Friday, December 26, 2025
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New Policy for Athletes:जूनियर एथलीटों के लिए नकद पुरस्कार खत्म, डोपिंग और एज फ्रॉड पर लगेगी लगाम

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New Policy for Athletesखेल मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लेते हुए जूनियर एथलीटों के लिए नकद पुरस्कार समाप्त करने का निर्णय लिया है। यह नियम 1 फरवरी से प्रभावी हो चुका है। इस फैसले का मुख्य उद्देश्य डोपिंग और उम्र में फर्जीवाड़े (एज फ्रॉड) जैसी समस्याओं पर रोक लगाना है। साथ ही, जूनियर स्तर की प्रतियोगिताओं को विकासात्मक इवेंट के रूप में बढ़ावा देना है, ताकि युवा खिलाड़ी सीनियर स्तर पर भी बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

पहले मिलते थे लाखों के इनाम

पहले जूनियर एथलीटों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने पर लाखों रुपये का नकद पुरस्कार मिलता था। जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाले एथलीट को 13 लाख रुपये तक का नकद इनाम मिलता था। इसी तरह, एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स के विजेताओं को 5 लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाता था। लेकिन सरकार का मानना है कि इस मॉडल के कारण खिलाड़ी जूनियर स्तर पर ही अपनी पूरी ऊर्जा लगा देते हैं, जिससे सीनियर स्तर तक पहुंचते-पहुंचते उनकी प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता कम हो जाती है।

सीनियर एथलीटों के लिए भी नियमों में बदलाव

सिर्फ जूनियर ही नहीं, बल्कि सीनियर एथलीटों के नकद पुरस्कारों में भी बदलाव किए गए हैं। खेल मंत्रालय ने राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप और दक्षिण एशियाई खेलों को भी नकद पुरस्कार सूची से हटा दिया है। इसके अलावा, शतरंज में अंतरराष्ट्रीय मास्टर या ग्रैंडमास्टर बनने वाले खिलाड़ियों को भी अब नकद प्रोत्साहन नहीं मिलेगा।

डोपिंग पर लगाम लगाने की कोशिश

खेल मंत्रालय के अनुसार, नकद पुरस्कार के लालच में कई खिलाड़ी और उनके कोच उम्र में हेराफेरी और डोपिंग जैसी अनुचित गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं। राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 के बाद से भारत में डोपिंग के मामलों में 10% से अधिक नाबालिग खिलाड़ी शामिल पाए गए हैं।

नई नीति से क्या होगा फायदा?

सरकार का मानना है कि यह नीति जूनियर खिलाड़ियों को दीर्घकालिक सफलता के लिए तैयार करने, डोपिंग और उम्र हेराफेरी पर रोक लगाने और सीनियर स्तर पर उनकी प्रतिस्पर्धा क्षमता बनाए रखने में मददगार साबित होगी। इससे भारतीय खेलों में निष्पक्षता और ईमानदारी को बढ़ावा मिलेगा।

यह फैसला क्यों लिया गया?

सरकार का मानना है कि पहले वाली नीति के कारण खिलाड़ी जूनियर स्तर पर ही सब कुछ झोंक देते थे, जिससे सीनियर स्तर पर उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कम हो जाती थी। इसके अलावा, नकद पुरस्कार के लालच में कई खिलाड़ी डोपिंग और उम्र संबंधी धोखाधड़ी में शामिल हो जाते थे। इन सभी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह नई नीति लागू की गई है।

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