Saturday, December 27, 2025
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गैरों में कहां दम था…क्या शरद पवार ने संजय राउत के सहारे रफ्ता-रफ्ता उद्धव को निपटा दिया?

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ठाकरे परिवार अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रहा है। उद्धव ठाकरे की शिवसेना आबाद होगी या बर्बादी के मुहाने पर खड़ी है। ऐसे कई सवाल आपके जेहन में कौंध रहे होंगे। आप ये भी जानना चाह रहे होंगे कि आखिर शिवसेना और उद्धव ठाकरे की इस हालत का जिम्मेदार कौन है? क्या वो संजय राउत हैं। संजय राउत राजनीति का वो किरदार जब वो बोलते हैं तो जुबान से जिस स्कूल में आप पढ़ते हो उस स्कूल के हम हेडमास्टर हैं जैसे फिल्मी डॉयलाग निकलते हैं। वो जब मुझसे पंगा मत लेना मैं नंगा आदमी हूं जैसी धमकी देते हैं तो बदमाश भी बदमाशी भूल जाए। वो जब सामना में लिखते हैं तो दोस्ती और दुश्मनी की परवाह नहीं करते हैं। उद्धव गुट के पास संजय राउत जैसा ऐसा दोस्त है जिसे दुश्मन की जरूरत ही नहीं। ये हम नहीं कह रहे बल्कि सियासत की समझ रखने वाला बच्चा बच्चा कह रहा है। संजय राउत ही हैं जो ठाकरे परिवार से जुड़ने और जड़े जमाने के बाद उनकी जड़े हिलाने तक के जिम्मेदार बनते जा रहे हैं। 

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15 अक्टूबर 1961 को रायगढ़ के पास चौंदी गांव में जन्में राउत सोमवंशी क्षत्रिय पठारे समुदाय से आते हैं। संजय राउत ने वैसे तो अपने करियक की शुरुआत 1980 में मुंबई के एक लीडिंग मीडिया हाउस में क्लर्क के तौर पर की थी। राउत ने मार्मिक में भी काम किया, जिसे 1960 में बाल ठाकरे ने अपने छोटे भाई श्रीकांत के साथ मिलकर शुरु किया था। राउत शुरुआत में श्रीकांत के नजदीक आ गए। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार संजय राउत श्रीकांत को पापा-पापा कहकर संबोधित करते थे। संजय राउत इस दौरान राज ठाकरे के भी करीब आए। धीरे धीरे वो राज का सहारा लेकर बाला साहब तक पहुंच गए। उन दिनों राज ही बाला साहब के सबसे करीबी थे। राउत इस वक्त शिवसेना के मराठी डेली सामना के एक्जीक्युटिव एडिटर हैं। खबरों के अनुसार राउत को एडिटोरियल और उनका वीकली लिखना पसंद है। 30 साल से संजय राउत ठाकरे परिवार की आंख, नाक और जुबान सबकुछ बने हुए हैं। 

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बात सिर्फ चुनाव में लगे झटके या पार्टी के कमजोर होने की नहीं है। बात है विचारधारा से समझौका कर लेना। आज उद्धव जो भी कर रहे हैं उसमें ऐसा कुछ भी नहीं है जो बाला साहब करते थे। बिल्कुल विपरीत तरह की राजनीति। उद्धव ठाकरे ने पार्टी की विरासत के साथ ही लगता है कि प्रतिबद्ध शिवसैनिकों को भी मुख्यमंत्री बनने की लालच में गंवा दिया। वैसे वैसे बातें भी की जो कभी कांग्रेस और शरद पवार ने भी नहीं किया। कभी औरंगजेब तक की तारीफ कर दी। सावरकर के अपमान पर चुप्पी साध रखने के अलावा एआईएमआईएम जैसी पार्टियों से भी हाथ मिलाने से गुरेज नहीं रखी। संजय राउत के बारे में अक्सर कहा जाता है कि शिवसेना और ठाकरे परिवार के वर्तमान हालात के एकमात्र जिम्मेदार हैं। एक पत्रकार तो यहां तक दावा करते हैं कि एक बार बाला साहब ने एक बार इनका अपमान किया था। वो अंदर से हो सकता है इसकी चोट अब तक दिल में रखे हो। शरद पवार के साथ मिलकर सारी स्क्रिप्ट लिखी हो। रोज मीडिया में आकर अनर्गल बयानबाजी करना। जानकार बताते हैं कि मोदी, अमित शाह और फडणवीस से लड़ने के चक्कर में उद्धव, शरद पवार पर इतना ज़्यादा निर्भर हो गए कि अपनी असली संघर्ष की ताकत खो बैठे। शिवसना का कोर हिन्दुत्व, जो बीजेपी से भी दो कदम आगे था, उससे बड़ा समझौता करना उनकी मजबूरी हो गई। अब अगर लौटना भी चाहें तो लंबा सफर तय करना होगा। एकनाथ शिन्दे बहुत आगे निकल गए हैं। मजे की बात ये है कि शरद पवार के हाथों में अभी भी लड्डू हैं, विपक्ष के महत्वपूर्ण नेता तो बने हुए हैं वहीं भतीजे अजित के रूप में उनके पास एक विक्लप हमेशा खुला रहता है। 

‘बच गए तुम, अगर मैंने रैली की होती तो…’, रोहित पवार के पैर छूने के बाद बोले अजित पवार

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महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और राकांपा प्रमुख अजित पवार और उनके भतीजे रोहित पवार का इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। रोहित पवार कर्जत-जामखेड निर्वाचन क्षेत्र के विधायक के रूप में चुने गए हैं। हाल ही में कराड में एक कार्यक्रम के दौरान अजित पवार और रोहित आमने-सामने आ गए थे। राकांपा प्रमुख ने मजाकिया अंदाज में रोहित से कहा कि अगर उन्होंने वहां प्रचार रैली की होती तो नतीजे कुछ और होते। मुलाकात के दौरान रोहित ने अजित पवार के पैर छुए और उन्हें जीत की बधाई दी गई। अजीत ने मजाक में कहा, “इस बार आप भाग्यशाली थे।”
 

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शरद पवार के पोते और अजीत पवार के भतीजे रोहित पवार ने 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कर्जत-जामखेड निर्वाचन क्षेत्र में मामूली अंतर से जीत हासिल की। रोहित पवार ने भाजपा के राम शिंदे को हराकर 1,243 वोटों के मामूली अंतर से सीट जीती। रोहित को 1,27,676 वोट मिले, जबकि शिंदे को 1,26,433 वोट मिले। निर्दलीय उम्मीदवार रोहित चंद्रकांत को 3,489 वोट मिले। चुनाव में कड़ा मुकाबला देखने को मिला, अंतिम गिनती के दौर की रिपोर्टों से शुरू में पता चला कि रोहित हार सकते हैं। 
 

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हालाँकि, दोबारा गिनती से उनकी जीत की पुष्टि हो गई। इस सीट से कुल 11 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। ऐतिहासिक रूप से, कर्जत-जामखेड निर्वाचन क्षेत्र भाजपा का गढ़ रहा है। 2019 में रोहित की जीत से पहले इस सीट पर लगातार पांच बार बीजेपी का दबदबा रहा। सदाशिव लोखंडे ने 1995, 2000 और 2005 में तीन बार जीत हासिल की, जबकि राम शिंदे ने 2009 और 2014 में जीत हासिल की। ​​हालांकि, 2019 में रोहित पवार के प्रवेश ने इस लंबे समय से चले आ रहे प्रभुत्व को खत्म कर दिया, जिससे इस क्षेत्र में राजनीतिक प्रभाव में बदलाव आया।

पूरी ट्रोल आर्मी मुझपे लगा दी गई… केजरीवाल और आतिशी के खिलाफ स्वाति मालीवाल ने फोड़ा ट्वीट बम

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आप सांसद स्वाति मालीवाल ने सोमवार को पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी पर निशाना साधा और उन पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा कि आप प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं और झूठ बोलते हैं कि आपने पूरी दिल्ली को साफ कर दिया है। ये तल्ख टिप्पणी उनके दिल्ली के बुराड़ी विधानसभा क्षेत्र के दौरे के बाद आई है। मालीवाल ने एक्स पर पोस्ट किया कि बुराड़ी में सड़कों की हालत खराब है, गलियों में बदबूदार पानी भरा हुआ है और जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के बुराड़ी की हालत ‘नरक से भी बदतर’ है।
 

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आतिशि ने एक्स पर लिखा कि कल से दिल्ली के मंत्री झूठ फैला रहे है कि मुझपे भ्रष्टाचार की FIR हुई है इसलिए BJP के इशारे पर मैंने ये सब किया। उन्होंने कहा कि ये FIR 8 साल पहले 2016 में हो चुकी थी जिसके बाद मुझे सीएम और LG दोनों ने दो बार और महिला आयोग की अध्यक्ष नियुक्त किया। केस पूरी तरह फर्जी है जिस पर 1.5 साल से माननीय High Court ने stay लगाया हुआ है जिन्होंने माना है कि पैसे का कोई लेन देन नहीं हुआ है। विभव कुमारके ख़िलाफ़ कंप्लेंट देने तक मैं इनके हिसाब से “लेडी सिंघम” थी और आज BJP एजेंट बन गई ?
 

