विदेश मंत्री एस. जयशंकर जिस तरह पाकिस्तान के अनधिकृत कब्जे वाले कश्मीर का मुद्दा बार-बार उठा रहे हैं उससे साफ प्रतीत हो रहा है कि भारत अब इस समस्या का हल करना चाहता है। भारत की ओर से पाकिस्तान को अपने ‘‘अवैध’’ कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र को खाली कर देने का जो फरमान सुनाया गया है वह भी दर्शा रहा है कि वह दिन दूर नहीं जब हम अपना वह हिस्सा वापस पा लेंगे जिस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा किया हुआ है। वैसे भी मोदी सरकार भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए जानी जाती है इसलिए पाकिस्तान को भारतीय भूभाग खाली कराने का जो निर्देश दिया गया है उसको कोरी बयानबाजी नहीं बल्कि गंभीर कदम के रूप में देखना चाहिए।
हम आपको बता दें कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पश्चिम द्वारा वैश्विक नियमों को चुनिंदा तरीके से लागू किये जाने पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि भारत ने 1948 से जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान के “सबसे लंबे समय तक” अवैध कब्जे को सहन किया जबकि इस “आक्रमण” को “विवाद” बना दिया गया। रायसीना डायलॉग के एक संवाद सत्र में जयशंकर ने मौजूदा विश्व व्यवस्था की खामियों के बारे में बात करते हुए कहा कि संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता से संबंधित मुद्दों पर वैश्विक नियम कभी भी समान रूप से लागू नहीं होते। विदेश मंत्री ने यह टिप्पणी ‘थ्रोन्स एंड थॉर्न्स: डिफेंडिंग द इंटीग्रिटी ऑफ नेशन्स’ विषय पर आयोजित सत्र में की, जिसमें संयुक्त राष्ट्र की कार्यप्रणाली पर ध्यान केंद्रित किया गया। जयशंकर ने तर्क दिया कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से वैश्विक नियमों के असमान इस्तेमाल के उदाहरण सामने आए हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के एक हिस्से पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे का हवाला दिया और कहा कि “हमलावर और पीड़ित को एक ही श्रेणी में रखा गया है”। उन्होंने कहा, ‘‘द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, किसी देश द्वारा किसी क्षेत्र पर सबसे लंबे समय तक अवैध कब्जा भारत के कश्मीर से संबंधित है।’’
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जयशंकर ने कहा, ‘‘हम संयुक्त राष्ट्र गए। जो आक्रमण था उसे विवाद बना दिया गया। हमलावर और पीड़ित को एक ही श्रेणी में रखा गया। दोषी पक्ष कौन थे। माफ करें, उस पुराने आदेश पर मेरे कुछ सवालिया निशान हैं।’’ अपनी टिप्पणी में जयशंकर ने एक “मजबूत और निष्पक्ष” संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की वकालत की और कहा कि वैश्विक मानदंडों और नियमों को समान रूप से लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक मजबूत संयुक्त राष्ट्र की जरूरत है, लेकिन एक मजबूत संयुक्त राष्ट्र के लिए एक निष्पक्ष संयुक्त राष्ट्र की आवश्यकता है। एक मजबूत वैश्विक व्यवस्था में मानकों में कुछ बुनियादी स्थिरता होनी चाहिए।’’ विदेश मंत्री ने मौजूदा विश्व व्यवस्था की समीक्षा का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि पिछले आठ दशकों में विश्व के कामकाज का लेखा-जोखा रखना और इसके बारे में ईमानदार होना महत्वपूर्ण है तथा आज यह समझना भी जरूरी है कि विश्व में संतुलन और अंशधारिता बदल गई है।” उन्होंने कहा, “हमें एक अलग चर्चा की जरूरत है। हमें स्पष्ट रूप से एक अलग व्यवस्था की जरूरत है।” विदेश मंत्री ने फिर पाकिस्तान का हवाला दिया और कहा “हमने अपने पड़ोस में देखा है कि जोखिम भरा देश बनने के लिए आपको बड़ा देश होने की आवश्यकता नहीं है। मेरे कुछ छोटे पड़ोसी हैं जिन्होंने इस मामले में काफी अच्छा काम किया है।” उन्होंने विभिन्न अवधियों में तालिबान के साथ वार्ता में पश्चिमी देशों द्वारा अपनाए गए विभिन्न मानकों के बारे में भी बात की।
हम आपको याद दिला दें कि अपने हालिया ब्रिटेन दौरे के दौरान एक कार्यक्रम में कश्मीर में मुद्दों को हल करने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा था कि नुच्छेद 370 को हटाना पहला कदम था, कश्मीर में विकास एवं आर्थिक गतिविधि और सामाजिक न्याय को बहाल करना दूसरा कदम था और चुनाव कराना तीसरा कदम था जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने मतदान किया। उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि जिस बात का हम इंतजार कर रहे हैं, वह कश्मीर के उस हिस्से को वापस पाना है जो पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है। मैं आपको आश्वासन देता हूं कि जब यह हो जाएगा, तब कश्मीर का समाधान हो जाएगा।
हम आपको यह भी बता दें कि भारत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक पॉडकास्ट के दौरान जम्मू-कश्मीर पर टिप्पणी पर प्रतिक्रिया के लिए इस्लामाबाद पर निशाना साधते हुए कहा कि पाकिस्तान को ‘‘झूठ फैलाने’’ के बजाय अपने ‘‘अवैध’’ कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र को खाली कर देना चाहिए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि दुनिया जानती है कि जम्मू-कश्मीर में असली मुद्दा पाकिस्तान द्वारा सीमा पार से आतंकवाद को “सक्रिय रूप से बढ़ावा देना और प्रायोजित करना” है। हम आपको याद दिला दें कि लेक्स फ्रीडमैन के साथ पॉडकास्ट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, “पाकिस्तान के साथ शांति को बढ़ावा देने के हर प्रयास का जवाब शत्रुता और विश्वासघात से मिला है” और उन्हें उम्मीद है, “द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए पाकिस्तानी नेतृत्व को सद्बुद्धि आए”। पाकिस्तान ने सोमवार को इस टिप्पणी को “भ्रामक और एकतरफा” बताकर खारिज कर दिया था। रणधीर जायसवाल ने कहा, “हमने पाया है कि पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के बारे में कुछ टिप्पणियां की हैं।” उन्होंने कहा, “दुनिया जानती है कि असली मुद्दा पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को सक्रिय रूप से बढ़ावा देना और प्रायोजित करना है। वास्तव में यह क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी बाधा है।” रणधीर जायसवाल ने कहा, “झूठ फैलाने के बजाय पाकिस्तान को अपने अवैध और जबरन कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र को खाली कर देना चाहिए।”