भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक और राजनयिक संबंध लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं लेकिन इसके बावजूद व्यापारिक संपर्क पूरी तरह समाप्त नहीं हुए हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत-पाक तीसरे देश के जरिए ‘बैकडोर ट्रेड’ कर रहे हैं। यानि एक तरह से सीमाओं से परे कारोबार चल रहा है। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध बंद हैं लेकिन व्यापार चालू है और तीसरे देश भारत-पाक व्यापार के ‘सेतु’ बने हुए हैं। हम आपको बता दें कि मई 2025 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष चल रहा था उसी समय दोनों देशों के बीच तीसरे देशों के माध्यम से यानि बैकडोर ट्रेड के जरिये व्यापार भी खूब हो रहा था। हम आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच प्रत्यक्ष व्यापार भले ही निलंबित हो, लेकिन संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सिंगापुर और अफगानिस्तान जैसे देश “ट्रांजिट पॉइंट” के रूप में काम कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, पाकिस्तान भारत से आवश्यक दवाइयाँ, मसाले और चाय UAE से आयात करता है, जबकि भारत को कपास, खेल सामग्री और कुछ हस्तशिल्प वस्तुएं दुबई के जरिये मिल रही हैं।
हम आपको बता दें कि पाकिस्तानी समाचार पत्र ‘डॉन’ ने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि आधिकारिक आंकड़ों से पता चला है कि भारत से आयात पिछले वित्त वर्ष 2024-25 के जुलाई-मई के दौरान तीन साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया। इसने बताया कि पिछले वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों में भारत से आयात कुल 21.15 करोड़ डॉलर रहा, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 20.7 करोड़ डॉलर और वित्त वर्ष 2022-23 में 19 करोड़ डॉलर से अधिक था। अकेले मई में जब पहले सप्ताह में चार दिवसीय संघर्ष छिड़ा था तब आयात 1.5 करोड़ डॉलर रहा, जो पिछले साल इसी महीने के 1.7 करोड़ डॉलर से थोड़ा कम था। हालांकि, भारत को पाकिस्तान का निर्यात नगण्य रहा।
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हम आपको बता दें कि पाकिस्तान और भारत के बीच औपचारिक व्यापार संबंध 2019 से प्रभावित हैं। 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत ने कई और कदम उठाए थे। इनमें अटारी भूमि-पारगमन चौकी को तत्काल बंद करना भी शामिल था, जिसका उपयोग कुछ प्रकार के सामानों की आवाजाही के लिए किया जाता था। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने भी घोषणा की थी कि ‘भारत के साथ सभी व्यापार, जिसमें पाकिस्तान के माध्यम से किसी भी तीसरे देश के साथ व्यापार भी शामिल है, तत्काल निलंबित किया जाता है।
हम आपको बता दें कि तीसरे देशों से आयात की व्यवस्था इसलिए बनी रही क्योंकि भारत में निर्मित कई दवाइयाँ, जीवनरक्षक औषधियाँ और कृषि-आधारित उत्पाद पाकिस्तान की आम जनता के लिए आवश्यक हैं। वहीं भारत के व्यापारियों के लिए पाकिस्तान का कपास और कुछ विशेष वस्त्र आकर्षण का विषय हैं। इसके अलावा, दोनों देशों के छोटे और मध्यम स्तर के व्यापारियों के लिए यह लाभकारी है कि वे किसी न किसी माध्यम से व्यापार को चालू रखें, भले ही लागत बढ़ जाए।
हालांकि एक तथ्य यह भी है कि तीसरे देशों के माध्यम से व्यापार की व्यवस्था अस्थायी, महंगी और अविश्वसनीय होती है। इससे न केवल लागत बढ़ती है बल्कि पारदर्शिता भी घटती है। इसके अतिरिक्त, इस प्रकार का व्यापार टैक्स चोरी, गलत इनवॉइसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी समस्याओं को जन्म देता है।
बहरहाल, देखा जाये तो भारत और पाकिस्तान के बीच औपचारिक व्यापार का निलंबन दोनों देशों के व्यापारिक वर्गों के लिए चुनौती बना हुआ है। हालांकि, तीसरे देशों के माध्यम से व्यापार ने यह दिखाया है कि जब राजनीति दीवार खड़ी करती है, तब बाजार रास्ता खोज ही लेता है। फिर भी, किसी भी राष्ट्र के दीर्घकालिक हितों में पारदर्शी, सुरक्षित और औपचारिक व्यापारिक ढांचे का पुनर्निर्माण ही हितकर होगा।