दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को आईआरसीटीसी घोटाला मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि लालू यादव के खिलाफ लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार और धोखाधड़ी की आपराधिक साजिश रचने के आरोप तय किए जाएँ, जबकि राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर धोखाधड़ी और धोखाधड़ी की साजिश रचने के आरोप लगेंगे।
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अदालत ने विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए हैं, जबकि सभी आरोपियों पर आपराधिक साजिश रचने का आरोप है। लालू यादव ने खुद को निर्दोष बताया और कहा कि वह मुकदमे का सामना करेंगे। अदालत ने आरोपियों के खिलाफ उनकी कथित भूमिका के अनुसार विभिन्न धाराओं में आरोप तय किए। राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पर धोखाधड़ी और साजिश रचने के अपराध के लिए आईपीसी की धारा 420 और 120बी के तहत आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि वे मुकदमे का सामना करेंगे।
पूर्व रेल मंत्री, उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी यादव और अन्य सोमवार को अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। अदालत ने 24 सितंबर को सभी 14 आरोपियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया था। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने 13 अक्टूबर को यह आदेश सुनाया। यह मामला 2004 से 2009 के बीच लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान आईआरसीटीसी होटलों के रखरखाव कार्य ठेकों के आवंटन में भ्रष्टाचार के आरोपों से संबंधित है।
आरोप है कि आईआरसीटीसी के दो होटलों, बीएनआर रांची और बीएनआर पुरी, का रखरखाव ठेका विजय और विनय कोचर के स्वामित्व वाली एक निजी फर्म सुजाता होटल को दिया गया था। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि इस सौदे के बदले में लालू प्रसाद यादव को एक बेनामी कंपनी के माध्यम से तीन एकड़ बेशकीमती जमीन मिली। सीबीआई ने 7 जुलाई, 2017 को लालू यादव के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की। एजेंसी ने पटना, नई दिल्ली, रांची और गुड़गांव में लालू और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़े 12 ठिकानों पर छापेमारी भी की।
1 मार्च, 2025 को, सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेम चंद गुप्ता व अन्य के खिलाफ आरोपों पर अपनी बहस पूरी की। सीबीआई की ओर से विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) डी.पी. सिंह और अधिवक्ता मनु मिश्रा ने दलील दी कि आईआरसीटीसी के दो होटल रखरखाव ठेकों को एक निजी कंपनी को आवंटित करने में आरोपियों की ओर से भ्रष्टाचार और षडयंत्र किया गया था।
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दूसरी ओर, प्रसाद यादव की ओर से दलील दी गई कि आईआरसीटीसी भ्रष्टाचार मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने के लिए कोई सबूत नहीं है और वह इस मामले में आरोपमुक्त किए जाने के हकदार हैं।