बिहार चुनाव को लेकर उठा-पटक जारी है। सीट बंटवारें के बाद भी एनडीए में हलचल तेज है। केंद्रीय मंत्री और हम (एस) के संरक्षक जीतन राम मांझी का भी बड़ा बयान आया है। जीतन राम मांझी ने कहा कि उनका गुस्सा जायज़ है। मैं उनके गुस्से से सहमत हूँ। जब फ़ैसला हो चुका है, तो जेडी(यू) को आवंटित सीटों पर कोई और अपना उम्मीदवार क्यों उतार रहा है? उनकी बात से सहमत होते हुए मैं भी बोधगया और मखदुमपुर में अपने उम्मीदवार उतारूँगा…नीतीश कुमार के फ़ैसले से सहमत होते हुए मैं दो सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार रहा हूँ। सूची तैयार है…एनडीए बहुमत से जीतेगा।
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वहीं, भागलपुर से जदयू सांसद अजय कुमार मंडल ने मंगलवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर अपने संसदीय पद से इस्तीफा देने की अनुमति मांगी। पत्र में उन्होंने टिकट वितरण प्रक्रिया पर कड़ी नाराजगी जताई और संगठन पर स्थानीय नेतृत्व की अनदेखी का आरोप लगाया। मंडल ने कहा कि पिछले 20-25 वर्षों से संगठन और जनता की सेवा करने के बावजूद, बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए उनके निर्वाचन क्षेत्र में टिकट वितरण से संबंधित मामलों में उनकी राय को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि पार्टी के भीतर कुछ लोग उनसे सलाह लिए बिना उनके लोकसभा क्षेत्र में टिकट बांट रहे हैं और संगठन के भीतर समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है। इस बीच, जदयू के मौजूदा विधायक गोपाल मंडल ने मंगलवार को पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 1 अणे मार्ग स्थित सरकारी आवास के बाहर धरना दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें विधानसभा का टिकट देने से इनकार करने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने कहा, “मैं मुख्यमंत्री से मिलने आया हूँ और जब तक उनसे मिलकर टिकट मिलने का आश्वासन नहीं मिल जाता, तब तक यहीं बैठा रहूँगा। मैं उनका इंतज़ार करूँगा और मुझे विश्वास है कि मेरा टिकट नहीं काटा जाएगा।”
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बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर तनाव बढ़ गया है, जहाँ जनता दल यूनाइटेड ने अपने कई गढ़ों को अपने गठबंधन सहयोगियों के हाथों गँवाने पर असंतोष व्यक्त किया है। एक बड़ा विवाद सहरसा ज़िले की सोनबरसा सीट पर है। वर्तमान में जेडीयू नेता और राज्य मंत्री रत्नेश सदा के पास यह सीट कथित तौर पर चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को दे दी गई है। जेडीयू ने सोनबरसा से सदा को अपना उम्मीदवार पहले ही घोषित कर दिया था, और इसे एलजेपी (आरवी) को देने का फ़ैसला पार्टी को रास नहीं आया है।