Monday, December 22, 2025
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पाकिस्तान में TTP पर कहर! खैबर पख्तूनख्वा में 9 ख्वारिज मारे, अफगानिस्तान को सीधी चेतावनी

पाकिस्तान में जिन आतंकियों को पनह दी गयी थी अब वह उन्हीं के लिए घातक बनें हुए हैं। पाकिस्तान में आंतरिक कलह मची हुई है। इसी बीच पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिमी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में सुरक्षा बलों के दो अलग-अलग अभियानों में नौ आतंकवादी मारे गए। पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा ने यह जानकारी दी।
‘इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस’ (आईएसपीआर) के अनुसार, ‘‘19 दिसंबर 2025 को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में दो अलग-अलग मुठभेड़ों में ‘फितना अल-ख्वारिज’ से जुड़े नौ ख्वारिज मारे गए।’’

पाकिस्तान ‘फितना-अल-ख्वारिज’ शब्द का इस्तेमाल प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) से जुड़े आतंकवादियों के लिए करता है।
आईएसपीआर ने बताया कि खुफिया सूचना पर आधारित पहला अभियान प्रांत के डेरा इस्माइल खान जिले में चलाया गया जिसमें चार आतंकवादी मारे गए।
उसने बताया कि दूसरा अभियान बन्नू जिले में चलाया गया जहां सुरक्षा बलों ने पांच और आतंकवादियों को मार गिराया।

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इसके अलावा इससे मात्र दो दिन पहले उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में एक मिलिट्री बेस पर आत्मघाती हमला करने के दौरान चार पाकिस्तानी सैनिक और पांच आतंकवादी मारे गए। इस हमले की निंदा करते हुए, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि अफगान राजनयिक मिशन के उप प्रमुख को मंत्रालय में बुलाया गया ताकि पाकिस्तान की ज़मीन पर आतंकवादी हमलों को लेकर पाकिस्तान की “गंभीर चिंता” जताई जा सके, जिसमें “अफगान तालिबान शासन द्वारा लगातार समर्थन और मदद दी जा रही है।”

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इस्लामाबाद द्वारा लगाए गए आरोपों पर काबुल की प्रतिक्रिया अभी आनी बाकी थी।बयान में कहा गया है कि इस्लामाबाद ने अफगान पक्ष से पूरी जांच करने और “अफगान ज़मीन से पाकिस्तान के खिलाफ किए गए आतंकवादी हमलों के अपराधियों और मददगारों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई” करने को भी कहा।

शुक्रवार सुबह, खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के उत्तरी वजीरिस्तान जिले के बोया इलाके में एक सुरक्षा मुख्यालय के मुख्य द्वार पर एक विस्फोटक से भरी गाड़ी टकरा गई, जो अफगानिस्तान की सीमा से सटा हुआ है, इलाके के एक सुरक्षा अधिकारी ने पहले अनादोलू को नाम न छापने की शर्त पर फोन पर बताया।

PTI Information  

Rawalpindi on High Alert | जेल से इमरान खान की विरोध प्रदर्शन की अपील, रावलपिंडी में सुरक्षा सख्त, पाकिस्तान में तनाव का माहौल

रावलपिंडी में भारी सुरक्षा तैनात की गई, क्योंकि अधिकारियों को संभावित विरोध प्रदर्शनों की आशंका थी। जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने तोशाखाना 2 भ्रष्टाचार मामले में दोषी ठहराए जाने की खबरों के बाद अपने समर्थकों से सड़कों पर उतरने की अपील की थी। न्यूज़ एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने बताया कि खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रदर्शनों की आशंका के बीच कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 1,300 से ज़्यादा पुलिस अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को ड्यूटी पर लगाया गया था।

 जेल से इमरान खान की विरोध प्रदर्शन की अपील 

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 17 साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद अपने समर्थकों से देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए तैयार रहने का आग्रह किया। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अधिकारियों के हवाले से बताया कि इस तैनाती में दो पुलिस अधीक्षक, सात पुलिस उपाधीक्षक, 29 निरीक्षक और थाना अधिकारी, 92 उच्च अधीनस्थ और 340 कांस्टेबल शामिल हैं।

पाकिस्तान में भारी बवाल की आशंका 

इसके अतिरिक्त, एलीट फोर्स कमांडो के सात सेक्शन, रैपिड इमरजेंसी एंड सिक्योरिटी ऑपरेशंस के 22 कर्मी और एंटी-रायट्स मैनेजमेंट विंग के 400 कर्मियों को तैनात किया गया है।
‘तोशाखाना 2’ भ्रष्टाचार मामले में खान और उनकी पत्नी बुशरा को शनिवार को एक अदालत ने 17-17 साल जेल की सजा सुनाई।
तिहत्तर वर्षीय खान अगस्त 2023 से जेल में हैं। अप्रैल 2022 में सत्ता से बाहर होने के बाद से उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए हैं।

रावलपिंडी छावनी में तब्दील 

‘तोशाखाना 2’ मामले में दंपति पर 2021 में सऊदी सरकार से मिले राजकीय उपहारों के संबंध में धोखाधड़ी करने का आरोप है।
खान के ‘एक्स’ पर आधी रात को पोस्ट किए गए एक बयान के अनुसार, ‘‘सैन्य शैली में आए मुकदमे के फैसले’’ के बाद अडियाला जेल में अपने वकीलों के साथ बातचीत में, खान ने अपने समर्थकों से फैसले के बाद विरोध प्रदर्शन करने का आग्रह किया।
यह पता नहीं चल पाया है कि जेल में रहने की वजह से खान के सोशल मीडिया हैंडल तक पहुंच न होने के चलते उनकी बातचीत को उनके निजी खाते पर किसने पोस्ट किया।

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उन्होंने कहा, “मैंने (खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री) सोहेल अफरीदी को सड़क पर आंदोलन की तैयारी करने का संदेश भेजा है। पूरे देश को अपने अधिकारों के लिए उठ खड़ा होना होगा।”
खान ने कहा, “संघर्ष ही इबादत है, और मैं पाकिस्तान की सच्ची आजादी के लिए शहादत को गले लगाने के लिए भी तैयार हूं।”
उन्होंने कहा कि नवीनतम फैसला उनके लिए कोई हैरत की बात नहीं है।

पूर्व प्रधानमंत्री ने अपनी कानूनी टीम से इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करने का अनुरोध किया।
खान ने कहा, “पिछले तीन वर्षों के निराधार निर्णयों और सजाओं की तरह, तोशाखाना-दो का फैसला भी मेरे लिए कोई नई बात नहीं है। यह फैसला न्यायाधीश ने बिना किसी सबूत के और कानूनी आवश्यकताओं को पूरा किए बिना जल्दबाजी में दिया है।”

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उन्होंने कहा कि उनकी कानूनी टीम की बात तो सुनी तक नहीं गई।
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, “कानून की सर्वोच्चता स्थापित करने और संविधान को बहाल करने के संघर्ष के लिए ‘इंसाफ लॉयर्स फोरम’ और अधिवक्ता मोर्चे का आगे आना आवश्यक है। केवल न्याय व्यवस्था ही जनता की रक्षा कर सकती है। इसके बिना न तो आर्थिक प्रगति संभव है और न ही नैतिक विकास।”

उन्होंने अपनी हिरासत के लिए सेना के नेतृत्व पर भी निशाना साधा, लेकिन साथ हीयह भी कहा कि ‘‘फौज मेरी है’’, जिससे सशस्त्र बलों के शीर्ष नेतृत्व पर हमला करते हुए सेना का समर्थन हासिल करने का उनका प्रयास स्पष्ट होता है।
खान ने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें और उनकी पत्नी को ‘‘लगातार एकांत कारावास में रखकर मानसिक यातना दी जा रही है।’’
उन्होंने आरोप लगाया, “हमारी किताबों, टीवी और मुलाकातों पर प्रतिबंध है। जेल में हर कैदी टीवी देख सकता है, लेकिन मेरे और बीबी बुशरा के लिए टीवी देखना भी प्रतिबंधित है।”

तोशाखाना मंत्रिमंडल विभाग के तहत आने वाला एक विभाग है जो विदेशी सरकारों के प्रमुखों और विदेशी गणमान्य व्यक्तियों द्वारा पाकिस्तान के शासकों और सरकारी अधिकारियों को दिए गए उपहारों का संग्रह करता है।
उपहारों के एक बार जमा हो जाने के बाद इन्हें उचित नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए वापस खरीदा जा सकता है।

Aravalli की नई परिभाषा पर सवाल, वरिष्ठ वकील ने CJI से की पुनर्विचार की मांग: पर्यावरण संरक्षण पर खतरा?