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उन्होंने आगे लिखा कि पूरी ट्रोल आर्मी मुझपे लगा दी गई सिर्फ़ इसलिए क्योंकि मैंने सच बोला। पार्टी के सभी लोगों को फ़ोन करके बोला जा रहा है स्वाति की कोई पर्सनल वीडियो है तो भेजो, लीक करनी है। मेरे रिश्तेदारों की गाड़ियों के नंबर से उनकी details ट्वीट करवाकर उनकी जान ख़तरे में डाल रहे हैं। ख़ैर, झूठ ज़्यादा देर तक टिक नहीं पाता है। पर सत्ता के नशे में किसी को नीचा दिखाने के जुनून में ऐसा न हो जाये की जब सच सामने आये तो अपने परिवारों से भी नज़रे न मिला पाओ। तुम्हारे हर फैलाए झूठ के लिए तुम्हें कोर्ट लेके जाऊँगी!

न्यूजीलैंड : समुद्र तट पर आ गईं 30 से अधिक व्हेल मछलियों को बचाया गया

न्यूजीलैंड के एक समुद्र तट पर आ गईं 30 से अधिक व्हेल मछलियों को संरक्षण कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों ने चादरों की मदद से समुद्र में वापस छोड़ दिया।न्यूजीलैंड की संरक्षण एजेंसी ने यह जानकारी देते हुए बताया किचार व्हेल मछलियों की मौत हो गई।

न्यूजीलैंड में अक्सर व्हेल मछलियां तटीय हिस्सों में आ जाती हैं और यहां विशेष रूप से ‘पायलट’ प्रजाति की व्हेल मछलियां बहुत अधिक संख्या में किनारे आती हैं।
संरक्षण विभाग ने बताया कि न्यूजीलैंड के उत्तर में वांगरेई शहर के पास रुआकाका बीच में रविवार को बचाई गई व्हेल मछलियां दोबारा तटीय भाग में न आ जाएं, यह सुनिश्चित करने के लिए सोमवार को एक टीम ने वहां निगरानी की।

व्हेल मछलियों को बचाने में मदद करने के लिए सैकड़ों लोगों द्वारा किए गए प्रयासों की जमकर सराहना हुई।
संरक्षण विभाग के प्रवक्ता जोएल लॉटरबैक ने एक बयान में कहा, ‘‘लोगों ने इन शानदार मछलियों के प्रति जो करुणा दिखाई है, वह अभिभूत करने वाली है।’’

सोमवार को आयोजित माओरी सांस्कृतिक समारोह के दौरान तीन वयस्क व्हेल और एक नन्हीं व्हेल की एक दुर्घटना में मौत हो गई थी। न्यूजीलैंड के स्वदेशी लोग व्हेल को सांस्कृतिक महत्व का एक पवित्र खजाना मानते हैं।

कैलिफोर्निया में 5 नवंबर से हो रही वोटों की गिनती, भारत में एक दिन में परिणाम, EVM पर सवाल उठाने वालों को मस्क ने दिया तगड़ा जवाब

चुनाव ने सोशल मीडिया एक्स के सीईओ एलन मस्क को भी हैरान कर दिया है। हैरानी की वजह वोट जिहाद या महाराष्ट्र में बीजेपी की बड़ी जीत नहीं है। हैरानी की वजह भारत की सुपरफास्ट चुनावी प्रक्रिया है। एलन मस्क ने भारत की तेज चुनावी प्रक्रिया की जमकर तारीफ की है। इसके साथ ही मस्क ने अमेरिकी राज्यों में हो रही मतगणना और इलेक्शन सिस्टम पर तंज भी कसा है। ट्रंप ने एक्स पर लिखा है कि भारत ने एक दिन में 64 करोड़ वोटों की गिनती कर ली। जबकि कैलिफोर्निया में अभी भी वोटों की गिनती जारी है। कैलिफोर्निया स्टेट की कुल आबादी करीब 3.9 करोड़ है। 

