भारत और ओमान ने एक महत्वपूर्ण मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पर हस्ताक्षर किए हैं। गुरुवार को हस्ताक्षरित यह समझौता दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम है। इस समझौते के तहत, ओमान भारत के 98 प्रतिशत से अधिक निर्यात पर शुल्क समाप्त करेगा, जिसमें वस्त्र, कृषि उत्पाद और चमड़े के सामान शामिल हैं। वहीं, भारत ने खजूर, संगमरमर और पेट्रोकेमिकल्स सहित ओमान के आवश्यक उत्पादों पर आयात शुल्क कम करने पर सहमति जताई है। मस्कट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में हस्ताक्षरित यह समझौता अगले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में प्रभावी होने की उम्मीद है। इस समझौते पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ओमान के वाणिज्य, उद्योग एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री कैस बिन मोहम्मद अल यूसुफ ने हस्ताक्षर किए। यह समझौता ऐसे समय में महत्वपूर्ण है जब भारत को अपने सबसे बड़े निर्यात गंतव्य, संयुक्त राज्य अमेरिका में 50 प्रतिशत तक के भारी शुल्क का सामना करना पड़ रहा है।
इसे भी पढ़ें: PM मोदी को मिला ओमान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, नेल्सन मंडेला और क्वीन एलिजाबेथ की सूची में शामिल
ओमान का वैश्विक सेवा आयात 12.52 अरब अमेरिकी डॉलर रहा जिसमें भारत की हिस्सेदारी केवल 5.31 प्रतिशत थी। यह भारतीय सेवा प्रदाताओं के लिए अपार संभावनाओं को दर्शाता है। इसके अलावा, सीईपीए की एक प्रमुख विशेषता भारतीय पेशेवरों के लिए आवाजाही की बेहतर रूपरेखा है। ओमान ने पहली बार कुशल पेशेवरों की आवाजाही (मोड-4) के तहत व्यापक प्रतिबद्धताएं पेश की हैं, जिनमें कंपनी के भीतर स्थानांतरित होने वाले कर्मचारियों की सीमा को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। संविदा आधार पर सेवा प्रदान करने वालों के लिए ठहरने की स्वीकृत अवधि में भी वृद्धि की गई है। इसे मौजूदा 90 दिन से बढ़ाकर दो वर्ष कर दिया गया है। इसे दो वर्ष के लिए और बढ़ाया जा सकता है। यह समझौता लेखांकन, कराधान, वास्तुकला, चिकित्सा और संबद्ध सेवाओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों के लिए अधिक उदार प्रवेश एवं ठहरने की शर्तों का प्रावधान भी करता है जिससे गहन तथा अधिक सुगम व्यावसायिक जुड़ाव को बढ़ावा मिलता है। इस समझौते में ओमान के प्रमुख सेवा क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों द्वारा 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रावधान भी है। इसके तहत वाणिज्यिक उपस्थिति के माध्यम से भारत के सेवा उद्योग को इस क्षेत्र में अपने परिचालन का विस्तार करने के लिए व्यापक अवसर मिलेंगे।
इसे भी पढ़ें: India Oman Trade | भारत ने ओमान के साथ व्यापार समझौते में डेयरी, सोना-चांदी, फुटवियर को संवेदनशील सूची में रखा
इसके अतिरिक्त, दोनों पक्ष ओमान की अंशदायी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली लागू होने के बाद सामाजिक सुरक्षा समझौते पर भविष्य में चर्चा करने के लिए सहमत हुए हैं। यह श्रमिकों की आवाजाही एवं श्रमिक संरक्षण को सुविधाजनक बनाने के लिए एक दूरदर्शी दृष्टिकोण को बताता है। ओमान इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है और यह भारतीय वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए व्यापक पश्चिम एशिया और अफ्रीका तक पहुंचने का एक प्रमुख प्रवेश द्वार है। ओमान में लगभग सात लाख भारतीय नागरिक रहते हैं। भारत को ओमान से प्रतिवर्ष लगभग दो अरब अमेरिकी डॉलर की राशि प्राप्त होती है। भारतीय उद्यमों ने ओमान में अपनी मजबूत उपस्थिति स्थापित की है, जहां विभिन्न क्षेत्रों में 6,000 से अधिक भारतीय प्रतिष्ठान कार्यरत हैं। भारत को अप्रैल 2000 से सितंबर 2025 के बीच ओमान से 61.554 करोड़ अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है। ब्रिटेन के बाद पिछले छह महीनों में हस्ताक्षरित यह दूसरा व्यापार समझौता है। यह उन विकसित अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापार समझौते करने की रणनीति का हिस्सा है जो हमारे श्रम-प्रधान हितों के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करती हैं और भारतीय व्यवसायों के लिए अवसर प्रदान करती हैं। यह खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के सदस्य देश के साथ भारत का दूसरा व्यापार समझौता है।
इसे भी पढ़ें: अब जीरो टैक्स पर बिकेगा भारत का सामान, Oman के बिजनेस फोरम से मोदी ने किया CEPA पर गजब का ऐलान
भारत ने मई 2022 में संयुक्त अरब अमीरात के साथ इसी तरह का समझौता किया था और कतर के साथ भी जल्द ही बातचीत शुरू होने की उम्मीद है। जीसीसी के अन्य सदस्य बहरीन, कुवैत और सऊदी अरब हैं। मुक्त व्यापार समझौते को आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) कहा जाता है। इस पर बातचीत औपचारिक रूप से नवंबर 2023 में शुरू हुई जो इस वर्ष संपन्न हो गई। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत-ओमान का द्विपक्षीय व्यापार करीब 10.5 अरब अमेरिकी डॉलर (निर्यात चार अरब अमेरिकी डॉलर और आयात 6.54 अरब अमेरिकी डॉलर) था।