वरिष्ठ अधिवक्ता हितेंद्र गांधी ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर अरावली पहाड़ियों की परिभाषा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश पर पुनर्विचार या स्पष्टता की मांग की है। उनका कहना है कि केवल ऊंचाई के आधार पर तय की गई परिभाषा उत्तर-पश्चिम भारत में पर्यावरण संरक्षण को कमजोर कर सकती है।
बता दें कि 20 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने “इन री: अरावली हिल्स एंड रेंजेज की परिभाषा से जुड़े मुद्दे” मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया था। इस आदेश में अरावली क्षेत्र को एक पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील प्राकृतिक ढाल के रूप में मान्यता दी गई थी। अधिवक्ता गांधी ने अपने पत्र में इस कदम का स्वागत करते हुए कहा है कि अदालत द्वारा सतत खनन के लिए व्यापक प्रबंधन योजना तैयार करने के निर्देश, नई खनन लीज पर अंतरिम रोक और संचयी प्रभाव व वहन क्षमता पर जोर एक सकारात्मक पहल है।
हालांकि, उन्होंने अदालत द्वारा अपनाई गई कार्यात्मक परिभाषा पर चिंता जताई है। मौजूद जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के आदेश में उन भू-आकृतियों को अरावली पहाड़ियों के रूप में चिन्हित करने का आधार बनाया गया है, जिनकी स्थानीय ऊंचाई आसपास के क्षेत्र से 100 मीटर या उससे अधिक है। गांधी का तर्क है कि इस तरह की संकीर्ण परिभाषा अरावली के बड़े हिस्सों को संरक्षण से बाहर कर सकती है, जबकि वे पारिस्थितिक दृष्टि से उतने ही महत्वपूर्ण हैं।
गौरतलब है कि अरावली पर्वत श्रृंखला दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वतमालाओं में से एक मानी जाती है, जो समय के साथ काफी हद तक घिस चुकी है। अधिवक्ता गांधी ने कहा है कि इसकी पारिस्थितिक भूमिका केवल ऊंची चोटियों तक सीमित नहीं है। कम ऊंचाई वाली पहाड़ियां, चट्टानी उभार, ढलान, जल पुनर्भरण क्षेत्र और आपसी संपर्क वाले भू-भाग भी भूजल संरक्षण, धूल और मरुस्थलीकरण को रोकने, जैव विविधता को बनाए रखने और दिल्ली-एनसीआर के सूक्ष्म जलवायु संतुलन में अहम भूमिका निभाते हैं।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि भारत में अक्सर पर्यावरण संरक्षण कानूनी वर्गीकरण और भूमि अभिलेखों से जुड़ा होता है। यदि परिभाषा बहुत सीमित रही, तो ऐसे “ग्रे ज़ोन” बन सकते हैं, जहां खनन, निर्माण और भूमि उपयोग परिवर्तन को रोकना मुश्किल हो जाएगा, और इसका नुकसान अपूरणीय हो सकता है।
पत्र में दिल्ली-एनसीआर की गंभीर वायु गुणवत्ता समस्या का भी उल्लेख किया गया है। गांधी ने कहा कि अरावली की रिज वनस्पतियां और उनसे जुड़े झाड़ीदार क्षेत्र धूल के प्रवाह को रोकने और प्रदूषक कणों को नियंत्रित करने में प्राकृतिक अवरोध का काम करते हैं। यदि इन क्षेत्रों को संरक्षण से बाहर रखा गया, तो वायु प्रदूषण, भूजल संकट, अत्यधिक गर्मी और वन्यजीव गलियारों के विखंडन जैसी समस्याएं और गहरी हो सकती हैं।
संवैधानिक आधार पर बात रखते हुए उन्होंने अनुच्छेद 21 के तहत स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार, अनुच्छेद 48A और 51A(g) में निहित पर्यावरण संरक्षण के दायित्वों का हवाला दिया है। साथ ही, उन्होंने एहतियाती सिद्धांत, पब्लिक ट्रस्ट सिद्धांत, सतत विकास और अंतर-पीढ़ी समानता जैसे स्थापित पर्यावरणीय सिद्धांतों को भी अपने तर्क का आधार बनाया है।
उन्होंने मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि इस मामले को उपयुक्त पीठ के समक्ष रखकर परिभाषा में संशोधन या स्पष्टता पर विचार किया जाए। उनके सुझावों में ऊंचाई के बजाय बहु-मानदंड आधारित दृष्टिकोण अपनाने, भू-आकृतिक, जलवैज्ञानिक और पारिस्थितिक पहलुओं को शामिल करने, उपयोग में लिए गए डेटा और नक्शों की सार्वजनिक जांच सुनिश्चित करने और अंतिम प्रबंधन योजना तक जुड़े क्षेत्रों की सुरक्षा जारी रखने की मांग शामिल है।
अधिवक्ता ने साफ किया कि यह प्रस्तुति पूरी तरह जनहित में और न्यायालय के प्रति सम्मान के साथ की गई है, ताकि अरावली के संरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की मंशा ज़मीनी स्तर पर भी प्रभावी और सार्थक बनी रहे हैं।

