मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफा देने के बाद भाजपा के अगले कदम को लेकर अटकलों का दौर जारी है। शीर्ष सरकारी सूत्रों ने कहा कि राज्य राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ सकता है। हालांकि, यह भी बताया जा रहा है कि कुकी विधायकों सहित हितधारकों के साथ सरकार गठन के विकल्प तलाशने के बाद ही इस पर फैसला हो सकता है। मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 174 के खंड (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 12वीं मणिपुर विधानसभा के सातवें सत्र को आहूत करने के पिछले निर्देश को तत्काल प्रभाव से अमान्य घोषित कर दिया है।
संवैधानिक आदेश के अनुसार, अगला मणिपुर विधानसभा सत्र 12 फरवरी से पहले आयोजित किया जाना चाहिए और उससे 15 दिन पहले अध्यक्ष को घोषणा करनी होगी। राज्य कैबिनेट की सिफारिश के बाद ही स्पीकर सत्र बुला सकते हैं। अगर सत्र नहीं हुआ तो राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को सदन को निलंबित रखते हुए राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करनी होगी। भाजपा के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा ने अगली रणनीति की योजना बनाने के लिए सोमवार को मणिपुर के विधायकों के साथ गहन बातचीत की। विधायकों की और भी बैठकें होने की उम्मीद है। सूत्रों ने कहा कि अगर नई सरकार बनती है तो वह जेडीयू और एनपीपी सहित गठबंधन सहयोगियों का एक संयोजन होगी।
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मणिपुर के मंत्री वाई खेमचंद ने सोमवार को कहा कि राज्य में नेतृत्व संकट को हल करने के लिए पार्टी आलाकमान जो भी निर्णय लेगा, भाजपा नेता उसका पालन करेंगे। खेमचंद ने यह बयान भाजपा के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा द्वारा यहां एक होटल में पार्टी के कई विधायकों के साथ बंद कमरे में बैठक किए जाने के तुरंत बाद दिया। पार्टी सूत्रों के अनुसार, पात्रा ने विधानसभा अध्यक्ष थोकचोम सत्यब्रत, शिक्षा मंत्री थौनाओजम बसंत कुमार सिंह, भाजपा विधायक टी. राधेश्याम और नगरपालिका प्रशासन एवं आवास विकास मंत्री खेमचंद से अलग-अलग मुलाकात की।
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मणिपुर इकाई में बढ़ते असंतोष और नेतृत्व परिवर्तन की मांग के बीच एन बीरेन सिंह ने रविवार को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से अपना इस्तीफा सौंप दिया था। राज्यपाल ने उनके तथा उनकी मंत्रिपरिषद के इस्तीफे को स्वीकार कर लिया था तथा उनसे वैकल्पिक व्यवस्था होने तक पद पर बने रहने का अनुरोध किया था।