भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को मालदीव के स्वतंत्रता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। यह द्वीपीय राष्ट्र अपनी हीरक जयंती स्वतंत्रता की 60वीं वर्षगांठ राजधानी माले में आयोजित एक भव्य समारोह के साथ मना रहा है। इस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति महीनों के कूटनीतिक तनाव के बाद भारत-मालदीव संबंधों में आए सकारात्मक बदलाव को दर्शाती है।
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विदेश मंत्री जयशंकर ने दी शुभकामनाएँ
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी मालदीव की जनता और सरकार को उनके 60वें स्वतंत्रता दिवस पर शुभकामनाएँ दीं। सोशल मीडिया पर एक संदेश साझा करते हुए कहा कि मालदीव की सरकार और जनता को उनकी स्वतंत्रता की हीरक जयंती के अवसर पर बधाई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ आज माले में इस समारोह में शामिल होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। हम दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 60 वर्ष पूरे होने का भी जश्न मना रहे हैं। हम हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए अपनी साझेदारी को और मज़बूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।
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प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव के उपराष्ट्रपति से मुलाकात की
समारोह के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव के उपराष्ट्रपति उज़. हुसैन मोहम्मद लतीफ़ के साथ बैठक की। दोनों नेताओं ने बुनियादी ढाँचे, प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सहित प्रमुख क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के अवसरों पर चर्चा की। बैठक के बाद, प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया उपराष्ट्रपति उज़. हुसैन मोहम्मद लतीफ़ के साथ बहुत अच्छी बैठक हुई। हमारी चर्चा भारत-मालदीव मैत्री के प्रमुख स्तंभों पर केंद्रित रही। हमारे देश बुनियादी ढाँचे, प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा आदि क्षेत्रों में मिलकर काम करना जारी रखेंगे। यह हमारे लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है। हम आने वाले वर्षों में इस साझेदारी को और गहरा करने की आशा करते हैं।
भारत और मालदीव के संबंध
भारत और मालदीव के बीच गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंध हैं। हालाँकि, मालदीव के नेतृत्व में राजनीतिक बदलावों और क्षेत्र में विदेशी प्रभाव को लेकर चिंताओं के कारण हाल ही में संबंधों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। स्वतंत्रता दिवस समारोह में प्रधानमंत्री मोदी की भागीदारी द्विपक्षीय संबंधों को फिर से स्थापित करने और सुदृढ़ करने के नए प्रयासों का संकेत है। दोनों देश राजनयिक संबंधों के 60 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, ऐसे में क्षेत्रीय शांति और सहयोग के प्रति प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि को एक समयोचित और महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।