भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए चीन पहुंचे। यहां उनकी मुलाकात चीनी समकक्ष वांग यी के साथ हुई। इस दौरान दोनों ही देशों में बहुत विस्तारपूर्वक बातचीत हुई है। एस जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री का उनके गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए धन्यवाद दिया है और इसके साथ ही चीनी पक्ष के एससीओ अध्यक्षता की कामना भी की है। उन्होंने भारत और चीन के साथ बनते हुए संबंधों को लेकर भी टिप्पणी की है। उसमें उन्होंने कहा है कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए जरूरी है कि हम अपने संबंधों के प्रति दूर दृष्टिकोण अपनाए। उन्होंने अक्टूबर 2024 में कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के ब ाद दोनों देश जिस तरह से सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहे हैं। उसे जिम्मेदारी पूर्वक आगे बढ़ाने पर जोर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि हमारे दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75 वीं वर्षगांठ है।
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जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों को आगे बढ़ाने में दूरदर्शी दृष्टिकोण अपनाने के महत्व पर भी ज़ोर दिया। चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ अपनी चर्चा के दौरान, जयशंकर ने इस बात पर ज़ोर दिया कि दोनों पड़ोसी शक्तियों के बीच विकसित होते द्विपक्षीय संबंधों के लिए एक दीर्घकालिक, रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि क्षेत्र में जटिलताओं के प्रबंधन और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सावधानीपूर्वक, दूरदर्शी कूटनीति आवश्यक है। वर्तमान कूटनीतिक जुड़ाव के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, जयशंकर ने कहा कि दोनों एशियाई दिग्गजों के बीच संबंधों के निरंतर सामान्यीकरण से ऐसे परिणाम निकल सकते हैं जो पारस्परिक रूप से लाभकारी हों। उन्होंने खुले और ईमानदार संवाद के महत्व पर भी ज़ोर दिया।
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जयशंकर ने बैठक में अपने टेलीविज़न उद्घाटन भाषण में कहा, “जैसा कि आपने बताया, पिछले अक्टूबर में कज़ान में प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई मुलाक़ात के बाद से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में लगातार सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि इस यात्रा में मेरी बातचीत इसी सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगी।