Monday, December 22, 2025
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अचानक फोर्स ने घेरा बांग्लादेशी दूतावास, दिल्ली में हाई अलर्ट

बांग्लादेश हिंसा की आग भले ही बुझ गई हो लेकिन तनाव कम नहीं हुआ है। बांग्लादेश के कट्टरपंथी अल्पसंख्यक हिंदुओं को लगातार टारगेट कर रहे हैं। भारत में इसको लेकर गुस्सा है। देश के अलग-अलग शहरों में बांग्लादेश के खिलाफ आक्रोश दिखा। सिर्फ भारत नहीं पड़ोसी नेपाल में भी हिंदुओं का गुस्सा बांग्लादेश पर प्रदर्शन के जरिए फूटा। ये गुस्सा ये आक्रोश मुर्दाबाद मुर्दाबाद मुर्दाबाद और यह खामोशी पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश धक रहा है। नफरत की साग में हिंदुओं के घर भी जले और हिंदू जिंदा भी जले। यह गुस्सा उसी नफरत के खिलाफ है जिसने ढाका में हिंदू युवक दीपपू दास की पीट-पीट कर हत्या कर दी और फिर सरेआम उसके शव को आग लगा दिया। दीपू दास की हत्या और हिंदुओं पर टारगेटेड हमले के खिलाफ ढाका में अल्पसंख्यक हिंदू इकट्ठा हुए और न्याय की मांग की। यह मौन विरोध था ढाका की उस व्यवस्था के खिलाफ जिसने धर्म के आधार पर एक युवक की पीट-पीट कर हत्या कर दी। यह मौन विरोध उस नफरत के खिलाफ था जिसने धर्म के आधार पर एक युवक को मार डाला।

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ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर में भी हिंदू संगठन के लोग इकट्ठा हुए और दीपू दास को श्रद्धांजलि दी। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचार के खिलाफ भारत में आक्रोश है। जमशेदपुर में बीजेपी और हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे और बांग्लादेशी सरकार के एडवाइजर मोहम्मद यूनुस का पुतला फूंक दिया। मुर्दाबाद मुर्दाबाद मुर्दाबाद मुर्दाबाद मुर्दाबाद। यह आक्रोश सिर्फ जमशेदपुर तक नहीं है। देश की राजधानी दिल्ली में बांग्लादेशी दूतावास के बाहर प्रदर्शनकारी जुटने लगे। हालांकि समय रहते दिल्ली पुलिस सक्रिय हुई और सभी प्रदर्शनकारियों को वापस भेज दिया। असम के सीमावर्ती जिलों में भी बांग्लादेश के खिलाफ आक्रोश दिखा। त्रिपुरा में हजारों की संख्या में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ता सड़क पर आ गए। बांग्लादेश के खिलाफ नारेबाजी करने लगे और पुतला भी जलाया।

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वहीं सिलचर में हिंदू संगठनों ने बांग्लादेशी हिंदुओं की रक्षा की मांग करते हुए विरोध दर्ज कराया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के साथ जो हो रहा है उसकी आंच नेपाल तक पहुंची है। नेपाल के आठ जिलों में हिंदू संगठन आक्रोशित है। नेपाली नागरिकों ने बांग्लादेश के खिलाफ आवाज बुखर की। साथ ही अपनी सरकार से मांग की कि बांग्लादेशी दूतावास को नेपाल से तुरंत हटाया जाए और उनके डिप्लोमेट्स को देश से भगाया जाए। बांग्लादेश में जिहादी सक्रिय है। मानो पूरे देश को कट्टरपंथियों ने कब्जे में ले लिया हो। शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के कार्यकर्ताओं को भी यह जिहादी ताकतें खोजखोज कर मार रही है। 

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मुसीबत एक रास्ते से आए तो इंसान उससे लड़ सकता है, मुकाबला कर सकता है। लेकिन अगर वो तीन-तीन रास्ते से एक साथ आ जाए तो फिर जाहिर है नींद उड़ जाएगी। जीना हराम हो जाएगा। फील्ड मार्शल से पाकिस्तान का सीडीएफ बने आसिम मुनीर के साथ बिल्कुल यही हो रहा है। तीन-तीन मुसीबतों ने उस पर एक साथ धावा बोल दिया। नतीजा यह कि पूरे पाकिस्तान पर राज करने का ख्वाब देख रहे मुनीर का जीना हराम हो गया। फील्ड मार्शल के बाद सीडीएफ बनकर आसिम मुनीर पूरे पाकिस्तान पर हुकूमत का ख्वाब देख रहा था। उसने सोचा था जिंदगी मजे से गुजारने का इंतजाम हो गया है। लेकिन हुआ उल्टा। उसका पाकिस्तान में जीना हराम हो गया। टीटीपी ने पाकिस्तान में अपने हमले तेज कर दिए हैं। बलूच लिबरेशन आर्मी यानी बीएलए मुनीर की सेना पर ताबड़तोड़ हमले कर उसके हौसले पस कर रही थी। वहीं इमरान खान के समर्थकों ने भी सड़क पर उतर कर मुल्ला मुनीर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यानी एक साथ तीन-तीन मोर्चों पर मुनीर को जूझना पड़ रहा है। ना दिन को चैन है और ना ही रात को आराम।

