Saturday, July 12, 2025
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Pir Panjal में 50 आतंकियों की तलाश में चप्प-चप्पा छाना जा रहा, डोडा, किश्तवाड़ से लेकर रियासी तक Security Forces का ऑपरेशन तेज

जम्मू-कश्मीर के पीर पंजाल पर्वतीय क्षेत्र और इसके दक्षिणी भागों में सुरक्षा बलों ने एक व्यापक और सुनियोजित आतंकवाद-विरोधी अभियान शुरू कर रखा है। इस अभियान का उद्देश्य, लगभग 40–50 आतंकवादियों का पता लगाना और उन्हें निष्क्रिय करना है, जो कि क्षेत्र में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से जुड़े हैं। हम आपको बता दें कि उधमपुर, रेयासी, डोडा और किश्तवाड़ जिलों में करीब 30 जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी सक्रिय बताए जा रहे हैं। राजौरी और पुंछ जिलों में 15–20 अन्य आतंकी मौजूद हैं। खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, इन आतंकवादियों में से 80–85% पाकिस्तानी नागरिक हैं, जो घाटी में घुसपैठ कर छिपे हुए हैं।
सुरक्षा बलों ने इन आतंकियों को पकड़ने और उनके ठिकानों को खत्म करने के लिए बहु-स्तरीय रणनीति अपनाई है। आतंकियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए ड्रोन और निगरानी विमान तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, आतंकियों को सीमा पार से मिलने वाली हथियार और सामान की हवाई आपूर्ति को रोकने के लिए एंटी-ड्रोन तकनीक सक्रिय की गई है। साथ ही उच्च दुर्गम पर्वतीय इलाकों में विशेष बलों की तैनाती की गई है, ताकि आतंकियों के छिपने के संभावित ठिकानों को घेरा जा सके। इसके अलावा, नाइट विज़न डिवाइस और आधुनिक तकनीकी उपकरणों की मदद से रात में तलाशी अभियान को तेज़ किया गया है।
हम आपको यह भी बता दें कि इस अभियान की सफलता में खुफिया एजेंसियों की भूमिका के साथ-साथ स्थानीय लोगों की सूचनाएं भी बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों से प्राप्त ज़मीनी इनपुट के आधार पर सुरक्षाबल आतंकियों की संभावित गतिविधियों पर त्वरित प्रतिक्रिया दे रहे हैं। अधिकारियों ने बताया है कि आतंकियों द्वारा कश्मीर घाटी में प्रवेश करने के सभी प्रमुख मार्गों को सील कर दिया गया है और घुसपैठ की कोशिशों को रोकने के लिए रोकथाम के पुख्ता इंतज़ाम किए गए हैं। इसके साथ ही संवेदनशील और अति-संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त बलों की तैनाती कर सुरक्षा ग्रिड को मजबूत किया गया है।
देखा जाये तो पीर पंजाल और जम्मू डिवीजन के दुर्गम क्षेत्रों में सक्रिय आतंकवादी नेटवर्क के विरुद्ध यह अभियान भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की सटीक रणनीति और समन्वय का उदाहरण है। इस अभियान का लक्ष्य न केवल आतंकियों को निष्क्रिय करना है, बल्कि घाटी में उनकी पुनः घुसपैठ की संभावनाओं को भी जड़ से समाप्त करना है। स्थानीय नागरिकों की सतर्कता, तकनीकी संसाधनों का कुशल उपयोग और सुरक्षा बलों का साहस, इन सभी की समन्वित भूमिका से यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले समय में जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता को नया आधार मिलेगा।

ऑपरेशन शिव

हम आपको यह भी बता दें कि सेना ने अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की खातिर ‘ऑपरेशन शिव’ शुरू करते हुए गुफा मंदिर तक जाने वाले दोनों मार्गों पर एवं अन्य संबंधित स्थानों पर 8,500 सैनिकों को तैनात किया है एवं मानवरहित हवाई प्रणाली (सी-यूएएस) ग्रिड भी स्थापित किया है। रक्षा प्रवक्ता ने कहा, ‘‘भारतीय सेना ने अमरनाथ यात्रा का सुचारू और सुरक्षित संचालन सुनिश्चित करने के लिए नागरिक प्रशासन और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के साथ निकट समन्वय में ‘ऑपरेशन शिव’ शुरू किया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष के उन्नत सुरक्षा ढांचे के तहत 8,500 से अधिक सैनिकों को तैनात किया गया है, जिन्हें व्यापक तकनीकी और परिचालन संसाधनों की सुविधा प्रदान की गई है।’’ ‘ऑपरेशन शिव’ के तहत प्रमुख तैनाती और कार्यों का विवरण देते हुए प्रवक्ता ने कहा कि नियमित ‘यूएवी’ मिशनों और यात्रा मार्गों और पवित्र गुफा की लाइव निगरानी के अलावा ड्रोन खतरों को बेअसर करने के लिए 50 से अधिक ‘सी-यूएएस’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (ईडब्ल्यू)’ प्रणालियों के साथ एक ‘काउंटर-यूएएस ग्रिड’ स्थापित किया गया है। रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि ‘ऑपरेशन शिव’ पवित्र तीर्थयात्रा पर जाने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षित, निर्बाध और आध्यात्मिक रूप से संतुष्टिदायक यात्रा सुनिश्चित करने के लिए भारतीय सेना की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

