मानसून का इंतजार देश को बड़ी बेसब्री से रहता है। लेकिन इस बार मानसून जिस तरह बड़ी जल्दी आ गया और आते ही तबाही मचाने लगा उससे चिंताएं बढ़ गयी हैं। मानसून ने केवल केरल ही नहीं बल्कि लक्षद्वीप, दक्षिण अरब सागर, पश्चिम-मध्य और पूर्व-मध्य अरब सागर के कुछ हिस्सों और कर्नाटक तथा महाराष्ट्र के कुछ भागों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। हम आपको बता दें कि दक्षिण-पश्चिमी मानसून सामान्यतः एक जून तक केरल में प्रवेश करता है और आठ जुलाई तक पूरे देश में पहुंचता है। उत्तर-पश्चिमी भारत से इसकी वापसी 17 सितंबर के आसपास शुरू हो जाती है और 15 अक्टूबर तक यह पूरी तरह से वापस चला जाता है। आईएमडी के आंकड़ों के अनुसार, मानसून केरल में सबसे जल्दी 1990 में (19 मई को) पहुंचा था जो सामान्य तिथि से 13 दिन पहले था।
केरल के हालात
मानसून की तीव्रता से प्रभावित राज्यों की बात करें तो आपको बता दें कि केरल में शनिवार को मानसून के समय से पहले पहुंचने के बीच भारी बारिश और तेज हवाओं के कारण घरों और फसलों को नुकसान पहुंचा, बिजली आपूर्ति बाधित हुई और सड़कों पर जलभराव हो गया। राज्य के विभिन्न भागों में उखड़े हुए पेड़ों और टूटी शाखाओं के कारण घरों और वाहनों को नुकसान पहुंचा तथा बिजली के खंभों के उखड़ जाने से कई क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति बाधित हुई। मानसून के आगमन और आईएमडी द्वारा जारी रेड अलर्ट के मद्देनजर केरल के मुख्यमंत्री पिनरायी विजयन ने कहा कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए सरकार अगले एक सप्ताह तक अलर्ट पर रहेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की नौ टीम की तैनाती के लिए केंद्र को पत्र भेजा गया है। उन्होंने कहा, “भूस्खलन की आशंका वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को एहतियात के तौर पर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के निर्देश भी दिए गए हैं। राज्य के सभी तालुका कार्यालयों में नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं।” उन्होंने आम जनता को भारी बारिश के मद्देनजर सावधानी बरतने और केवल सुरक्षित स्थानों तक यात्रा करने की सलाह दी। इस बीच, जिला अधिकारियों ने बताया कि भारी बारिश जारी रहने के कारण वायनाड के सुल्तान बाथरी के पुजमकुनी गांव से कई आदिवासी परिवारों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। उन्होंने बताया कि बाथरी में राहत शिविर खोले गए हैं और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम भी जिले में तैनात है।
त्रिशूर जिले में लगातार हो रही बारिश के कारण पेड़ों के व्यापक रूप से उखड़ जाने से खतरा बढ़ गया और विभिन्न स्थानों पर यातायात बाधित हो गया, जिससे दमकल कर्मचारियों और पुलिस को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। अधिकारियों ने बताया कि तेज हवाओं और लगातार बारिश के कारण अट्टापडी और नेल्लियामपथी क्षेत्रों सहित पलक्कड़ जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सूत्रों ने बताया कि कोझिकोड जिले में रविवार से लगातार हो रही भारी बारिश के कारण वहां से (कोझिकोड से) कई लोगों को पड़ोसी कोझिकोड जिले के राहत शिविरों में पहुंचाया गया है। कोझिकोड जिला प्रशासन ने स्थानीय निवासियों से सतर्क रहने का आग्रह किया है, क्योंकि पूनूर पुझा का जलस्तर कोलिकल में खतरे के स्तर से ऊपर और कुन्नमंगलम में चेतावनी स्तर से ऊपर पहुंच गया है। केरल आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (केएसडीएमए) ने कोरापुझा (कोझिकोड), मणिमाला नदी (पथनमथिट्टा), वामनपुरम (तिरुवनंतपुरम) और काबिनी नदी (वायनाड) के तट पर रहने वाले लोगों से अतिरिक्त सतर्कता बरतने का आग्रह किया है, क्योंकि क्षेत्र में ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किया है।