Premier League: वेस्ट हैम पर भारी पड़ी मैनचेस्टर सिटी, 3-0 से जीत के साथ टॉप पर

मैनचेस्टर सिटी ने एतिहाद स्टेडियम में वेस्ट हैम यूनाइटेड को 3-0 से हराकर प्रीमियर लीग की तालिका में शीर्ष स्थान हासिल कर लिया है। मुकाबले की शुरुआत से ही घरेलू टीम का दबदबा दिखा और मैच का रुख जल्दी ही सिटी के पक्ष में चला गया है।
बता दें कि मैच के पांचवें ही मिनट में एरलिंग हालांड ने पहला गोल दागकर सिटी को बढ़त दिलाई। शुरुआती प्रयास बचाए जाने के बाद उन्होंने दोबारा मिले मौके को गोल में बदला। इसके बाद मौजूद जानकारी के अनुसार, पहले हाफ के आखिरी पलों में टिज्जानी रेज़ेंडर्स ने शानदार फिनिश के साथ स्कोर 2-0 कर दिया, जो सिटी के खेल के लिहाज से पूरी तरह जायज़ बढ़त मानी जा रही है।
गौरतलब है कि दूसरे हाफ की शुरुआत में मैनचेस्टर सिटी की गति कुछ धीमी रही और वेस्ट हैम को वापसी का एक मौका भी मिला, जब जैरड बोएन का शॉट लक्ष्य से बाहर चला गया। हालांकि, इसके बाद मुकाबला निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया। वेस्ट हैम की रक्षापंक्ति की चूक का फायदा उठाते हुए हालांड ने नजदीक से गोल कर स्कोर 3-0 कर दिया और मैच लगभग खत्म कर दिया।
हालांड के पास स्टॉपेज टाइम में हैट्रिक पूरी करने का मौका भी आया, लेकिन आमने-सामने की स्थिति में उनका शॉट पोस्ट के बाहर चला गया। इसका नतीजे पर कोई असर नहीं पड़ा और सिटी ने पूरे तीन अंक अपने नाम कर लिए हैं।
इस जीत के साथ मैनचेस्टर सिटी फिलहाल अंक तालिका में शीर्ष पर पहुंच गई है। अब अगर आर्सेनल एवरटन के खिलाफ अपना मुकाबला नहीं जीत पाता, तो सिटी क्रिसमस से पहले भी टेबल टॉपर बनी रहेगी, ऐसा माना जा रहा है।
मैच के बाद हालांकि सिटी के मैनेजर पेप गार्डियोला पूरी तरह संतुष्ट नजर नहीं आए। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अगर टीम को इस सीजन कोई खिताब जीतना है, तो गेंद के साथ प्रदर्शन में सुधार करना होगा। मौजूद जानकारी के अनुसार, गार्डियोला ने ड्रेसिंग रूम में खिलाड़ियों से कहा कि केवल स्कोरलाइन देखकर खुश नहीं हुआ जा सकता।
गौरतलब है कि भले ही नतीजा सिटी के पक्ष में रहा, लेकिन वेस्ट हैम को मिले कुछ मौके और टीम की सुस्ती ने कोच को चिंतित किया है। क्रिसमस ब्रेक से पहले शीर्ष स्थान पर पहुंचना राहत की बात है, लेकिन गार्डियोला मानते हैं कि खिताबी दौड़ में बने रहने के लिए अभी काफी काम बाकी है, यही संदेश उन्होंने खिलाड़ियों को दिया।