कुर्सी मिलना बहुत मुश्किल, जब मौका मिले तो…, डीके शिवकुमार के बयान ने मचाई सनसनी

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने राजनीतिक व्यंग्य से भरपूर एक बयान देकर एक बार फिर बवाल खड़ा कर दिया है, जिससे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ कथित सत्ता-साझेदारी समझौते की अटकलों को बल मिला है। केम्पेगौड़ा जयंती समारोह में बोलते हुए, शिवकुमार ने मुस्कुराते हुए कहा, “हम कुर्सी के लिए लड़ रहे हैं… यहाँ कुर्सियाँ हैं, कृपया आकर बैठ जाएँ। कुर्सी पाना आसान नहीं है। इसलिए एक बार मिल जाए, तो उसे हथिया लेना ही होगा।”
 

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हालाँकि यह बयान हास्य-व्यंग के साथ दिया गया और दर्शकों ने इसे खूब सराहा, लेकिन इन टिप्पणियों ने कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के भीतर मुख्यमंत्री पद के लिए अंदरूनी खींचतान की सुगबुगाहट को फिर से हवा दे दी है। हालांकि, उन्होंने कहा कि 2028 में राज्य में पार्टी को फिर से सत्ता में लाना उनका काम है, न कि सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री पद जैसे मुद्दों पर चर्चा करना। लेकिन, शिवकुमार ने शनिवार को कुर्सी वाली टिप्पणी करके नई अटकलों को हवा दे दी।
 

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कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद पर एक सवाल के जवाब में डीके शिवकुमार ने कहा, “पार्टी सही समय पर फैसला लेगी। मैं इस पर कोई चर्चा नहीं करना चाहता। यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर पहले मीडिया में चर्चा हो। हमारा काम 2028 में पार्टी को फिर से सत्ता में लाना है।” यह टिप्पणी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला से मुलाकात के कुछ ही दिनों बाद आई है। बैठक के बाद, सिद्धारमैया ने नेतृत्व परिवर्तन की किसी भी अफवाह को सिरे से खारिज करते हुए ऐसी अटकलों को निराधार बताया। 

AI से अमेरिकी विदेश मंत्री Marco Rubio की आवाज बना कर अधिकारियों से कर ली बात, US Security की नींद उड़ी

