अभिनेता ईशान खट्टर ने कहा कि निर्देशक नीरज घायवान ने फिल्म ‘होमबाउंड’ के कलाकारों के सामने चुनौती रखी थी कि हमें अपने किरदार के संवादों को सिर्फ याद नहीं करना था बल्कि उन्हें जीना भी था।
ईशान ने कहा कि इस फिल्म से उन्हें आत्मनिरीक्षण करने में मदद मिली।
नीरज घायवान द्वारा निर्देशित यह फिल्म उत्तर भारत के दो युवकों चंदन (विशाल जेठवा) और शोएब (ईशान खट्टर) की दोस्ती पर आधारित है।
फिल्म में दोनों दोस्तों का सपना पुलिस बल में शामिल होने का था लेकिन उनकी जाति और धर्म को लेकर सामाजिक पूर्वाग्रह उनके सपने में बाधा उत्पन्न करते हैं।
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अभिनेता ने निर्देशक के साथ अपनी बातचीत के बारे में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “नीरज ने मुझे और इस फिल्म में काम करने वाले सभी लोगों को यह बिल्कुल स्पष्ट कर दिया था कि हम अपने किरदारों को हल्के में नहीं ले सकते।”
ईशान ने कहा, “उन्होंने (नीरज) कहा था कि ये किरदार आपके लिए नहीं लिखे गये हैं बल्कि आपको खुद को इन किरदारों में ढालना होगा। इसलिए, उनका हमसे पहला अनुरोध था कि आप भले ही इसे कुशलता से निभा सकते हैं, आप एक शानदार, प्रभावशाली प्रस्तुति दे सकते हैं लेकिन मैं चाहता हूं कि आप किरदार में पूरी तरह ढल जाएं। मैं चाहता हूं कि आप इन किरदारों को जीने की कोशिश करें।”
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‘बियॉन्ड द क्लाउड्स’, ‘धड़क’ और ‘पिप्पा’ जैसे फिल्मों में अपने किरदार के लिए मशहूर ईशान ने कहा कि अपने करियर के इस मोड़ पर घायवान जैसे निर्देशक के साथ काम करना उनकी चाहत थी।
उन्होंने कहा, “बहुत कम निर्देशक आपको इस तरह आगे बढ़ने का मौका देते हैं। मैंने ऐसे ही निर्देशक माजिद मजीदी के साथ अपने करियार की शुरुआत की थी और मुझे तुरंत पता चल गया था कि नीरज मेरे लिए एक बहुत बड़ा तोहफा साबित होंगे और वह हैं भी।”
शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हुई ‘होमबाउंड’ पत्रकार बशारत पीर के ‘द न्यू यॉर्क टाइम्स’ के लेख ‘टेकिंग अमृत होम’ से प्रेरित है।