महाराष्ट्र के हालात
दूसरी ओर, दक्षिण-पश्चिम मानसून ने रविवार को महाराष्ट्र में भी दस्तक दी। इसी के साथ राज्य में 35 वर्षों में पहली बार इतनी जल्दी मानसून पहुंचा है। आईएमडी ने बताया कि 1990 में दक्षिण-पश्चिम मानसून ने 20 मई को महाराष्ट्र में दस्तक दी थी। महाराष्ट्र में तटीय कोंकण क्षेत्र और मुंबई में पिछले तीन दिनों से भारी मानसून-पूर्व वर्षा हो रही है। पुणे के बारामती और इंदापुर तहसीलों में रविवार को भारी बारिश हुई, जिससे कई इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। मुंबई में भी सोमवार सुबह हुई भारी बारिश के कारण मध्य रेलवे की हार्बर लाइन पर वडाला रोड और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) के बीच उपनगरीय ट्रेन सेवाएं सुबह 10 बजकर 25 मिनट से स्थगित कर दी गईं, जबकि महानगर के कई इलाकों में जलभराव की खबर है। इस बीच, महाराष्ट्र के आपदा प्रबंधन मंत्री गिरीश महाजन ने मुंबई में भारी बारिश के मद्देनजर BMC के आपदा प्रबंधन विभाग का दौरा किया और कहा कि यह पहली बार है कि प्री-मानसून में इतनी बारिश हो रही है। उन्होंने कहा कि मैं लोगों से अनुरोध करता हूं कि बिना किसी काम के अपने घरों से बाहर न निकलें… सभी टीमें अलर्ट पर हैं।”
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वहीं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने आज पुणे जिले की बारामती तहसील का दौरा कर बारिश के कारण उत्पन्न हालात का जायजा लिया। उन्होंने कहा कि पुणे की तीन तहसीलों में मई में हुई बारिश पिछले 50 वर्षों में अभूतपूर्व है। हम आपको बता दें कि रविवार को बारामती, इंदापुर और दौंडा तहसीलों में भारी बारिश हुई, जिसके कारण राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल को जिला कलेक्टर के तत्काल अनुरोध पर दो विशेष टीमों को तैनात करना पड़ा।
कर्नाटक में वर्षा जनित हादसा
वहीं कर्नाटक में बेलगावी जिले के गोकक कस्बे में आज सुबह भारी बारिश के बीच एक घर की दीवार गिर जाने से तीन साल की बच्ची की मौत हो गई। पुलिस ने बताया कि मृतक बच्ची की पहचान कृतिका के रूप में हुई है। घटना में उसकी (कृतिका की) मां रेशमा और छोटी बहन खुशी को चोटें आई हैं, लेकिन वे सुरक्षित बताई जा रही हैं। पुलिस के अनुसार, यह घटना सुबह करीब साढ़े सात बजे महालिंगेश्वर नगर में हुई। कृतिका अपनी बहन खुशी के साथ सो रही थी, तभी भारी बारिश के बीच पड़ोसी के घर की दीवार उनके ऊपर गिर गई।
मध्य प्रदेश में भी जल्द होगी दस्तक
इस बीच, दक्षिण-पश्चिम मानसून के जून के पहले सप्ताह की शुरुआत में मध्य प्रदेश पहुंचने की उम्मीद है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। पिछले साल, मानसून 21 जून को मध्य प्रदेश में आया था और 2023 में यह 24 जून को आया था। मध्य प्रदेश में मानसून आम तौर पर 16 जून के आसपास दस्तक देता है।
दिल्ली में तैयारियां तेज
उधर, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने चेतावनी दी है कि अगर किसी भी इलाके में जलभराव की सूचना मिली तो संबंधित क्षेत्र के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले माह अधिकारियों को हर जलभराव बिंदु के लिए जिम्मेदार बनाया गया था और हाल ही में हुई बारिश में मिंटो ब्रिज अंडरपास के जलमग्न होने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि जलभराव बिंदुओं की निगरानी के लिए तैनात अधिकारी अपना काम ठीक से करें, नहीं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।’’
इस बीच, IMD वैज्ञानिक नरेश कुमार ने कहा, उत्तर पूर्वी राज्यों में भी बारिश हो सकती है। दिल्ली पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव में थी… इसका असर आज भी रहेगा। एनसीआर में आज हल्की बारिश हो सकती है… कल से तापमान बढ़ सकता है।”
जल्दी क्यों आ गया मानसून?