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पाकिस्तान में मुनीर का जीना हराम हो गया है। इन तीन मोर्चों में से सबसे पहले बात बलूच लिबरेशन आर्मी की जिसने मुल्ला मुनीर की फौज को सबसे ताजा जख्म दिया है। बलूचिस्तान में पाकिस्तान की आर्मी को एक और बड़े हमले का सामना करना पड़ा। पंचगुर और खुजदार के ज़हरी इलाके में पाक आर्मी को निशाना बनाकर बलूच लिबरेशन आर्मी ने खौफनाक हमला किया। जिसमें 13 पाकिस्तानी फौजियों की मौत होने की खबर है। इतना ही नहीं बीएलए ने सोशल मीडिया पर मुनीर की बेइज्जती का वीडियो भी रिलीज़ कर दिया। वीडियो में राइफलें, गोला बारूद के डिब्बे और दूसरे उपकरण दिखाई दे रहे हैं। बीएएलए का दावा है कि यह पाकिस्तानी आर्मी के हथियार और वर्दियां हैं जो अपने कब्जे में लिए हैं।

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एक तो बीएलए का हमला और दूसरा मुल्ला मुनीर के फौजियों की वर्दी और हथियारों पर कब्जा। पाकिस्तानी आवाम तौबतौबा कर रही है। बलूचों के हमलों ने मुनीर की फौज की नींद उड़ा रखी है। तो वहीं दूसरी तरफ टीटीपी मुनीर को सांस लेने का मौका नहीं दे रही। टीटीपी ने एक बार फिर से सुरक्षा बलों पर बड़ा अटैक किया। शनिवार को हुए टीटीपी के हमले में पाकिस्तान के चार जवान मारे गए हैं। यह हमला पाकिस्तान के आशांत खैबर पख्तून ख्वा प्रांत में हुआ। टीजीटीपी ने उत्तरी वजिस्तान जिले के बोया इलाके में स्थित पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के कैंप को निशाना बनाया।

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इमरान खान का नाम लेकर सड़क पर उतरी पीटीआई की झंडाधारी आवाम पाकिस्तान में नए कोहराम की घंटी बजा रही है। ये आसिम मुनीर के खिलाफ उस बगावत की प्रस्तावना लिख रही है जिसकी पटकथा खुद नियाजी ने जेल में बैठकर लिखी है। यह शहबाज शरीफ को दी जाने वाली उस चुनौती की कड़ी है जिसकी पूरी और पक्की तैयारी हो चुकी है। पाकिस्तानी हुकूमत और फौज के खिलाफ इमरान के समर्थक सर्द शाम में सड़क पर उतर कर आवाज लगा रहे हैं। पाकिस्तान की सड़कों और गलियों को जाम करने के आवाहन के बाद पीटीआई के कार्यकर्ता अलग-अलग शहरों में झंडा लेकर उतरे हुए हैं। बुलंद आवाज में सेना और कठपुती सरकार दोनों को चुनौती दी जा रही है। निशाने पर सीधे आसिफ मुनीर है क्योंकि इमरान खान को जिंदगी भर के लिए काल कोठरी में बंद करने की साजिश रची जा रही है। जानकार बता रहे हैं कि मुनीर के लिए यह स्थिति ना निगलने वाली है ना उगलने वाला। जाहिर है आसिम मुनीर ने जिस शातिरना अंदाज में चाल चली थी वो फेल होती दिखाई पड़ रही है। आसिम चक्रव्यूह में फंस चुका है। मुनीर एक तरफ गाजा में आर्मी भेजने पर फंस गया है और दूसरी ओर इमरान खान को जेल में आजीवन काल कोठरी में बंद करने को लेकर भी लोगों मे