एक चौंकाने वाली घटना ने वैश्विक राजनीति और साइबर सुरक्षा जगत को झकझोर कर रख दिया है। हम आपको बता दें कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की आवाज की हूबहू नकल कर कई लोगों से बातचीत की गई। इस नकली संवाद के माध्यम से संवेदनशील सूचनाएं जुटाने और गलत दिशा में संवाद स्थापित करने की कोशिश की गई। इस घटना ने न केवल अमेरिका, बल्कि दुनिया भर की सरकारों और सुरक्षा एजेंसियों के समक्ष एआई से जुड़ी एक नई और गंभीर चुनौती पेश कर दी है।
प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार, एआई आधारित वॉयस क्लोनिंग तकनीक की सहायता से किसी अज्ञात समूह ने मार्को रुबियो की आवाज की नकल तैयार की और विभिन्न सरकारी अधिकारियों, थिंक टैंक सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय संवादकर्ताओं से बातचीत की। इस दौरान उन व्यक्तियों को यह भ्रम रहा कि वे वास्तव में अमेरिकी विदेश मंत्री से बात कर रहे हैं। यह धोखाधड़ी न केवल अमेरिकी कूटनीति को नुकसान पहुंचाने की कोशिश थी, बल्कि यह भी दिखाता है कि आवाज आधारित पहचान अब भरोसेमंद नहीं रही।
हम आपको बता दें कि वॉयस क्लोनिंग तकनीक पहले केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित थी, लेकिन अब यह सुलभ हो चुकी है। ओपन-सोर्स टूल्स और डीपफेक एआई मॉडल्स की मदद से किसी की भी आवाज की हूबहू नकल करना संभव हो गया है। इससे जुड़ा बड़ा खतरा तब उत्पन्न होता है जब यह तकनीक राजनेताओं, सैन्य अधिकारियों या बड़ी कंपनियों के सीईओ जैसे हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों के खिलाफ प्रयोग की जाती है।
देखा जाये तो इस घटना का उद्देश्य दोतरफा हो सकता है। एक तो नकली बातचीत के माध्यम से जानकारी इकट्ठा करना और दूसरा किसी देश या संस्था की छवि खराब करना या नीतिगत भ्रम उत्पन्न करना। यह घटना यह संकेत देती है कि वैश्विक स्तर पर ‘इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर’ अब केवल टेक्स्ट या वीडियो तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब ‘वॉयस डिप्लोमेसी हेजैकिंग’ का युग भी शुरू हो चुका है।
हम आपको यह भी बता दें कि इस घटना के बाद एफबीआई, एनएसए और यूएस साइबर कमांड जैसी एजेंसियों ने इसकी जांच शुरू कर दी है। सवाल यह भी है कि इस तरह की तकनीक का स्रोत क्या था– क्या यह किसी दुश्मन राष्ट्र की करतूत थी या कोई निजी साइबर गिरोह इस प्रयोग में शामिल था?
उधर, इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया में रुबियो ने कहा कि वे अपने सभी विदेशी समकक्षों से संवाद करते समय हमेशा अधिकृत और आधिकारिक चैनलों का उपयोग करते हैं ताकि किसी भी तरह के धोखेबाज़ संपर्क से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि यह 21वीं सदी की रियलिटी है, जहाँ एआई के ज़रिये नकली चीज़ें बनना आम बात हो गई हैं।” रुबियो ने चेतावनी दी कि यह केवल एक घटना नहीं है— “ऐसी घटनाएँ भविष्य में और होंगी क्योंकि किसी भी व्यक्ति की आवाज़ का सिर्फ़ रिकॉर्डिंग ही पर्याप्त है।” उनका मानना है कि इस तरह का लक्ष्य “लोगों को ट्रिक करने” के लिए चुना जाता है ताकि उनकी जानकारी हासिल की जा सके। हम आपको बता दें कि इस घटना के बाद अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने अपने कर्मचारियों को फर्जी आवाज़ों के प्रति सजग रहने और किसी भी संदिग्ध संपर्क सहित साइबर हमलों की रिपोर्ट करने के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि मई महीने में ही FBI ने आवाज़ और टेक्स्ट पर आधारित “vishing” और “smishing” हमलों पर चेतावनी जारी की थी, जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों की पहचान की नकल कर धोखाधड़ी की घटनाओं की संभावना जताई गयी थी।
दूसरी ओर, इस घटना को यदि भारत के संदर्भ में देखें तो हमारे जैसे लोकतांत्रिक और तेजी से डिजिटल होते देश के लिए यह एक गंभीर चेतावनी है। चुनावी प्रक्रिया, सैन्य रणनीति या सार्वजनिक संवाद में अगर इस तरह की नकली आवाजें प्रवेश करती हैं तो ग़लतफहमियों और सामाजिक विघटन का खतरा बढ़ सकता है।
इस तरह के खतरों के संभावित समाधान की बात करें तो आपको बता दें कि इसके लिए वॉयस ऑथेंटिकेशन प्रोटोकॉल बनाना होगा। किसी भी संवाद में वॉइस वेरिफिकेशन के नए डिजिटल हस्ताक्षर विकसित किए जाने चाहिए। साथ ही वॉयस क्लोनिंग और डीपफेक के खिलाफ स्पष्ट और सख्त कानून बनने चाहिए। इसके अलावा, आम नागरिकों को एआई से उत्पन्न संभावित धोखाधड़ी के प्रति सजग किया जाना चाहिए।
बहरहाल, मार्को रुबियो की आवाज की एआई से नकल और उसका दुरुपयोग केवल एक तकनीकी समस्या नहीं, बल्कि एक वैश्विक सुरक्षा चुनौती है। यह घटना एक चेतावनी है कि अब पहचान केवल चेहरे या आवाज से नहीं हो सकती। आने वाले समय में हमें तकनीक को चुनौती देने वाले जवाब देने होंगे, तभी हम डिजिटल युग में सुरक्षित रह सकते हैं।

कनाडा तुम्हारा प्ले ग्राउंड नहीं, हिंदुस्तान जाओ, कपिल शर्मा को आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने दी धमकी

कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में कॉमेडियन कपिल शर्मा के कैफ़े पर हाल ही में हमला हुआ। अधिकारियों का मानना है कि यह प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (बीकेआई) से जुड़ा एक लक्षित हमला था। हमले के कुछ दिनों बाद, खालिस्तानी समर्थक अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कॉमेडियन को एक नई धमकी दी। अब टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, खालिस्तान समर्थक अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक वीडियो में कपिल शर्मा को धमकी दी है और कहा है कि वह अपना ‘खून का पैसा वापस हिंदुस्तान ले जाएं’।
 