जहां तक यह सवाल है कि दक्षिण-पश्चिम मानसून जल्दी क्यों आया उसके पीछे बताया जा रहा है कि वायुमंडलीय और समुद्री परिस्थितियाँ अनुकूल रही हैं। मौसम विभाग के अनुसार, अरब सागर में एक निम्न दबाव क्षेत्र और विदर्भ क्षेत्र तक फैली एक ट्रफ रेखा बनी, जिससे नमी और वायुमंडलीय संवहन में वृद्धि हुई और मानसून की गति तेज हो गई। इस तेज़ प्रगति के पहले संकेत 13 मई को दक्षिण अंडमान सागर और आस-पास के क्षेत्रों में मानसून के आगमन से मिले थे जो सामान्य तिथि 21 मई से पहले था। यह प्रारंभिक आगमन मानसून की गति को तेज करने में सहायक रहा।
हम आपको बता दें कि आईएमडी ने अप्रैल में इस साल मानसून में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान जताया था जिससे अल नीनो की स्थिति की संभावना खारिज हो गई थी। दरअसल अल नीनो प्रणाली भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा से जुड़ी है। इसके अलावा, हिमालय क्षेत्र में कम हिमपात भी एक अन्य सहायक कारक माना जा रहा है, क्योंकि कम बर्फ अधिक सक्रिय मानसून से जुड़ा होता है। दूसरी ओर, मानसून की यह तेजी उन प्रमुख क्षेत्रों को लाभ पहुंचा सकती है जो इस पर निर्भर हैं, जैसे कृषि, मत्स्य पालन और पशुपालन। भारत के कृषि क्षेत्र के लिए मानसून बेहउ महत्वपूर्ण है। कृषि क्षेत्र लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी की आजीविका में सहयोग प्रदान करता है और देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है। मानसून देश भर में पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए अहम जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
मानसून की चाल पर नजर
हम आपको यह भी बता दें कि आईएमडी ने बताया है कि मानसून रविवार को अरब सागर के कुछ और हिस्सों, कर्नाटक, पूरे गोवा, महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों, उत्तरी बंगाल की खाड़ी तथा मिजोरम के कुछ हिस्सों, मणिपुर और नगालैंड के कुछ हिस्सों तक पहुंच गया। बयान में कहा गया है कि मानसून की मौजूदा उत्तरी सीमा देवगढ़, बेलगावी, कावेरी, मांड्या, धर्मपुरी, चेन्नई, आइजोल और कोहिमा आदि है। आईएमडी ने कहा, ‘‘मानसून के मध्य अरब सागर के कुछ और हिस्सों, मुंबई सहित महाराष्ट्र के कुछ और हिस्सों, बेंगलुरु सहित कर्नाटक, आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों, तमिलनाडु के शेष हिस्सों, पश्चिम-मध्य और उत्तरी बंगाल की खाड़ी के कुछ और हिस्सों तथा अगले तीन दिनों के दौरान पूर्वोत्तर राज्यों के कुछ और हिस्सों में आगे बढ़ने के लिए परिस्थितियां अनुकूल हैं।’’