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बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर खून और खौफ के साये में है। छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या ने देश की अंतरिम सत्ता व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस हत्या को कानून व्यवस्था के पूर्ण पतन का प्रतीक बताते हुए अंतरिम सरकार और उसके मुखिया मुहम्मद युनूस पर तीखा हमला बोला है। शेख हसीना ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि यह हत्या कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि उस अराजकता का परिणाम है जो उनकी सरकार हटने के बाद तेजी से बढ़ रही है। उनके अनुसार हिंसा अब सामान्य व्यवहार बन चुकी है और अंतरिम प्रशासन या तो इसे नकार रहा है या रोकने में पूरी तरह विफल है। उन्होंने चेताया कि इस स्थिति से न केवल बांग्लादेश अंदर से अस्थिर हो रहा है, बल्कि पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर भी बुरा असर पड़ रहा है, विशेष रूप से भारत के साथ।
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों का मुद्दा भी जोरदार ढंग से उठाया। मयमनसिंह जिले में 27 वर्षीय हिंदू युवक दीपु चंद्र दास की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या और फिर शव जलाए जाने की घटना को उन्होंने अंतरिम सरकार की नाकामी बताया। हसीना के अनुसार ऐसे कृत्य यह दिखाते हैं कि राज्य अपने नागरिकों की रक्षा करने में अक्षम हो चुका है। हसीना ने आरोप लगाया कि मौजूदा सत्ता संरचना में उग्रवादी तत्व खुलेआम हावी हो गए हैं। उनके अनुसार भारत विरोधी भावनाएं जानबूझ कर भड़काई जा रही हैं, राजनयिक ठिकानों और मीडिया संस्थानों पर हमले हो रहे हैं और दोषियों को दंड की बजाय संरक्षण मिल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिम सरकार ने सजायाफ्ता आतंकियों को रिहा किया है और कट्टरपंथी समूहों को सार्वजनिक जीवन में स्थान दिया है, जो बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष परंपरा के लिए गंभीर खतरा है।

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विदेश नीति पर भी शेख हसीना ने सवाल उठाए। उनका कहना है कि पाकिस्तान के साथ जल्दबाजी में नजदीकी बढ़ाना और पुराने सहयोगियों को नाराज करना उस सरकार के लिए अनुचित है, जिसे जनता का जनादेश ही प्राप्त नहीं है। उन्होंने दो टूक कहा कि अंतरिम प्रशासन को ऐसी दीर्घकालिक रणनीतिक दिशा तय करने का कोई अधिकार नहीं है।
देखा जाये तो अंतरिम सरकार की सबसे बड़ विफलता यह है कि उसने सत्ता संभालते ही राज्य की बुनियादी जिम्मेदारी को त्याग दिया। कानून व्यवस्था का मतलब केवल पुलिस तैनात करना नहीं होता, बल्कि यह स्पष्ट संदेश देना होता है कि हिंसा किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। आज बांग्लादेश में यह संदेश गायब है। नतीजा यह है कि बंदूकधारी, भीड़ और कट्टरपंथी खुद को सत्ता का असली मालिक समझने लगे हैं।
अल्पसंख्यकों पर हमले किसी भी समाज का नैतिक आईना होते हैं। जब हिंदू युवक को भीड़ जला देती है और सरकार खामोश रहती है, तो यह केवल एक समुदाय पर हमला नहीं रहता, यह संविधान और सभ्यता पर हमला बन जाता है। ऐसी घटनाएं यह बताती हैं कि कट्टरता अब हाशिये पर नहीं, बल्कि केंद्र में पहुंच रही है।
भारत के साथ संबंधों को लेकर फैलती कटुता भी चिंता का विषय है। भारत और बांग्लादेश के रिश्ते केवल कूटनीतिक समझौतों पर आधारित नहीं रहे, वह साझा इतिहास, सुरक्षा और विकास की जरूरतों से गुथे हैं। इन्हें कमजोर करना किसी तात्कालिक राजनीतिक संतोष का साधन हो सकता है, लेकिन दीर्घकाल में इसका खामियाजा बांग्लादेश को ही भुगतना पड़ेगा। सबसे खतरनाक संकेत यह है कि अंतरिम सत्ता के इर्द गिर्द उग्रवादी शक्तियां वैधता का चोला पहनने की कोशिश कर रही हैं। जब अनुभवहीन नेतृत्व कट्टर ताकतों के सहारे शासन चलाता है, तो लोकतंत्र केवल नाम का रह जाता है।
बहरहाल, बांग्लादेश आज चौराहे पर खडा है। शरीफ उस्मान हादी की मौत चेतावनी है कि अगर समय रहते दिशा नहीं बदली गई, तो यह चौराहा जल्द ही खंडहर में बदल सकता है।