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पन्नून ने कहा कि कपिल और हर दूसरे मोदी-ब्रांड हिंदुत्व निवेशक के लिए: कनाडा आपका खेल का मैदान नहीं है। अपनी खून की कमाई हिंदुस्तान वापस ले जाइए। कनाडा व्यापार की आड़ में हिंसक हिंदुत्व विचारधारा को कनाडा की धरती पर जड़ें जमाने नहीं देगा। कथित तौर पर, उसने आगे सवाल उठाया कि कपिल जो मेरा भारत महान का नारा लगाते हैं और खुलेआम मोदी के हिंदुत्व का समर्थन करते हैं वे भारत में निवेश करने के बजाय कनाडा में निवेश क्यों कर रहे हैं।
 

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भारत द्वारा आतंकवादी घोषित बीकेआई के एक सदस्य हरजीत सिंह लाडी ने एक वीडियो संदेश में कपिल शर्मा के कैफ़े पर हुए हमले की ज़िम्मेदारी ली है। राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने लाडी की गिरफ़्तारी में मददगार जानकारी देने वाले को 10 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है, जो सीमा पार चरमपंथी गतिविधियों में उसकी संदिग्ध संलिप्तता की गंभीरता को दर्शाता है। इस झटके के बावजूद, कप्स कैफ़े ने खुला रहने और समुदाय के लिए एक सुरक्षित, आनंददायक जगह के रूप में सेवा करने के अपने मिशन को जारी रखने का संकल्प लिया है। इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट में कहा गया, “हमने स्वादिष्ट कॉफ़ी और दोस्ताना बातचीत के ज़रिए गर्मजोशी, सामुदायिकता और खुशी लाने की उम्मीद के साथ कप्स कैफ़े खोला था। उस सपने के साथ हिंसा का टकराव दिल दहला देने वाला है। हम इस सदमे से उबर रहे हैं, लेकिन हार नहीं मान रहे हैं।”

Myanmar में मठ पर हवाई हमला, 3 बच्चों सहित 22 नागरिकों की दर्दनाक मौत

म्यांमार के मध्य भाग में स्थित एक मठ पर हाल ही में हुए हवाई हमले में 20 से अधिक आम नागरिकों की जान चली गई, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। यह जानकारी एक स्थानीय निवासी और सैन्य शासन विरोधी लड़ाके ने एएफपी को शनिवार को दी। म्यांमार में वर्ष 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद से गृहयुद्ध जैसी स्थिति बनी हुई है। खासतौर पर सगाइंग क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां सेना ने सशस्त्र समूहों को निशाना बनाते हुए गांवों पर हवाई हमले किए हैं।
सबसे हालिया हमला शुक्रवार तड़के लगभग 1:00 बजे लिन ता लू गांव में हुआ। एक सैन्य विरोधी लड़ाके ने बताया कि “वहां एक बौद्ध मठ था, जहां आंतरिक रूप से विस्थापित लोग शरण लिए हुए थे। उसी पर हवाई हमला हुआ।” उसके अनुसार, इस हमले में 22 लोगों की मौत हो गई, जिनमें तीन बच्चे भी थे, जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल होकर अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। उसने कहा, “लोगों ने सोचा था कि मठ में रहना सुरक्षित रहेगा, लेकिन वहां भी बम गिरा दिया गया।”
 

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जुंटा (सैन्य शासन) के प्रवक्ता जॉ मिन तुन ने इस घटना पर एएफपी के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। एक स्थानीय निवासी ने भी पुष्टि की कि मठ का सभागार पूरी तरह नष्ट हो गया। उन्होंने बताया कि कई शवों को एक कार में रखकर शुक्रवार सुबह श्मशान ले जाया गया। वह व्यक्ति जो पहचान गुप्त रखने की शर्त पर बोल रहा था, उसने कहा कि जब वह शवों की पहचान के लिए तस्वीरें लेने श्मशान गया तो उसने वहां 22 शव गिने। “कई शवों के सिर पर गंभीर चोटें थीं या उनके अंग कटे-फटे थे। यह बेहद दुखद दृश्य था,” उसने बताया।
 

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मार्च में सगाइंग क्षेत्र में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप में लगभग 3,800 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग बेघर हो गए थे। उस समय सेना और सशस्त्र समूहों के बीच अस्थायी युद्धविराम की बात कही गई थी, लेकिन संघर्ष और हवाई हमले अब भी जारी हैं। मई में, इसी क्षेत्र के ओ हेइन क्विन गांव में एक स्कूल पर हुए हवाई हमले में 20 छात्रों और दो शिक्षकों की जान चली गई थी।

भारतीय न्याय व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत, मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई का बड़ा बयान

भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था अनोखी चुनौतियों का सामना कर रही है और इसमें सुधार की सख्त ज़रूरत है। हैदराबाद के जस्टिस सिटी स्थित नालसार यूनिवर्सिटी ऑफ़ लॉ के दीक्षांत समारोह में न्यायमूर्ति गवई ने छात्रों को सलाह दी कि वे छात्रवृत्ति पर विदेश जाकर पढ़ाई करें, न कि परिवार की आर्थिक स्थिति पर दबाव डालें। उन्होंने आगे कहा कि आशावादी हूँ कि मेरे साथी नागरिक चुनौतियों का सामना करेंगे। मुकदमों में कभी-कभी दशकों तक देरी होती है। हमने ऐसे कई मामले देखे हैं जहां किसी व्यक्ति को विचाराधीन कैदी के रूप में वर्षों जेल में बिताने के बाद निर्दोष पाया गया है। हम जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं उनके समाधान में हमारी सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाएं मदद कर सकती हैं।
 

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मुख्य न्यायाधीश गवई ने कहा कि हालांकि मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा हूँ कि हमारी न्याय व्यवस्था में सुधार की सख्त ज़रूरत है, फिर भी मैं इस बात को लेकर पूरी तरह आशावादी हूँ कि मेरे साथी नागरिक इन चुनौतियों का सामना करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमें एक पोषणकारी शैक्षणिक वातावरण का निर्माण करना होगा, पारदर्शी और योग्यता-आधारित अवसर प्रदान करने होंगे, और सबसे महत्वपूर्ण बात, भारत में कानूनी अनुसंधान और प्रशिक्षण की गरिमा और उद्देश्य को पुनर्स्थापित करना होगा। भारत की कानूनी विरासत का केवल जश्न मनाना ही पर्याप्त नहीं है। 
न्यायाधीश बीआर गवई ने कहा कि हमें इसके भविष्य में निवेश करना होगा, और यह भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपने शोधकर्ताओं, अपने युवा संकाय और वकीलों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। हमें न केवल संस्थानों में, बल्कि कल्पनाशीलता, मेंटरशिप कार्यक्रमों, शोध फेलोशिप, स्थानीय नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और नैतिक कार्यस्थलों में निवेश करने की आवश्यकता है, जो हमारे सर्वश्रेष्ठ दिमागों को रुकने या वापस लौटने के लिए प्रेरित करें। 
 

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उन्होंने कहा कि यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा देश और हमारी न्याय व्यवस्था अनूठी चुनौतियों का सामना कर रही है। मुकदमों में देरी कभी-कभी दशकों तक चल सकती है। हमने ऐसे मामले देखे हैं जहाँ किसी व्यक्ति को विचाराधीन कैदी के रूप में वर्षों जेल में बिताने के बाद निर्दोष पाया गया है। हमारी सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाएँ हमें उन समस्याओं का समाधान करने में मदद कर सकती हैं जिनका हम सामना कर रहे हैं।

Shubhanshu Shukla Return | पृथ्वी पर लौटने के बाद शुभांशु शुक्ला को सात दिनों तक पुनर्वास में रहना होगा

भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जो एक्सिओम-4 मिशन के तहत लगभग चार दशकों में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) का दौरा करने वाले पहले भारतीय हैं, पृथ्वी पर लौटने के लिए तैयार हैं। उनका स्प्लैशडाउन 15 जुलाई, 2025 को दोपहर 3:00 बजे IST पर निर्धारित है, जो उनकी ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के सफल समापन का प्रतीक होगा। इसरो ने एक्सिओम-4 मिशन पर एक अपडेट में कहा, “पृथ्वी से उतरने के बाद, गगनयात्री को फ्लाइट सर्जन की देखरेख में पुनर्वास कार्यक्रम (लगभग 7 दिन) से गुजरना होगा, ताकि वह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल हो सके।”

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अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 15 जुलाई को कैलिफोर्निया तट पर उतरने के बाद सात दिनों तक पुनर्वास में रहेंगे।
ग्रुप कैप्टन शुक्ला 18 दिनों तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर प्रवास के बाद पृथ्वी पर लौट रहे हैं।
शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्री, कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड व हंगरी के मिशन विशेषज्ञ स्लावोज उज्नान्स्की-विस्नीव्स्की और टिबोर कापू, ‘एक्सिओम-4 मिशन’ के तहत 26 जून को अंतरिक्ष स्टेशन पहुंचे थे।

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नासा ने एक बयान में बताया कि चारों अंतरिक्ष यात्री सोमवार, 14 जुलाई को भारतीय समयानुसार अपराह्न चार बजकर 35 मिनट पर अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से रवाना होंगे।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, अंतरिक्ष स्टेशन से अलग होने के बाद कई कक्षीय प्रक्रियाओं को पार कर ‘क्रू ड्रैगन’ अंतरिक्ष यान 15 जुलाई को भारतीय समयानुसार अपराह्न तीन बजे कैलिफोर्निया तट के पास उतरेगा।