एपस्टीन फाइल्स को लेकर ट्रंप प्रशासन पर बवाल, अमेरिकी न्याय विभाग पर गंभीर आरोप

वॉशिंगटन में शुक्रवार देर शाम जो हुआ, उसने अमेरिकी राजनीति और न्याय व्यवस्था में हलचल मचा दी है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के न्याय विभाग द्वारा जेफ्री एपस्टीन से जुड़े दस्तावेजों का सीमित और भारी तौर पर काट-छांट किया हुआ संस्करण सार्वजनिक किए जाने के बाद तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। विपक्षी सांसदों का आरोप है कि यह कदम उस कानून का उल्लंघन है, जिसमें तय तारीख तक लगभग सभी फाइलें सार्वजनिक करने का प्रावधान था।
बता दें कि कैलिफोर्निया से डेमोक्रेट सांसद रो खन्ना ने, जो रिपब्लिकन सांसद थॉमस मैसी के साथ मिलकर एपस्टीन ट्रांसपेरेंसी एक्ट के सह-लेखक हैं, एक वीडियो बयान में कहा कि न्याय विभाग की ओर से जारी किए गए दस्तावेज अधूरे हैं और उनमें जरूरत से ज्यादा रेडैक्शन किया गया है। उनके मुताबिक, यह न तो कानून की भावना के अनुरूप है और न ही उसके अक्षरशः पालन जैसा है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि न्याय विभाग के अधिकारियों के खिलाफ महाभियोग, कांग्रेस की अवमानना और न्याय में बाधा डालने के आरोपों पर विचार किया जा रहा है।
गौरतलब है कि शनिवार को भी असंतोष कम नहीं हुआ। न्याय विभाग की वेबसाइट से बिना किसी स्पष्टीकरण के एपस्टीन से जुड़ी कम से कम 16 फाइलें हटा ली गईं। मौजूद जानकारी के अनुसार, हटाए गए दस्तावेजों में कुछ तस्वीरें भी शामिल थीं, जिनमें एक तस्वीर में डोनाल्ड ट्रंप, मेलानिया ट्रंप, जेफ्री एपस्टीन और गिसलेन मैक्सवेल एक साथ दिखाई देते हैं। इन फाइलों के अचानक गायब होने से अटकलें और तेज हो गईं।
इस मुद्दे पर रिपब्लिकन सांसद थॉमस मैसी ने भी सोशल मीडिया पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह कानून सामान्य संसदीय समन जैसा नहीं है, जिसकी मियाद खत्म हो जाए। उनके अनुसार, भविष्य में कोई भी न्याय विभाग मौजूदा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। डेमोक्रेटिक नेताओं ने भी इसे अमेरिकी इतिहास के सबसे बड़े कवर-अप में से एक बताया।
सीनेट में डेमोक्रेटिक नेता चक शूमर ने कहा कि दस्तावेजों को जिस तरह से जारी किया गया, वह पारदर्शिता की भावना और कानून दोनों का उल्लंघन है। वहीं न्यूयॉर्क से सांसद एलेक्जेंड्रिया ओकासियो-कोर्टेज ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि ताकतवर और प्रभावशाली लोगों को बचाने की कोशिश की जा रही है और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को इस्तीफा देना चाहिए।
हालांकि, न्याय विभाग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि वह कानून का पालन कर रहा है। विभाग के सोशल मीडिया अकाउंट से कहा गया कि किसी भी राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति का नाम छिपाया नहीं गया है और सभी संदर्भ सार्वजनिक किए गए हैं। विभाग ने यह भी तर्क दिया कि पीड़ितों की सुरक्षा और चल रही जांच को देखते हुए कुछ दस्तावेजों में देरी और संपादन जरूरी था।
मौजूदा हालात में यह मामला सिर्फ दस्तावेजों की रिलीज तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि यह ट्रंप प्रशासन की पारदर्शिता, जवाबदेही और कानून के पालन पर भी सवाल खड़े कर रहा है। आने वाले दिनों में इस पर कानूनी और राजनीतिक लड़ाई और तेज होने की संभावना बनी हुई हैं।

