जम्मू-कश्मीर विधानसभा में विपक्ष के नेता सुनील शर्मा और किश्तवाड़ से भाजपा विधायक शगुन परिहार ने जिस दृढ़ता से बाढ़ प्रभावित जनता की पीड़ा सदन के भीतर उठाई, वह लोकतंत्र की असली भावना को दर्शाती है। दोनों नेताओं ने साफ कर दिया कि अगर सरकार जनता के सवालों से मुंह मोड़ती है, तो विपक्ष चुप नहीं बैठेगा। हम आपको बता दें कि बाढ़ से तबाह हुए इलाकों की हालत पर चर्चा की मांग को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा ठुकराए जाने के विरोध में भाजपा विधायकों ने सदन से बहिर्गमन किया। इससे पहले पूरे प्रश्नकाल के दौरान भाजपा सदस्य खड़े रहे, जनता की आवाज़ बनकर सरकार से जवाब मांगते रहे।
हम आपको बता दें कि जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, भाजपा विधायकों ने प्रश्नकाल रद्द कर जम्मू के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों पर तत्काल चर्चा की मांग की। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने कहा, “अगस्त की बारिश ने जम्मू-कश्मीर के अधिकांश हिस्सों को बर्बाद कर दिया। जनता को उम्मीद थी कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि उनकी आवाज़ उठाएंगे, लेकिन सरकार खामोश है।” उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर सरकार “क्या छिपाना चाहती है” जब लोक निर्माण विभाग (PWD) में करोड़ों के घोटाले की खबरें मीडिया में छप चुकी हैं। सुनील शर्मा के तीखे सवालों से सत्ता पक्ष बौखला गया और सदन में हंगामा शुरू हो गया।
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उधर, हंगामे के बीच भाजपा विधायक शगुन परिहार ने आसन के सामने जाकर जनता की आवाज़ दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन महिला सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोक दिया। बावजूद इसके, परिहार पीछे नहीं हटीं। उनका कहना था कि “अगर सरकार जनता की बात नहीं सुनना चाहती, तो विपक्ष का मौन रहना भी गुनाह होगा।” उनके इस साहसिक कदम ने सदन के बाहर भी चर्चा छेड़ दी। शगुन परिहार के साथ दो अन्य भाजपा विधायक— आरएस पठानिया और सुरिंदर कुमार को सुरक्षाकर्मियों द्वारा बाहर ले जाया गया, जबकि वह केवल चर्चा की मांग कर रहे थे। हम आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सुनील शर्मा और शगुन परिहार जैसे नेता जनता की उम्मीदों के प्रतीक बनकर उभरे हैं— जो केवल नारे नहीं, बल्कि जमीनी सवाल लेकर सदन में खड़े हैं।
उधर, विपक्ष की एकजुटता देखकर सत्ता पक्ष के नेताओं ने बयानबाज़ी शुरू कर दी। नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक नजीर अहमद खान गुरेजी ने कहा कि “भाजपा सदस्य नाटक कर रहे हैं।” वहीं उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने तो हद ही पार कर दी, जब उन्होंने कहा, “चोर मचाए शोर।” इस टिप्पणी ने सदन का माहौल और गरमा दिया। भाजपा सदस्यों ने इस बयान को “जनता का अपमान” बताया और कहा कि “अगर जनता की तकलीफ़ें उठाना नाटक है, तो फिर इस सदन का अस्तित्व ही निरर्थक है।”
विपक्ष का कहना है कि बाढ़ राहत में देरी, राहत फंड के वितरण में अनियमितता और विभागीय भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर उमर अब्दुल्ला सरकार लगातार चुप्पी साधे बैठी है। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों को अब तक मुआवजा नहीं मिला, कई गांवों में सड़कें और पुल बह चुके हैं और राहत कार्य कागज़ों तक सीमित हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से इस्तीफे और जनता से “अधूरे वादों पर माफी” की मांग की।
दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि “भाजपा भ्रष्टाचार पर एक दिन 2 घंटे बहस रख ले दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। सबसे बड़ी भ्रष्ट पार्टी कोई है तो वे भाजपा है। भाजपा अपना 10 साल का भ्रष्टाचार छुपाने के लिए केवल और केवल NC पर आरोप लगा रही है। हमारा दामन साफ है।”
देखा जाये तो जम्मू-कश्मीर विधानसभा के घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति को एक बार फिर आईना दिखाया है— जहां सत्ता पक्ष संवेदनशील मुद्दों पर बहस से बचता दिख रहा है, वहीं विपक्ष ने जनता की तकलीफ़ों को प्राथमिकता पर रखा है।

