सुप्रीम कोर्ट सोमवार, 28 जुलाई को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें उनके खिलाफ तीन न्यायाधीशों के पैनल की रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की गई है। न्यायमूर्ति वर्मा ने पिछले हफ़्ते सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर ‘नकदी बरामदगी मामले’ में उनके खिलाफ तीन न्यायाधीशों के आंतरिक जाँच पैनल के निष्कर्षों को चुनौती दी थी। याचिका में पैनल की रिपोर्ट को खारिज करने की मांग की गई है, जिसमें पुख्ता सबूत मिले थे और साथ ही तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा उनके खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश को भी चुनौती दी गई है। अपनी याचिका में न्यायमूर्ति वर्मा ने तर्क दिया कि जांच में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया है तथा आरोप लगाया कि उन्हें निष्पक्ष सुनवाई तथा गवाहों से जिरह करने का अवसर नहीं दिया गया।
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उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि जांच समिति ने गलती से सबूत का भार उन पर डाल दिया, तथा उनसे उस तथ्य को गलत साबित करने को कहा, जिसे समिति ने कल्पना मान लिया था। स्थित आवास पर आग लगने के बाद भारी मात्रा में नकदी मिली थी, जिसके बाद उनके खिलाफ जाँच शुरू की गई। इस बीच, लोकसभा में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया गया है, जिस पर 152 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं और इसे अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपा गया है। कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, जेडीएस और सीपीएम सहित कई दलों के सांसदों द्वारा समर्थित यह प्रस्ताव एक ‘नकदी बरामदगी मामले’ और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत एक रिपोर्ट से संबंधित है।
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राज्यसभा में भी पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने की मांग वाला एक प्रस्ताव मिला, जिस पर सोमवार को उनके इस्तीफे से कुछ घंटे पहले 50 से अधिक राज्यसभा सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे।