30 देशों के मिलिट्री संगठन नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन यानी नाटो के चीफ ने रूस का नाम लेकर भारत और चीन को सरेआम धमकी दी है। अकड़ और अहंकार में नाटो चीफ ने कहा है कि आप चीन के राष्ट्रपति हो, भारत के प्रधानमंत्री हो या फिर ब्राजील के राष्ट्रपति अगर आप अभी भी रूस के साथ बिजनेस कर रहे हैं और उनका गैस खरीद रहे हैं तो आप समझ लीजिए कि मॉस्को में बैठा आदमी यानी पुतिन शांति वार्ता को गंभीरता से नहीं लेगा तो इसका खामियाजा आपको भुगतना पड़ेगा। पुतिन ने अगर शांति वार्ता पर साइन नहीं किया तो इसकी कीमत भारत और चीन को चुकानी पड़ेगी। भारत और चीन को धमकी नाटो चीफ मार्क रुटे की तरफ से मिली है। मार्क रूटे ने गैर कूटनीतिक शब्दावली का इस्तेमाल करते हुए भारत, चीन और ब्राजील को रूस के साथ बिजनेस न करने की चेतावनी दी है। मार्क रुट ने खासतौर से कहा है कि चीन और भारत जैसे देश अगर रूस के साथ व्यापार करना जारी रखते हैं तो उन पर 100 प्रतिशत के सेकेंड्री सेंक्शन लगाए जा सकते हैं।
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भारत और चीन को धमकी दिए जाने के पीछे एक बहुत बड़ा खेल है। दरअसल, ये बयान नाटो चीफ मार्क रुट जरूर दिया हो। लेकिन वो भाषा डोनाल्ड ट्रंप की ही बोल रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप बौखलाहट में भारत और चीन पर बार बार अमेरिका से ट्रेड डील करने का दबाव बना रहे हैं। ट्रंप चाहते हैं कि दुनिया की दो सबसे बड़ी मार्केट भारत और चीन रूस नहीं बल्कि अमेरिका के साथ व्यापार करें और वो भी अमेरिका की ही शर्तों पर। लेकिन ट्रंप की अकड़ का असर भारत और चीन पर रत्ती भर भी नहीं पड़ रहा है। भारत और चीन लगातार रूस से व्यापार कर रहे हैं और व्यापार को बढ़ा भी रहे हैं। ऐसे में ट्रंप की आवाज बनकर नाटो चीफ सामने आ गए। नाटो चीफ का बयान साफ करता है कि भारत और चीन को दुनिया के सबसे बड़े मिलिट्री संगठन की तरफ से चेतावनी मिल रही है। यानी भारत और चीन को डराया जा रहा है।
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लेकिन इन सब से भी भारत और चीन को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। बल्कि भारत ने तो एक ऐसा बयान दे दिया है, जिसे सुनकर नाटो देश और ट्रंप का सिर चकरा जाएगा। भारत ने कहा है कि अगर हम लगातार रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदते तो दुनियाभर में तेल की कीमतें आसमान छूने लगती। अगर कोई भी रूस से तेल नहीं खरीदता तो तेल कीमतें दुनियाभर में 120 से 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाती। भारत ने रूस के साथ 60 बिलियन डॉलर का तेल रूस से खरीदा है।
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इसमें सबसे दिलचस्प बात ये है कि अमेरिका जो यूरेनियम इस्तेमाल करता है, वो रूस से ही आता है। अमेरिका के डबल स्टैंडर्ड का पता इसे से चलता है कि उसने रूस पर 21 हजार से ज्यादा प्रतिबंध लगाए हुए हैं। जिससे दुनिया पर फर्क पड़े। लेकिन खुद वो रूस से यूरेनियम खरीदता है। अमेरिका की छवि दोस्त देशों के साथ लगातार देखने को मिली है। ट्रंप की तरफ से 50 दिन का अल्टीमेटम दिया गया है। लेकिन यूरेपियन देश भारत और चीन से रिफाइन हुआ तेल खरीदते हैं, वो खरीदना बंद नहीं करेंगे। लेकिन भारत और चीन पर रूस के साथ व्यापार बंद करने का दवाब बनाने की कोशिश कर रहे हैं।