यूरोपीय संघ ने हाल ही में भारत की एक तेल कंपनी पर भीषण प्रतिबंध लगाए। रूस पर प्रतिबंध लगाने के नाम पर भारत के नायरा एनर्जी पर लगा बैन अब इसे भारी पड़ रहा है। खबर है कि नायरा एनर्जी के तीन टैंकर अपने माल के साथ इस समय समुद्र में अटके पड़े हैं। यूरोपीय संघ के नए प्रतिबंधों के चलते भारत के नायरा एनर्जी के तीन टैंकर अपने माल का डिस्चार्ज नहीं कर पा रहे। नायरा जिसकी अधिकांश हिस्सेदारी रूस की तेल कंपनी रॉसनेट के पास है। वो अब वैश्विक व्यापारिक दवाब का सामना कर रही है। 18 जुलाई को यूरोपीय संघ ने नए प्रतिबंधों की लिस्ट जारी की थी। इस नई सूची में भारत की नायरा एनर्जी का नाम था। जिस पर प्रतिबंध लगाया गया। प्रतिबंधों के कारण यूरोपीय कंपनियों और तेल सर्वेक्षकों ने उसके उत्पादों से दूरी बना ली है। भले ही उनका भुगतान हो चुका हो। बावजूद इसके ये सामान नहीं डिलीवर किया जा रहा है।
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चीन टैंकर जो यूं ही खड़े हैं उनमें एलोरा नामक टैंकर जो लगभग 60 हजार मैट्रिक टन जेट ईंधन लेकर पुर्तगाल के साइनस बंदरगाह पर पहुंचा था। 18 जुलाई से वो वहीं लंगर डाले हुए है। दूसरा टैंकर एमजेनिश वाडेनार से 40 हजार टल डीजल लेकर मलेशिया के त्यूजूंग तेलपास बंदरगाह पहुंचा। उसने रास्ता बदलकर मलक्का जलडमरूमध्य में लंगर डाला। तीसरा टैंकर पैसेफिक मार्टिना वाडनार से जेट ईंधन लेकर निकलने के बाद ओमान की खाड़ी में बिना खरीदार के घूम रहा है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में इन जहाजों को लेकर जिक्र आया है। रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कैसे नायरा एनर्जी के तीन टैंकर अपने माल का डिस्चार्ज नहीं कर पा रहे हैं।
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आपको बता दें कि नायरा एनर्जी वही कंपनी है पहले जिसे इजर ऑयल के नाम से जाना जाता था। नायरा एनर्जी गुजरात के वाडीनार में 2 करोड़ टन प्रति वर्ष क्षमता वाली तेल रिफाइनरी संचालित करती है। कंपनी के देशभर में करीब 6,800 फ्यूल आउटलेट हैं। नायरा भारत की कुल रिफाइनिंग क्षमता का 8% और फ्यूल रिटेल नेटवर्क का 7% हिस्सा संभालती है। रूस यूक्रेन युद्ध के चलते ईयू ने रूस की कंपनियों पर 18वां प्रतिबंध पैकेज जारी कर दिया। इसमें भारत की कंपनी नायरा एनर्जी को भी शामिल कर लिया गया। ईयू का दावा है कि नायरा एनर्जी रूसी क्रूड प्रोसेसेज करती है। लेकिन हकीकत तो ये है कि भारत एक स्वतंत्र, संप्रभु राष्ट्र है और उसका तेल खरीदना नीतिगत अधिकार है। नायरा सिर्फ घरेलू जरूरतों के लिए क्रूड आयात करती है। न कि यूरोप को सप्लाई करती है। ईयू ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को कोलैट्रल डैमेज की तरह ट्रीट किया।