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आपको बता दें कि पांच नवंबर को कैलिफोर्निया में मतदान हुआ था। 24 नवंबर तक 5.70 लाख मतपत्रों की गिनती हो पाई है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को हराकर 2024 का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीता। यह जीत 2020 में अपनी हार के बाद ट्रम्प के लिए व्हाइट हाउस में वापसी का प्रतीक है। अपने उद्घाटन के बाद, राष्ट्रपति ट्रम्प ने एलोन मस्क को नवगठित सरकारी दक्षता विभाग के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया।

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कैलिफ़ोर्निया ने अभी तक नतीजे घोषित क्यों नहीं किए?
कैलिफ़ोर्निया, जिसकी आबादी लगभग 39 मिलियन है, संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। वहीं आंकड़ों के मुताबिक इस साल की चुनावी प्रक्रिया में करीब 1.6 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया. चुनाव अधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि चुनाव कराने में कई सप्ताह लग सकते हैं जैसा कि 2020 में हुआ था। कैलिफ़ोर्निया की मतपत्र प्रक्रिया मुख्य रूप से मेल-इन वोटिंग पर केन्द्रित है, जिसे संसाधित करने के लिए व्यक्तिगत मतदान की तुलना में अधिक समय और प्रयास की आवश्यकता होती है। 

ब्रिटेन में पिछले सप्ताह तीन सैन्य ठिकानों के पास ड्रोन देखे गए: अमेरिकी वायुसेना

अमेरिकी वायुसेना ने कहा कि पिछले सप्ताह पूर्वी इंग्लैंड में स्थित वायु सेना के उन तीन ठिकानों के आसपास कई छोटे ड्रोन देखे गए जिनका इस्तेमाल अमेरिकी सेना करती है।

अमेरिकी वायुसेना यूरोप ने एक बयान में कहा कि बुधवार और शुक्रवार के बीच आरएएफ लैकेनहीथ, आरएएफ मिल्डेनहॉल और औरएएफ फेल्टवेल के पास ड्रोन देखे गए।

इसमें कहा गया है कि तीनों सैन्य ठिकानों के आसपास और ऊपर ड्रोन देखे जाने के बाद उन पर सक्रिय रूप से नजर रखी गई।
वायुसेना ने हालांकि, यह नहीं बताया कि घुसपैठ के पीछे कौन था, लेकिन कहा कि वायुसेना अड्डे के अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि इससे यहां के लोगों और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

लैकेनहीथ में 48वें ‘फाइटर विंग’ स्थित है, जिसे अमेरिकी वायुसेना यूरोप में अपनी लड़ाकू क्षमता का आधार बताती है। मिल्डेनहॉल में 100वां एयर रिफ्यूलिंग विंग है, और फेल्टवेल आवास, स्कूलों और अन्य सेवाओं का केंद्र है।

Pakistan में हो गया बड़ा बवाल! इमरान खान के समर्थकों ने घेर लिया पूरा इस्लामाबाद

एक बार फिर पाकिस्तान में हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों ने इमरान खान को जेल से छुड़ाने के लिए पूरे इस्लामाबाद को घेर लिया है। वहां से आई तस्वीरें हर किसी को हैरना कर रही हैं। पाकिस्तान सरकार के लिए टेंशन काफी बढ़ने वाली है। हजारों की भीड़ और सड़कों पर हजारों गाड़ियों का काफिला नजर आ रहा है। ये वो लोग हैं जो इमरान खान के समर्थन में सड़क पर उतर आए हैं और लगातार आगे बढ़ रहे हैं। इमरान खान के समर्थकों के हजारों गाड़ियों का काफिला इस्लामाबाद की ओर बढ़ता नजर आया। वो इमरान खान के जेल से रिहाई की मांग कर रहे हैं। जिन्हें पाक सैन्य तानाशाह आसिम मुनीर ने एक साल से ज्यादा समय से हिरासत में रखा है। पाकिस्तानी हुक्मरानों ने इन्हें रोकने के लिए भारी संख्या में जवानों को तैनात कर दिया है। 

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मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया है। इसके बावजूद इमरान के समर्थक भारी सुरक्षा बलों की तैनाती और मोबाइल-इंटरनेट सेवाओं के बंद के बीच विरोध प्रदर्शन करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। जेल में बंद 72 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री ने 24 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के लिए अंतिम आह्वान किया था। यह आह्वान उन्होंने 13 नवंबर को किया था। खान ने जनादेश की चोरी, लोगों की अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी और संविधान के 26वें संशोधन के पारित होने की निंदा की थी। संविधान के 26वें संशोधन पर उन्होंने कहा था कि इसने तानाशाही शासन को मजबूत करने का काम किया है। 