जोहान्सबर्ग के पास बार में अंधाधुंध गोलीबारी, 9 मरे, दक्षिण अफ्रीका में फिर छाया खौफ

रविवार तड़के दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग के पास हुई एक हिंसक घटना ने पूरे इलाके को दहला दिया है। एक स्थानीय बार में अचानक हुई अंधाधुंध फायरिंग में कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि दस अन्य गंभीर रूप से घायल बताए जा रहे हैं। यह घटना ऐसे समय पर हुई है, जब देश पहले से ही बढ़ती हिंसक वारदातों से जूझ रहा है।
बता दें कि यह हमला सुबह करीब एक बजे से कुछ पहले बेकरसडाल इलाके में हुआ, जो जोहान्सबर्ग से लगभग 40 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक गरीब और पुराना स्वर्ण खनन क्षेत्र है। मौजूद जानकारी के अनुसार, हथियारबंद हमलावर दो वाहनों  एक सफेद कॉम्बी और एक सिल्वर सेडान में सवार होकर पहुंचे और बार के अंदर व बाहर मौजूद लोगों पर गोलियां बरसाने लगे।
दक्षिण अफ्रीकी पुलिस सेवा ने अपने बयान में कहा है कि हमलावरों ने बिना किसी भेदभाव के गोलीबारी की और भागते समय आसपास की सड़कों पर भी फायरिंग जारी रखी। इस दौरान कुछ राहगीर भी गोली लगने से घायल हो गए। पुलिस ने शुरुआत में मरने वालों की संख्या 10 बताई थी, लेकिन बाद में इसे बदल कर नौ कर दिया गया।
गौरतलब है कि मरने वालों में एक व्यक्ति ऑनलाइन टैक्सी सेवा से जुड़ा ड्राइवर भी शामिल है, जो घटना के समय बार के बाहर मौजूद था। प्रांतीय पुलिस आयुक्त मेजर जनरल फ्रेड केकाना ने स्थानीय मीडिया को बताया कि पीड़ितों की पहचान की प्रक्रिया जारी है और घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है।
पुलिस ने हमलावरों की तलाश के लिए बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू कर दिया है और प्रत्यक्षदर्शियों से आगे आने की अपील की है। अधिकारियों के अनुसार, इस हमले के पीछे की वजह अभी तक साफ नहीं हो पाई है और सभी संभावित पहलुओं से जांच की जा रही है।
यह भी उल्लेखनीय है कि यह इस महीने दक्षिण अफ्रीका में हुई दूसरी बड़ी सामूहिक गोलीबारी की घटना है। इससे पहले 7 दिसंबर को प्रिटोरिया के पास सॉल्सविले टाउनशिप में एक हॉस्टल पर हुए हमले में कम से कम 11 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें एक तीन साल का बच्चा भी शामिल था। वह हमला भी एक अवैध शराब अड्डे से जुड़ा बताया गया था।
दक्षिण अफ्रीका लंबे समय से हिंसक अपराधों की गंभीर समस्या से जूझ रहा है। पुलिस आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से सितंबर के बीच हर दिन औसतन 63 लोगों की हत्या हुई है। अवैध हथियारों की आसान उपलब्धता, गैंग गतिविधियां और अनौपचारिक कारोबार से जुड़े विवाद इस संकट को और गहरा कर रहे हैं, जिससे आम नागरिकों की सुरक्षा पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।

