आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह कहकर एक नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है कि वे शासन और प्रशासन के लिए नोबेल पुरस्कार के हकदार हैं। पंजाब के मोहाली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने कहा कि जब तक हमारी सरकार दिल्ली में सत्ता में थी, तब तक हमें काम करने की अनुमति नहीं दी गई, फिर भी हमने काम किया। मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मैंने दिल्ली में जितना काम किया है, उसके लिए मुझे शासन और प्रशासन का नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए।
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केजरीवाल लंबे समय से दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर राष्ट्रीय राजधानी में आप के प्रयासों को पटरी से उतारने के लिए केंद्र सरकार के निर्देशों पर काम करने का आरोप लगाते रहे हैं। उन्होंने अपना आरोप दोहराया कि भाजपा ने आप द्वारा शुरू की गई पहलों को सक्रिय रूप से विफल करने के लिए नगर निगम का इस्तेमाल किया। उन्होंने कहा कि आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आप ने इतनी कठिनाइयों का सामना करते हुए दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक बनाए। इन लोगों ने अपने भाजपा शासित नगर निगम पर बुलडोजर भेजकर पाँच मोहल्ला क्लीनिक ध्वस्त कर दिए। उन्हें क्या मिला? नगर निगम ने सभी सरकारी मोहल्ला क्लीनिक ध्वस्त कर दिए।
केजरीवाल ने कहा कि 26 नवंबर 2012 को जब आम आदमी पार्टी का रजिस्ट्रेशन हुआ तो सभी मीडिया वालों ने कहा कि इनकी जमानत ज़ब्त हो जाएगी। लेकिन एक साल बाद चुनाव में 28 सीट आई और हमारी सरकार बन गई। 49 दिन की सरकार में हमने कुछ तो क्रांतिकारी काम किए थे। जब देश में मोदी जी की आंधी चल रही थी और वो सभी चुनाव जीत रहे थे तब हमने फिर से दिल्ली के चुनाव में 67 सीट लेकर सरकार बनाई।
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उन्होंने कहा कि हमने 49 दिन की सरकार में कुछ तो करिश्मा किया था जो 67 सीट लेकर मोदी जी का अश्वमेध का रथ रोक दिया था। 5 साल सरकार चलाने के बाद फिर से 62 Seats के साथ सरकार बनाई। हमने जो भी किया उसे जैस्मिन शाह जी ने अपनी किताब ‘केजरीवाल मॉडल’ में उतारा है। उन्होंने कहा कि मैंने और मनीष जी ने 10 साल झुग्गियों में काम किया था। वहाँ स्कूलों के बुरे हाल थे। अस्पताल बदहाल थे। बिजली और पानी नहीं आता था लेकिन बिल हज़ारों में आते थे। इसलिए हमने तय किया कि 200 यूनिट बिजली और 20,000 लीटर पानी मुफ्त देंगे जो जनता की बुनियादी जरूरत है।