माता-पिता और यौन संबंधों पर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर रणवीर इलाहाबादिया द्वारा की गईं आपत्तिजनक टिप्पणियों की देशभर में व्यापक पैमाने पर आलोचना होने के बाद यूट्यूबर ने माफी मांग ली है। लेकिन उन टिप्पणियों ने अश्लीलता ही नहीं बल्कि सामाजिक मर्यादा की भी सीमा जिस तरह लांघी है उसको देखते हुए इस मामले में कड़ी से कड़ी सजा दी ही जानी चाहिए। लेकिन सवाल यह है कि यह कड़ी सजा कैसे मिलेगी जब कड़े कानून ही नहीं हैं। भारत जब विकसित बनने और आत्मनिर्भरता का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है तो इन कदमों को रोकने के लिए युवाओं को भ्रमित करने का काम तेजी से चल रहा है। इसके लिए अश्लील फिल्मों, अश्लील वेब सीरिजों, अश्लील सीरियलों, अश्लील कॉमेडी, अश्लील डायलॉग और तमाम तरह की अश्लीलता परोसने वाले मोबाइल एप्स का सहारा लिया जा रहा है। आपने देखा होगा कि अक्सर इस तरह के मामलों में छापेमारी होती है, गिरफ्तारियां होती हैं, कुछ दिन तक यह खबरें मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक छाई रहती हैं, फिर कुछ दिनों बाद सब सामान्य हो जाता है और तब फिर से चर्चा शुरू होती है जब कोई नया मामला सामने आता है। इससे स्पष्ट है कि कानून का खौफ किसी के मन में नहीं है वरना पहले वाले केस में यदि किसी को कड़ी सजा मिली होती तो दूसरा केस आया ही नहीं होता।
रणवीर इलाहाबादिया मामले में तो जो वीडियो वायरल हुआ है उसमें उनके तथा समय रैना के अलावा एक युवती भी अमर्यादित बातें कह रही है। स्पष्ट है कि युवाओं को अश्लीलता की राह पर धकेलने का षड्यंत्र तेजी से सफल हो रहा है। सवाल उठता है कि यह सब कैसे रोका जाये? इस संबंध में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात श्री अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि देश में अश्लीलता नियंत्रण कानून बनाये जाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय समाज, भारतीय सभ्यता, भारतीय परंपरा, भारतीय संस्कृति, भारतीय संस्कार और युवाओं को बर्बाद करने के लिए ट्विटर फेसबुक इंस्टाग्राम यूट्यूब पर अश्लीलता परोसी जा रही है जिसे रोका जाना बेहद जरूरी है।
हम आपको बता दें कि रणवीर ने हास्य कलाकार समय रैना के यूट्यूब रियलिटी कार्यक्रम ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ में एक प्रतियोगी से उसके माता-पिता और यौन संबंधों को लेकर सवाल करते हुए एक विवादास्पद टिप्पणी की, जिसके कारण कई लोगों ने उनके ‘पॉडकास्ट’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की है। उल्लेखनीय है कि यह कार्यक्रम अपनी तीखी और आपत्तिजनक विषय-वस्तु के कारण कुछ वर्गों के बीच लोकप्रिय है। रणवीर इलाहाबादिया के ‘एक्स’ पर छह लाख से अधिक, इंस्टाग्राम पर 45 लाख से अधिक ‘फॉलोअर’ और यूट्यूब चैनल पर 1.05 करोड़ ‘सब्सक्राइबर’ हैं।
हम आपको बता दें कि जैसे ही रणवीर की टिप्पणी और जोरदार ठहाकों की क्लिप वायरल हुई, इलाहाबादिया और रैना का शो तेजी से ‘ट्रेंड’ करने वाला विषय बन गया तथा इस बात पर तीखी बहस शुरू हो गई कि शालीनता क्या है और ‘कॉमेडी’ क्या है। मुंबई में इलाहाबादिया और शो से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ भाजपा और कांग्रेस के सदस्यों ने शहर की पुलिस और बांद्रा अदालत में दो मामले दर्ज कराए। गुवाहाटी पुलिस ने भी इलाहाबादिया और चार अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इलाहाबादिया की आपत्तिजनक टिप्पणी से उपजे विवाद के बीच यूट्यूब से ‘‘तत्काल कदम उठाने’’ और उस एपिसोड को हटाने को कहा जिसमें उन्होंने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग ने ऐसे कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की, जो ‘‘लगातार आपत्तिजनक और अश्लील टिप्पणियों के कारण युवाओं के दिमाग को प्रभावित कर सकते हैं।’’ राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) ने भी केंद्र से विभिन्न ‘ओवर-द-टॉप’ (ओटीटी) मंचों और सोशल मीडिया ‘स्ट्रीमिंग साइट’ पर अश्लील ‘कंटेंट’ (सामग्री) के बढ़ते चलन से संबंधित गंभीर चिंताओं के समाधान के लिए तत्काल नियामकीय उपाय करने को कहा है। इसके अलावा, कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं ने भी इलाहाबादिया की टिप्पणी को लेकर उनकी आलोचना करते हुए कार्रवाई की मांग की है। वहीं, गायक बी प्राक ने विवाद के बाद रणवीर इलाहाबादिया के पॉडकास्ट में जाने से इंकार कर दिया है। बी प्राक ने कहा कि इलाहाबादिया की टिप्पणी भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं करती है।