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खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर और खान की पत्नी बुशरा बीबी के नेतृत्व में प्रदर्शनकारियों ने रविवार को तबाह हो चुके प्रांत से राजधानी पहुंचने के लिए अपनी यात्रा शुरू की, लेकिन उन्हें मार्ग में बाधाओं का सामना करना पड़ा। प्राधिकारियों ने शिपिंग कंटेनर रखकर राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया था, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उन्हें हटाने वाले उपकरणों और अन्य भारी मशीनों की मदद से बाधाओं को हटाया, हालांकि इससे प्रदर्शन के दौरान उनकी गति और योजनाएं प्रभावित हुईं। पंजाब के अटक जिले के हारो में रात्रि विश्राम के बाद दल ने आज दोपहर तक राजधानी पहुंचने के ध्येय के साथ अपनी यात्रा पुनः शुरू की। बेलारूस के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के पाकिस्तान दौरे के कारण सरकार ने पहले ही धारा 144 लागू कर रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो औपनिवेशिक काल का कानून है और इसका उपयोग राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए किया जाता है। 

कॉमेडियन कृष्णा ने सालों बाद मामा गोविंदा से खत्म किया झगड़ा, बोले- उनकी मन्नतों की वजह से मेरा जन्म हुआ…

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कृष्णा अभिषेक और गोविंदा फिर से एक हुए: कॉमेडियन कृष्णा अभिषेक अपने मामा गोविंदा से बहुत प्यार करते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है. अब दोनों के बीच पिछले सात सालों से चली आ रही लड़ाई खत्म हो गई है. लड़ाई खत्म होने के बाद मामा-भाणेज की जोड़ी ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शो’ में नजर आएगी.

कॉमेडियन कृष्णा अभिषेक अपने मामा गोविंदा से बहुत प्यार करते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है. अब दोनों के बीच पिछले सात सालों से चली आ रही लड़ाई खत्म हो गई है. ये लड़ाई खत्म होने के बाद चाचा-भतीजे की जोड़ी ‘द ग्रेट इंडियन कपिल शो’ में नजर आएगी. दोनों साथ में डांस और मस्ती करते नजर आएंगे.

इस बारे में कृष्णा ने कहा, ‘मैंने मंच पर भी कहा है कि मेरा सात साल का वनवास खत्म हो गया है. हम साथ हैं, हमने डांस किया और खूब मस्ती की. एक बात जो कोई नहीं जानता वह यह कि मेरा जन्म उनकी प्रतिज्ञा के कारण हुआ है। उन्होंने वैष्णोदेवी में मेरी मां से संतान पैदा करने की मन्नत मांगी थी और उसी मन्नत का पालन करते हुए मेरे माता-पिता की शादी के 10 साल बाद मेरा जन्म हुआ। मामा के साथ हुई त्रासदी ने परिवार को एक साथ ला दिया। मामा के पैर में चोट लगने के बाद चीजें बदल गईं। जब यह त्रासदी हुई तब मैं एक शो के लिए सिडनी में था। मैंने अपने आयोजक से शो रद्द करने के लिए कहा था क्योंकि मुझे वापस लौटना था, मुझे नहीं पता था कि स्थिति कितनी गंभीर है लेकिन कश्मीरा यहां थीं और वह अस्पताल पहुंचने और उनसे मिलने वाली पहली परिवार सदस्य थीं। उन्होंने कश्मीरा के साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया।’

इस बारे में जानकारी देते हुए कृष्णा ने कहा, ‘आईसीयू में उनकी कश्मीरा से कुछ बातचीत हुई। खून का रिश्ता खून से है. मैं जानता था कि एक दिन सब ठीक हो जाएगा. जब उसे गोली लगी तो मुझे नहीं पता था कि ऐसा होगा लेकिन मुझे खुशी है कि वह अब ठीक है, डांस कर रहा है। जब मैं एक-दो बार मामा के घर गया तो टीना से मेरी मुलाकात हुई। उनका व्यवहार बहुत अच्छा था. जैसे भाई-बहन मिलते हैं. ऐसा लग ही नहीं रहा था कि हम बहुत दिनों बाद मिल रहे हैं. मैंने अभी तक अपनी चाची से बात नहीं की है लेकिन मुझे यकीन है कि वह भी ठीक हो जाएंगी। अगर मामा कपिल के शो में आए हैं तो मामी खुश होंगी क्योंकि वह एक्टर की वर्क कमिटमेंट देखती हैं, नहीं तो वह मुझे शो न करने के लिए कहतीं।’

एक से अधिक डीमैट अकाउंट रखने के फायदे या नुकसान? जानिए क्या कहते हैं सेबी के नियम

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डीमैट अकाउंट के फायदे: शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी है। शेयर बाजार में शेयरों की ट्रेडिंग और म्यूचुअल फंड में आवंटित यूनिट्स को डिमटेरियलाइज्ड अकाउंट यानी डीमैट अकाउंट में जमा किया जाता है। आईपीओ के लिए डीमैट अकाउंट भी जरूरी है.