Delhi Airport Fight । आरोपी पायलट ने तोड़ी चुप्पी, यात्री पर लगाया जातिसूचक टिप्पणी करने का आरोप

दिल्ली एयरपोर्ट के टर्मिनल 1 पर एयर इंडिया एक्सप्रेस के पायलट और एक यात्री के बीच हुई मारपीट के मामले में अब नया मोड़ आ गया है। आरोपी पायलट कैप्टन वीरेंद्र सेजवाल ने अपना पक्ष रखते हुए यात्री अंकित दीवान के दावों को झूठा और एकतरफा बताया है।

पायलट का पक्ष

कैप्टन सेजवाल की ओर से जारी कानूनी बयान में कहा गया है कि इस घटना को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है। उनके अनुसार, घटना के समय वे एक साधारण यात्री के रूप में यात्रा कर रहे थे, न कि एयर इंडिया एक्सप्रेस के पायलट के तौर पर। इसका उनकी नौकरी से कोई लेना-देना नहीं है।
बयान में दावा किया गया कि यात्री अंकित दीवान ने पायलट के खिलाफ जातिसूचक टिप्पणियां कीं और उनके परिवार की महिला सदस्यों व बच्चे को धमकियां दीं। पायलट का कहना है कि यात्री ने बिना किसी उकसावे के गाली-गलौज शुरू की और हिंसा पर उतारू हो गया, जिससे खुद पायलट को भी चोटें आईं।
 

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यात्री के आरोप

इससे पहले यात्री अंकित दीवान ने सोशल मीडिया पर आरोप लगाया था कि वे अपनी चार महीने की बेटी के साथ ‘स्टाफ एंट्री’ का इस्तेमाल कर रहे थे, तभी कैप्टन सेजवाल ने लाइन तोड़ी और टोकने पर उन्हें ‘अनपढ़’ कहा।
दीवान का आरोप है कि पायलट ने उन पर हमला किया जिससे उन्हें खून निकलने लगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि CISF ने उन्हें शिकायत वापस लेने के लिए मजबूर किया ताकि उनकी फ्लाइट न छूटे।
पायलट के बयान के अनुसार, घटना के बाद CISF की मौजूदगी में दोनों पक्षों ने अपनी मर्जी से एक समझौते पर साइन किए थे कि वे कोई कानूनी कार्रवाई नहीं चाहते। बयान में कहा गया है कि किसी भी तरह के दबाव या जबरदस्ती के आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं।
 

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एयर इंडिया एक्सप्रेस की कार्रवाई

हालांकि पायलट ने इसे निजी मामला बताया है, लेकिन एयर इंडिया एक्सप्रेस ने घटना की निंदा करते हुए कैप्टन सेजवाल को जांच पूरी होने तक ड्यूटी से हटा दिया है। कंपनी ने कहा है कि जांच के नतीजों के आधार पर कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

Maharashtra Local Body Election Results । महायुति की बंपर जीत, बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी

महाराष्ट्र की 288 नगर परिषद और नगर पंचायत सीटों के नतीजों में सत्ताधारी महायुति गठबंधन ने शानदार जीत दर्ज की है। भारतीय जनता पार्टी ने सबसे अधिक सीटें जीतकर अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है। विपक्ष के लिए यह नतीजे एक बड़े झटके के रूप में देखे जा रहे हैं।

महायुति का दबदबा

288 नगर परिषदों में से बीजेपी ने अकेले 129 जगहों पर जीत हासिल की है। महायुति के अन्य घटक दलों (शिवसेना-शिंदे गुट और एनसीपी-अजित पवार गुट) ने भी महत्वपूर्ण सीटें जीती हैं।
 

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फडणवीस ने पीएम को दिया जीत का श्रेय

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जीत का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी के प्रति जनता के भरोसे को दिया। उन्होंने कहा, ‘मैंने पहली बार बिना किसी आरोप-प्रत्यारोप के केवल अपनी योजनाओं के दम पर सकारात्मक प्रचार किया, जिसे लोगों ने स्वीकार किया।’
 

