भारत के दरवाज़े पर दस्तक नहीं, बल्कि सीधी चोट कर रही है— नशे की यह साजिश! यह अब सिर्फ़ कानून-व्यवस्था या स्वास्थ्य की समस्या नहीं रही, बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, युवा शक्ति और भविष्य पर सुनियोजित हमला है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और म्यांमार से आने वाली ड्रग्स की खेप केवल तस्करी नहीं, बल्कि भारत को भीतर से खोखला करने की विदेशी चाल है। भारत के युवाओं को नशे की अंधेरी दुनिया में धकेलकर हमारी ताकत, हमारी जनशक्ति और हमारी राष्ट्रीय चेतना को कमजोर करने की साजिश अब खुलकर सामने आ चुकी है।
भारत एक ऐसे भौगोलिक जाल में फंसा है, जिसके एक ओर “गोल्डन क्रिसेंट” यानी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और ईरान हैं, तो दूसरी ओर “गोल्डन ट्रायंगल” जिसमें म्यांमार, लाओस और थाईलैंड शामिल हैं—ये दोनों क्षेत्र विश्व के सबसे बड़े अवैध अफीम उत्पादन के केंद्र हैं। पाकिस्तान तो पहले ही आतंकवाद की नर्सरी बन चुका है, और अब वह ड्रग्स के जरिए भारत के हर राज्य और हर युवा के घर तक अपना ज़हर पहुंचाने में लगा है। पंजाब सीमा पर ड्रोन से हो रही ड्रग्स की तस्करी इसका साफ़ प्रमाण है।
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कभी चाय की पत्ती के पैकेट में, कभी कार की बनावटी बॉडी में, तो कभी समुद्री कंटेनरों में छिपाकर—नशे का ये नेटवर्क धीरे-धीरे भारत की धरती पर अपने पैर पसार रहा है। हालिया घटनाओं ने दिखा दिया कि यह ड्रग्स सिर्फ युवाओं को बर्बाद नहीं करती, बल्कि उसकी कमाई आतंकवाद, मनी लॉन्ड्रिंग और कट्टरपन की फैक्ट्री को ईंधन देती है। यही है ड्रग्स तस्करी और आतंक के बीच खतरनाक नार्को-टेरर गठजोड़।
देखा जाये तो आज भारत सिर्फ उपभोक्ता नहीं, बल्कि ट्रांज़िट रूट भी बन चुका है। अंडमान सागर में पकड़ी गई 5.5 टन मेथामफेटामीन की खेप ने यह साबित कर दिया था कि ये ड्रग कार्टेल अब समुद्री रास्तों, डार्कनेट, क्रिप्टोकरेंसी और फर्जी कंपनियों के जरिए अरबों का खेल खेल रहे हैं।
अब प्रश्न यह नहीं है कि भारत क्या कर रहा है, बल्कि यह है कि भारत को अब क्या करना चाहिए? सिर्फ NDPS एक्ट या मनी ट्रेल की जांच काफी नहीं। भारत को एक आक्रामक नैशनल ड्रग डिफेंस स्ट्रैटेजी बनानी ही होगी। आतंकवाद की तरह ही ड्रग्स के खिलाफ भी “Zero Tolerance” नहीं, बल्कि “Zero Mercy” नीति लागू करनी होगी। भारत के युवाओं को अगर बचाना है, भारत के भविष्य को अगर सुरक्षित रखना है, तो नशे के इस हमले का जवाब गोली या गाली से नहीं, बल्कि गंभीर रणनीति और कठोर कार्रवाई से देना होगा। बहरहाल, अब वक्त आ गया है कि नशे की इस विदेशी साजिश के खिलाफ भारत एकजुट हो और इस जंग को सिर्फ कानून नहीं, बल्कि राष्ट्र की लड़ाई समझकर लड़े!

