आज यानी की 26 अगस्त को पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी अपना 69वां जन्मदिन मना रही हैं। जब भी राजनीति में गांधी परिवार का जिक्र होता है, तो मेनका गांधी का नाम सोनिया गांधी से पहले लिया जाता है। क्योंकि मेनका गांधी ने भारतीय राजनीति में पहले कदम रखा था। बता दें कि मेनका गांधी ने अपना पहला चुनाव राजीव गांधी के खिलाफ लड़ा था। मेनका गांधी का जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और हमेशा आगे बढ़ती रहीं। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर मेनका गांधी के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और परिवार
नई दिल्ली में 26 अगस्त 1956 को मेनका गांधी का जन्म हुआ था। उनको 17 साल की उम्र में पहला मॉडलिंग ब्रेक मिला था। मेनका गांधी को बॉम्बे डाइंग के एड को देख पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी उनके दीवाने हो गए। जिसके बाद साल 1973 में मेनका और संजय की पहली मुलाकात हुई। जोकि जल्द ही प्यार में बदल गई। हालांकि दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन यह रिश्ता इंदिरा गांधी को नामंजूर था। लेकिन 23 सितंबर 1974 में 18 साल की मेनका की 10 साल बड़े संजय गांधी से शादी हो गई।
संजय गांधी की मृत्यु
वहीं साल 1982 में एक एयर क्रैश में संजय गांधी का निधन हो गया। वहीं राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा आयोजित रैलियों में मेनका गांधी द्वारा हिस्सा लेने और सत्ता हासिल करने के शक में इंदिरा गांधी ने उनको घर से निकाल दिया। उस समय मेनका गांधी की उम्र 23 साल और वरुण गांधी सिर्फ 100 दिन के थे। ऐसे में मेनका गांधी की जिंदगी काफी संघर्षमय हो गई थी। हालांकि इससे पहले गांधी परिवार में रहते हुए संजय गांधी के साथ मेनका अक्सर दौरों पर जाती थीं। लेकिन पति की मौत के बाद मेनका गांधी के लिए सब बदल गया था।
राजनीतिक जीवन
ससुराल से निकलने के बाद मेनका गांधी ने पति संजय गांधी के ट्रक बेचकर पैसे इकट्ठा किए। फिर उन्होंने किताबें और मैगजीन लिखना शुरू किया और धीरे-धीरे खुद को स्थापित करने लगीं। मेनका ने राष्ट्रीय संजय मंच का गठन किया और आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने पांच में से चार सीटें जीतीं। साल 1984 में मेनका गांधी ने राजीव गांधी के खिलाफ अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन इस दौरान उनको हार मिली।
फिर साल 1988 में मेनका गांधी वीपी सिंह की जनता दल में शामिल हो गईं। साल 1989 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी पहली बार सांसद बनीं और फिर केंद्रीय मंत्री भी बनीं। इसके बाद मेनका गांधी को कभी पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी। वह लगातार पीलीभीत से सांसद चुनी गईं।