल हेडक्वार्टर (GHQ) में फील्ड मार्शल सैयद असीम मुनीर को सर्वोच्च सैन्य रैंक पर प्रमोशन दिए जाने के बाद अपना संबोधन भी दिया है।
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पाकिस्तान में सर्वोच्च सैन्य पद पर पदोन्नत होने के बाद फील्ड मार्शल सैयद असीम मुनीर के लिए रावलपिंडी में जनरल हेडक्वार्टर (जीएचक्यू) यादगार-ए-शुहादा में एक विशेष गार्ड ऑफ ऑनर समारोह आयोजित किया गया। मुनीर ने पाकिस्तान के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और फातेहा पेश की। इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के अनुसार, उन्होंने यह सम्मान पाकिस्तान के लोगों, सशस्त्र बलों और विशेष रूप से सैन्य, नागरिक संस्थानों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के शहीदों और दिग्गजों को समर्पित किया।
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फील्ड मार्शल ने कहा कि यह सम्मान पूरे पाकिस्तानी राष्ट्र और सशस्त्र बलों के बहादुर पुरुषों और महिलाओं, विशेष रूप से उन शहीदों को श्रद्धांजलि है, जो भारत के अकारण, कायरतापूर्ण और गैरकानूनी आक्रमण के खिलाफ ‘स्टील की दीवार’ की तरह खड़े रहे। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में संघीय सरकार ने जनरल असीम मुनीर को आधिकारिक तौर पर फील्ड मार्शल के पद पर पदोन्नत किया। यह फैसला ऑपरेशन बनयान-उम-मुर्सोस के दौरान उनके रणनीतिक नेतृत्व और बहादुरी को मान्यता देते हुए लिया गया है, जिसने भारत के हालिया आक्रमण को विफल किया और पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा की।