काठमांडू में नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र बीर शाह के स्वागत में आयोजित एक रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टरों ने लोगों में जिज्ञासा पैदा कर दी है। तीन महीने की अनुपस्थिति के बाद रविवार को पूर्व राजा के काठमांडू लौटने पर उनका स्वागत करने के लिए बड़ी भीड़ उमड़ी, जहां योगी आदित्यनाथ के पोस्टर भी देखे गए। जहाँ उनकी वापसी प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली की सरकार के लिए राजनीतिक निहितार्थों को जन्म देती है, वहीं कई लोग यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि काठमांडू में पूर्व राजा के स्वागत में योगी आदित्यनाथ के पोस्टर क्यों इस्तेमाल किए गए।
इसे भी पढ़ें: CO Anuj Chaudhary के एक और वीडियो ने पूरे संभल को हिला डाला, सोशल मीडिया यूजर्स दे रहे रिएक्शन
नेपाल में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र विक्रम सिंह के स्वागत के दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का पोस्टर लहराना नेपाली नागरिक प्रदीप विक्रम राणा को भारी पड़ गया। नेपाल की सरकार इसे साजिश मान रही है, जिसके चलते राणा यूपी के गोरखपुर भाग आया है। उनका कहना है कि नेपाल में वे सुरक्षित नहीं हैं और तभी लौटेंगे जब मौजूदा सरकार सत्ता से हटेगी।
इसे भी पढ़ें: ‘संभल सत्य है, किसी के पूजा स्थल पर जबरन कब्जा करना अस्वीकार्य’, योगी आदित्यनाथ का बड़ा बयान
राणा ने बताया कि 9 मार्च को जब हजारों लोग राजा ज्ञानेंद्र के समर्थन में जुटे थे, तब वे अकेले थे जिन्होंने योगी आदित्यनाथ के पोस्टर वाला बैनर लहराया। इसके बाद सरकार ने इसे विदेशी हस्तक्षेप बताया और कार्रवाई शुरू कर दी। बताया जाता है कि ज्ञानेंद्र शाह सीएम योगी की हिंदुत्ववादी छवि को पसंद करते हैं। सीएम योगी की हिंदू धर्म के प्रति निष्ठा को भी काफी पसंद करते हैं। नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने कई बार भारत का दौरा करके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ समेत कई नेताओं से मुलाकात भी की है। दरअसल, गोरक्षा पीठ और नेपाल की राजशाही में बहुत पुराने संबंध रहे हैं। गोरखनाथ मंदिर में नेपाल के राजा की ही पहली खिचड़ी चढ़ती है। नेपाल का शाही परिवार बाबा गोरखनाथ के भक्त रहे हैं।