तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन आज चेन्नई में सीपीआई(एम) द्वारा आयोजित एक विशाल विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। इस विरोध प्रदर्शन में आयोजकों द्वारा गाजा में नरसंहार की निंदा की गई। दो साल पहले इज़राइल द्वारा सैन्य अभियान शुरू करने के बाद से अब तक 67,000 से ज़्यादा फ़िलिस्तीनी जिनमें 20,000 बच्चे भी मारे जा चुके हैं। के वीरमणि, वाइको, तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के. सेल्वापेरुंथगई, वीसीके प्रमुख थोल. थिरुमावलवन, टीएमएमके नेता प्रो. जवाहरुल्लाह और वामपंथी दलों के नेताओं सहित वरिष्ठ नेताओं के भी इस प्रदर्शन में शामिल होने की उम्मीद है। कल इज़राइल द्वारा गाजा पर जारी हमले के दो साल पूरे हो गए।
इसे भी पढ़ें: ED के रडार पर ‘सुपरस्टार’ Mammootty! करोड़ों की लग्जरी कार तस्करी मामले में प्रोडक्शन हाउस पर छापा
अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के अनुसार, पिछले 24 महीनों में गाज़ा में हर घंटे एक बच्चे की मौत हुई है। यूनिसेफ का अनुमान है कि लगभग 4,000 बच्चों ने कम से कम एक अंग खो दिया है, जबकि 1.69 लाख से ज़्यादा लोग घायल हुए हैं। गाज़ा का अधिकांश बुनियादी ढाँचा तबाह हो गया है, और अधिकारियों को डर है कि मरने वालों की वास्तविक संख्या कहीं ज़्यादा हो सकती है, और माना जा रहा है कि कई लोग मलबे में दबे हुए हैं। इज़राइल के ये हमले अक्टूबर 2023 में हमास की सशस्त्र शाखा द्वारा किए गए हमले के बाद हुए हैं, जिसमें 1,139 लोग मारे गए थे – जिनमें ज़्यादातर इज़राइली नागरिक थे – और 240 लोगों को बंधक बना लिया गया था, जिनमें से इज़राइल का मानना है कि कम से कम 20 ज़िंदा बचे हैं। इज़राइल ज़ोर देकर कहता है कि उसके अभियान हमास आतंकवादियों को निशाना बनाकर चलाए गए थे, जबकि संयुक्त राष्ट्र जाँच आयोग सहित आलोचकों ने इस बमबारी को नरसंहार बताया है।
इसे भी पढ़ें: तमिलनाडु के ईरोड में हाथी ने 60 वर्षीय व्यक्ति को कुचला, मौत
एमके स्टालिन का मुखर रुख
स्टालिन ने हाल के हफ़्तों में इस संकट पर सार्वजनिक रूप से कड़ा रुख अपनाया है। एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए, उन्होंने एक्स पर लिखा कि युद्धग्रस्त क्षेत्र का हर दृश्य दिल दहला देने वाला था। शिशुओं की चीखें, भूख से मरते बच्चों का नज़ारा, अस्पतालों पर बमबारी और संयुक्त राष्ट्र जाँच आयोग द्वारा नरसंहार की घोषणा उस पीड़ा को दर्शाती है जो किसी भी इंसान को कभी नहीं झेलनी चाहिए।