इसरो ने ‘एक्सिओम-4’ मिशन के बारे में बताया, ‘‘(अंतरिक्ष से) वापस आने के बाद शुक्ला को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल होने के लिए फ्लाइट सर्जन की देखरेख में एक कार्यक्रम के तहत (लगभग सात दिन) पुनर्वास में रहना होगा।’’
इसरो ने शुक्ला की अंतरिक्ष यात्रा के लिए लगभग 550 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। यह एक ऐसा अनुभव है, जो अंतरिक्ष एजेंसी को अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ की योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने में मदद करेगा।

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‘गगनयान’, 2027 में कक्षा में स्थापित होगा।
इसरो के फ्लाइट सर्जन निजी चिकित्सा/मनोवैज्ञानिक सत्रों में भागीदारी के माध्यम से अंतरिक्ष यात्री शुक्ला के समग्र स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती की निरंतर निगरानी कर रहे हैं।
इसरो ने बताया, “गगनयात्री शुभांशु का स्वास्थ्य अच्छा है और वह उत्साह से लबरेज हैं।”
शुक्ला और तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के भारतीय समयानुसार अपराह्न दो बजकर 25 मिनट पर ‘क्रू ड्रैगन’ अंतरिक्ष यान में सवार होने, अपने अंतरिक्ष सूट पहनने और पृथ्वी की यात्रा शुरू करने से पहले आवश्यक जांच कराने की उम्मीद है।

अंतरिक्ष स्टेशन 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। अंतरिक्ष यान स्वचालित रूप से आईएसएस से अलग होने की प्रक्रिया शुरू करेगा, ताकि धीरे-धीरे गति धीमी हो सके और कैलिफोर्निया में पानी में उतरने (स्पलैशडाउन) के लिए पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर सके।
नासा ने एक बयान में बताया, “ड्रैगन’ अंतरिक्ष यान 580 पाउंड से अधिक सामान के साथ वापस आएगा, जिसमें नासा हार्डवेयर और पूरे मिशन के दौरान किए गए 60 से अधिक प्रयोगों का डेटा शामिल है।”

नासा के मुताबिक,‘एक्सिओम-4’ मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “हम कॉकटेल और अच्छे लोगों के साथ अंतरिक्ष स्टेशन पर अपने आखिरी कुछ दिनों का आनंद ले रहे हैं।”
पैगी ने पोस्ट में कहा कि शुक्ला गाजर का हलवा और आमरस लेकर आये हैं।

अमेरिकी दूतावास की चेतावनी, कानून और आव्रजन नियमों का पालन न करने पर रद्द होगा वीजा

भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने शनिवार को चेतावनी दी कि अमेरिकी कानूनों या आव्रजन नियमों का उल्लंघन करने वाले वीज़ा धारकों को निर्वासित किया जाएगा। यह डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के तहत हाल ही में लागू किए गए कड़े आव्रजन प्रवर्तन उपायों को और पुख्ता करता है। दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जारी एक बयान में कहा, “वीज़ा जारी होने के बाद अमेरिकी वीज़ा जाँच बंद नहीं होती।” 
 

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अमेरिकी दूतावास ने साफ तौर पर कहा कि हम निरंतर वीज़ा धारकों की जांच करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे सभी अमेरिकी कानूनों और आव्रजन नियमों का पालन कर रहे हैं – और यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो हम उनके वीज़ा रद्द कर देंगे और उन्हें निर्वासित कर देंगे। यह चेतावनी दूतावास द्वारा एफ, एम और जे गैर-आप्रवासी वीज़ा (आमतौर पर छात्रों और एक्सचेंज आगंतुकों को जारी किए जाने वाले वीज़ा) के आवेदकों को अपने सोशल मीडिया अकाउंट सार्वजनिक करने की सलाह दिए जाने के कुछ दिनों बाद आई है ताकि आव्रजन अधिकारियों द्वारा उनकी जाँच की जा सके।
 

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दूतावास ने यह भी चेतावनी दी है कि सोशल मीडिया गतिविधि के बारे में गलत जानकारी देने या छिपाने पर वीज़ा अस्वीकार किया जा सकता है और यहाँ तक कि स्थायी रूप से अयोग्य भी ठहराया जा सकता है। पिछले महीने जारी एक बयान में, दूतावास ने कहा कि अमेरिकी वीज़ा “एक विशेषाधिकार है, अधिकार नहीं” और आवेदकों को याद दिलाया कि हर वीज़ा निर्णय राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा एक फ़ैसला होता है। 2019 से, अमेरिकी वीज़ा आवेदकों को पिछले पाँच वर्षों में इस्तेमाल किए गए सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के लिए पहचानकर्ता प्रदान करना अनिवार्य कर दिया गया है। दूतावास ने कहा कि अमेरिकी कानून के तहत किसी व्यक्ति की पहचान और स्वीकार्यता स्थापित करने के लिए यह जाँच ज़रूरी है।