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विपक्ष के आरोप

हार का सामना कर रहे महा विकास अघाड़ी के नेताओं ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के हर्षवर्धन सपकाल ने तंज कसते हुए आयोग को महायुति की ‘मदद’ के लिए बधाई दी। वहीं, शिवसेना (यूबीटी) के अंबादास दानवे ने आरोप लगाया कि सत्ताधारी दलों ने बाहुबल और धनबल का इस्तेमाल किया है।
विदर्भ और पश्चिम महाराष्ट्र जैसे इलाकों में भी बीजेपी और महायुति का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा है, जबकि विपक्षी गठबंधन पिछड़ गया है।

Gujarat के अमरेली में तेंदुए के हमले में पांच वर्षीय बच्चे की मौत

गुजरात के अमरेली जिले में रविवार सुबह एक तेंदुए ने एक खेती मजदूर के पांच वर्षीय बेटे पर हमला कर उसे मार डाला। वन विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि धारी कस्बे के गोपालग्राम गांव में बच्चे पर हमला करने वाले तेंदुए को पकड़ने के प्रयास जारी हैं।
उन्होंने बताया कि तेंदुए को पकड़ने के लिए तीन पिंजरे लगाए गए हैं और वन अधिकारियों की एक टीम घटनास्थल का मुआयना कर रही है।

घटना के बारे में सहायक वन संरक्षक (एसीएफ) प्रताप चंदू ने बताया कि सुबह करीब नौ बजे एक बच्चा अपनी मां के पीछे-पीछे चल रहा था कि तभी खेत में छिपकर बैठे तेंदुए ने उस पर हमला कर दिया और उसे घसीटते हुए ले गया।

वन अधिकारी ने बताया कि इस हमले में बच्चा (साहिल कटारा) बुरी तरह घायल हो गया, जिसके बाद उसे तुरंत सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

जानकारी के अनुसार, पिछले महीने 28 नवंबर को भी इसी तरह की एक घटना सामने आई थी जिसमें दलखानिया वन क्षेत्र में तेंदुए के हमले में एक साल की बच्ची की मौत हो गई थी।

विदेश मंत्रालय ने दिल्ली स्थित बांग्लादेश मिशन की सुरक्षा पर दी जानकारी

भारत सरकार ने उन खबरों को पूरी तरह गलत बताया है जिनमें दावा किया गया था कि नई दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन की सुरक्षा में सेंध लगाई गई। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने स्पष्ट किया कि हाई कमीशन के बाहर केवल एक शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हुआ था।

प्रोपेगेंडा का खंडन

विदेश मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेशी मीडिया के कुछ हिस्सों में इस घटना को लेकर भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हमने इस घटना पर बांग्लादेश मीडिया के कुछ हिस्सों में गुमराह करने वाले प्रोपेगेंडा को देखा है। सच यह है कि 20 दिसंबर को नई दिल्ली में बांग्लादेश हाई कमीशन के सामने लगभग 20-25 युवा इकट्ठा हुए और मैमनसिंह में दीपू चंद्र दास की भयानक हत्या के विरोध में नारे लगाए, साथ ही बांग्लादेश में सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की भी मांग की।’
 

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मंत्रालय ने साफ किया कि न तो बाड़ तोड़ने की कोशिश हुई और न ही सुरक्षा व्यवस्था बिगड़ी। पुलिस ने कुछ ही मिनटों में प्रदर्शनकारियों को हटा दिया था।
बयान में आगे कहा गया, ‘किसी भी समय बाड़ तोड़ने या सुरक्षा की स्थिति खराब करने की कोई कोशिश नहीं की गई। मौके पर मौजूद पुलिस ने कुछ ही मिनटों में ग्रुप को तितर-बितर कर दिया। इन घटनाओं के विजुअल सबूत सभी के देखने के लिए सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं। भारत वियना कन्वेंशन के अनुसार अपने क्षेत्र में विदेशी मिशनों/पोस्टों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।’
 

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भारत ने दोहराया कि वह वियना कन्वेंशन के तहत अपने देश में मौजूद सभी विदेशी दूतावासों और राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।