बहुत से लोग शेयरों में ट्रेडिंग के लिए एक से अधिक डीमैट खाते खोलते हैं और विशेष रूप से आईपीओ के लिए एक से अधिक आवेदन करते हैं। लेकिन क्या ये इसके लायक है तो इसके नुकसान भी हैं. आइए जानें…
क्या एक से अधिक खाते खोले जा सकते हैं?

बाजार नियामक सेबी ने अभी तक डीमैट खाते के मुद्दे पर कोई दिशानिर्देश जारी नहीं किया है। वर्तमान में एक उपयोगकर्ता एक से अधिक डीमैट खाता खोल सकता है। उस पर कोई रोक नहीं है. डीमैट खाता खोलने के लिए पैन कार्ड और आधार कार्ड की आवश्यकता होती है।

 

फ़ायदा

एक से अधिक डीमैट अकाउंट रखने से कोई विशेष लाभ नहीं होता है। लेकिन समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। एक साथ कई अकाउंट को मैनेज करना मुश्किल हो जाता है. विभिन्न ब्रोकरेज फर्मों के साथ डीमैट खाता खोलकर आप उनके विभिन्न शुल्कों और सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। लंबी अवधि के लेनदेन और अल्पकालिक लेनदेन के लिए दो अलग-अलग डीमैट खातों का लाभ उठाया जाता है। ताकि दो अलग-अलग लक्ष्यों के लिए अलग-अलग खातों को आसानी से संभाला जा सके। लेकिन कई बार बाजार की उथल-पुथल में शेयरों की बिक्री को लेकर असमंजस की स्थिति भी पैदा हो जाती है.

नुकसान

एक से अधिक डीमैट खाता रखने से रखरखाव लागत बढ़ जाती है। ब्रोकरेज फर्म ट्रेडिंग के लिए ट्रांसफर शुल्क लेती हैं। एक से अधिक खाते रखने से स्थानांतरण शुल्क की लागत बढ़ जाती है। साथ ही दोनों खातों के शेयरों को एक साथ ट्रैक करना और व्यापार करना भी मुश्किल हो जाता है।

शून्य हमें क्या सिखाता है…?’ यूपीएससी इंटरव्यू में यह जवाब देकर दीपक रावत बने आईएएस

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आईएएस दीपक रावत:  आईएएस दीपक रावत वर्तमान में कुमाऊं में मंडलायुक्त हैं। उन्होंने साल 2007 में यूपीएससी की परीक्षा पास की और 12वीं रैंक हासिल की. यूपीएससी इंटरव्यू के दौरान दीपक रावत से पूछा गया कि जीरो से हम क्या सीखते हैं। इस सवाल का जवाब सुनने के बाद चयन समिति ने उनका चयन सिविल सेवा में कर लिया. 

शून्य हमें तटस्थ रहना सिखाता है

जीरो से हम क्या सीखते हैं, इसके जवाब में दीपक रावत ने कहा, जीरो हमें सिखाता है कि हमें तटस्थ रहना चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि यदि आप शून्य में कुछ जोड़ते हैं तो संख्या वही रहती है, यदि आप शून्य में कुछ घटाते हैं तो भी संख्या वही रहती है। इसीलिए शून्य हमें तटस्थ रहना सिखाता है।

शून्य का कोई मतलब नहीं है, इसलिए…

इसके अलावा दीपक रावत ने कहा कि शून्य हमें यह भी सिखाता है कि शून्य का कोई मतलब नहीं होता, इसलिए हमें जीवन में इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम कभी भी इससे नीचे न गिरें.

 

दीपक रावत का जन्म 24 सितंबर 1977 को मसूरी, उत्तराखंड में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट जॉर्ज कॉलेज, मसूरी से की। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से इतिहास में बीए किया और फिर इतिहास में एमए और जेएनयू से प्राचीन इतिहास में एमफिल किया।