Russia-Ukraine War | जिस जगह मां दे रहीं थी बच्चें को जन्म, वहीं पर किया रूस ने हमला…यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर अटैक

रूस यूक्रेन युद्ध अभी भी नहीं थमा है दोनों देशों के बीच जंग जारी है। कभी यूक्रेन घाट लगाकर हमला करता है तो कभी रूस तबाही मचाने पर उतारू हो जाता है। इस बार यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में शुक्रवार को रूसी ड्रोन हमले में नौ लोग घायल हो गए और एक प्रसूति अस्पताल क्षतिग्रस्त हो गया। यह जानकारी अधिकारियों ने दी।
खारकीव के मेयर इगोर तेरेखोव ने टेलीग्राम पर लिखा, ‘‘नवजात शिशुओं वाली माताओं को एक अलग चिकित्सा केंद्र में ले जाया जा रहा है। उन्होंने यह नहीं बताया कि घायलों में अस्पताल का कोई व्यक्ति भी शामिल है या नहीं।

रूस द्वारा हाल ही में यूक्रेनी शहरों पर लंबी दूरी तक मार करने वाले शाहेद ड्रोन से हमलों में तेजी आई है। इन हमलों में अक्सर बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइल के साथ-साथ शक्तिशाली ग्लाइड बम भी शामिल होते हैं। इन घटनाओं ने तीन साल से अधिक समय से जारी युद्ध के बाद यूक्रेन की वायु रक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के प्रयासों को एक बार फिर अत्यंत आवश्यक बना दिया है।
खारकीव पर बमबारी के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा, यूक्रेन में कहीं शांति नहीं है।’’

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यूक्रेनी राजधानी कीव सहित देश के कई अन्य क्षेत्रों को हाल के सप्ताह में लगातार ड्रोन हमलों का सामना करना पड़ा है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार मिशन ने बृहस्पतिवार को कहा कि जून महीना पिछले तीन वर्षों में नागरिकों के हताहतों होने के लिहाज से सबसे भयावह रहा, जिसमें 232 लोगों की मौत हुई और 1,343 लोग घायल हुए। इसने कहा कि रूस ने इस साल जून में पिछले साल के मुकाबले 10 गुना अधिक ड्रोन और मिसाइल हमले किए।

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इसी के साथ, रूस की सेना लगभग 1,000 किलोमीटर लंबे मोर्चे के कई हिस्सों पर भारी दबाव बना रही है, जहां फरवरी 2022 में क्रेमलिन द्वारा पड़ोसी यूक्रेन पर आक्रमण का आदेश दिए जाने के बाद से दोनों पक्षों के हजारों सैनिक मारे जा चुके हैं।
जेलेंस्की ने बृहस्पतिवार को रोम में हुई एक अंतरराष्ट्रीय बैठक में दिए गए सहायता के वादों को तेजी से लागू करने की अपील अपने पश्चिमी सहयोगियों से की।
उन्होंने कहा कि यूक्रेन को रूसी मिसाइल को रोकने के लिए अमेरिका-निर्मित पैट्रियट वायु रक्षा प्रणली की अत्यंत आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि साथ ही उसे और अधिक इंटरसेप्टर ड्रोन की जरूरत है ताकि रूस निर्मित शाहेद ड्रोनों को मार गिराया जा सके।
खबरों के अनुसार, रूस ने ड्रोन उत्पादन की प्रक्रिया तेज कर दी है।
जेलेंस्की ने बताया कि यूक्रेन ने अन्य देशों से 10 और पैट्रियट प्रणाली तथा मिसाइल मांगी हैं। उन्होंने कहा कि जर्मनी दो प्रणाली खरीदने को तैयार है और नॉर्वे एक प्रणाली खरीदने पर राजी हो गया है, जो यूक्रेन को दी जाएंगी।

ट्रंप ने बृहस्पतिवार देर रात कहा कि अमेरिका अन्य नाटो देशों को पैट्रियट सहित हथियार भेज रहा है, जो इसके लिए वाशिंगटन को भुगतान कर रहे हैं और उसे यूक्रेन को दे रहे हैं।
एनबीसी के साथ एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि वह सोमवार को रूस पर एक बड़ा बयान देंगे। उन्होंने विस्तार से तो नहीं बताया, लेकिन जेलेंस्की लंबे समय से मास्को पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की वकालत करते रहे हैं।

जेलेंस्की ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बातचीत काफी रचनात्मक रही है, हालांकि प्रशासन ने और अधिक महत्वपूर्ण सैन्य सहायता प्रदान करने की अपनी तत्परता के बारे में परस्पर विरोधाभासी संकेत दिए हैं।
जेलेंस्की ने कहा कि वह अमेरिका में अपनी राजदूत ओक्साना मार्करोवा की जगह रक्षा मंत्री रुस्तम उमरोव को नियुक्त करने पर विचार कर रहे हैं।

तेजी से मंत्रोच्चार हो रहा था, पिता ने बार-बार किया बलात्कार, पड़ोसियों को भी किया शामिल, पुलिस प्रमुख की बेटी ने बयां की अपनी दर्दनाक कहानी

न्यू जर्सी के एक लंबे समय से पुलिस प्रमुख रहे व्यक्ति की बेटी ने अपने पिता, एक पड़ोसी और कई अन्य लोगों पर एक दशक से भी ज़्यादा समय से यौन और धार्मिक दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया है, जिसमें शैतानी पंथ की गतिविधियों, बाल तस्करी और हिंसा की धमकियों के आरोप शामिल हैं। कोर्टनी टैमग्नी ने आरोप लगाया है कि उनके पिता, लियोनिया पुलिस प्रमुख स्कॉट टैमग्नी, पड़ोसी केविन स्लेविन और अन्य लोगों ने 4 से 15 साल की उम्र तक उनके साथ दुर्व्यवहार किया। इन आरोपों में बार-बार यौन उत्पीड़न, धमकियाँ और उनके घर और आस-पास के जंगली इलाकों में “शैतानी धार्मिक दुर्व्यवहार” शामिल है।
न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, 20 वर्षीय कोर्टनी तामागनी ने एक चौंकाने वाले मुकदमे में अपने पिता लियोनिया पुलिस प्रमुख स्कॉट तामागनी और पड़ोसी केविन स्लेविन का नाम लिया है। इस मुकदमे में उन परेशान करने वाले दुर्व्यवहारों का विवरण दिया गया है जो कथित तौर पर तब शुरू हुए जब वह 4 साल की थी।
 

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अदालती दस्तावेज़ों के अनुसार, कोर्टनी तामागनी का दावा है कि उसके पिता और स्लेविन ने उनके घर में, उनके घर के पास के जंगल में “कर्मकांडी” उपासकों के साथ, उनके साथ दुर्व्यवहार किया। उसके पिता ने कथित तौर पर उसकी माँ को धमकी दी थी कि अगर उसने कभी मुँह खोला तो वह उसकी माँ को मार डालेंगे।
मुकदमे में खौफनाक दृश्यों का वर्णन किया गया है। मुकदमे में दावा किया गया है, “[कोर्टनी को] रॉकलैंड काउंटी, न्यूयॉर्क के जंगल में लाया गया था, और वहाँ कुछ अधेड़ उम्र के पुरुष भी मौजूद थे जिनके चेहरे पर नकाब थे।”
 

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“उसे याद है कि वहाँ आग लग रही थी और जानवरों को जलाया जा रहा था, और वे ऐसे मंत्रोच्चार कर रहे थे जैसे कोई अनुष्ठान कर रहा हो।” इसमें आगे आरोप लगाया गया है, “उस जंगल में प्रतिवादी स्लेविन, प्रतिवादी पिता और वहाँ मौजूद कुछ अन्य पुरुषों ने उसका यौन उत्पीड़न किया।”
चीफ तामाग्नी और स्लेविन ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि अधिकारियों ने इन दावों की गहन जाँच की और ये निराधार पाए गए। स्लेविन ने इसके बाद कोर्टनी तामाग्नी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया है।
 

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उन्होंने कहा कि उन्होंने 2022 तक इस आघात की यादों को दबाए रखा, जब पुराने जननांग दर्द के इलाज के दौरान उन्हें अचानक कुछ याद आने लगा। बाद में उनके चिकित्सक ने औपचारिक रूप से दुर्व्यवहार की शिकायत दर्ज कराई, जिससे कानूनी प्रक्रिया शुरू हो गई।
तमागनी और उनकी माँ, जीन तमागनी ने तब से अपने आरोपों को सार्वजनिक कर दिया है, पॉडकास्ट, सोशल मीडिया और Change.org पर एक याचिका के माध्यम से अपनी कहानी साझा की है, जिसमें चीफ तमागनी की बर्खास्तगी की मांग की गई है।
स्कॉट तमागनी और केविन स्लेविन दोनों ने इन दावों का खंडन किया है। उनका कहना है कि आरोपों की पहले ही गहन जाँच हो चुकी है, जिसमें संघीय अधिकारी भी शामिल हैं। द न्यू यॉर्क पोस्ट के अनुसार, स्लेविन ने तमागनी के खिलाफ मानहानि का प्रतिवाद दायर किया है।