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बांग्लादेश ने शायद कभी सोचा नहीं था कि भारत को धमकी देने का इतना बड़ा और इतना ठोस जवाब मिलेगाबांग्लादेश के कुछ कट्टरपंथी नेताओं ने यह मान लिया था कि अगर वे भारत को युद्ध की धमकी देंगे, सेवन सिस्टर राज्यों को अलग-थलग करने की बात करेंगे और चिकन नेक कॉरिडोर को बंद करने की गीदड़ भभकी देंगे। तो भारत शांति के नाम पर चुप बैठा रहेगा। लेकिन वो भूल गए यह नया भारत है जो ताकतवर होता है। वह शब्दों से नहीं तैयारियों और एक्शन से जवाब देता है और अब वही हो रहा है। भारत ने 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉप्स को बांग्लादेश सीमा पर भेज दिया। जिसके बाद बांग्लादेश की सेना में घबराहट है। नेताओं के चेहरे से मुस्कान गायब है और ढाका में चिंता की लकीरें साफ दिख रही।

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दरअसल पिछले कुछ समय से आपने देखा होगा कि बांग्लादेश के कुछ नेता अपनी घरेलू राजनीति चमकाने के लिए भारत विरोधी बयान दे रहे थे। कोई कह रहा था सेवन सिस्टर को भारत से अलग-थलग कर देंगे। कोई धमकी दे रहा था कि भारत का चिकन नेक बंद कर देंगे। लेकिन सच्चाई क्या है? यह बयान बांग्लादेश की डोमेस्टिक पॉलिटिक्स का थिएटर था। जनता को भड़काने का तरीका था। मीडिया में सुर्खियां बटोरने की कोशिश थी। लेकिन इन नेताओं ने एक गलती कर दी। उन्होंने मान लिया कि भारत सिर्फ बयान सुनेगा एक्शन नहीं लेगा। अब तक भारत मिजोरम, दक्षिण असम भारत बांग्लादेश सीमा को अपेक्षाकृत सेकेंडरी फ्रंट मानता था। यहां फोकस था बॉर्डर मैनेजमेंट, स्मगलिंग कंट्रोल और सीमित मिलिट्री प्रेजेंस का।

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लेकिन बांग्लादेश पे राजनीतिक कट्टरता भारत विरोधी बयान और अस्थिरता ने भारत को मजबूर कर दिया रणनीति बदलने पर और इसी बदलाव का सबसे बड़ा संकेत है 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉप्स की एंट्री। दरअसल ये कोई सामान्य सैन यूनिट नहीं है। 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉब्स भारत की सबसे घातक और सबसे आक्रामक ऑफेंसिव माउंटेन वॉरफेयर फोर्स है। इसका मतलब साफ है कि यह डिफेंस के लिए नहीं बल्कि तेज और निर्णायक हमले के लिए बनाई गई है। इस कॉप्स की खासियत है हाई इंटे सिटी ऑपरेशन, क्विक रिएक्शन क्षमता, पहाड़ी इलाकों में गहरी घुसपैठ को रोकना, रॉकेट आर्टली सपोर्ट और भारी गोला बारूद के साथ तैनाती। अब यही फोर्स बांग्लादेश की सीमा के सर्वे और ऑपरेशन तैयारी के लिए भेज दी गई है।

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सूत्रों के मुताबिक मिजोरम और सिलचर सीमा क्षेत्र में तीन बटालियन कमांड ज़ोन बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा रॉकेट आर्टली हैवी इम्यूनिशन फॉरवर्ड लॉजिस्टिक बेस तैनात किए जा रहे हैं। मतलब साफ है अब भारत बांग्लादेश सीमा को फुल फ्रिज ऑपरेशनल थिएटर मानकर चल रहा है। यानी वही मॉडल जो पाकिस्तान बॉर्डर पर अपनाया गया। अब यहां भी लागू होगा। बांग्लादेश की सेना इस स्थिति को अच्छे समझती है। उसकी घबराहट के तीन बड़े कारण हैं पहले नेताओं की गैर जिम्मेदाराना बयानबाजीबांग्लादेशी सेना जानती है कि राजनीतिक बयान उन्हें भारत के सामने खड़ा कर रहे हैं। 

मैं लौट…बांग्लादेश बवाल में कूदी शेख हसीना, बयान ने मचा दिया बवाल

बांग्लादेश में जहां हिंसा की खबरें लगातार सामनेरही हैं और मौजूदा हालात बदतर स्थिति से गुजर रहे हैंऐसे में वहां की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना का पूरी स्थिति को लेकर एक बड़ा बयान सामने आया हैदरअसल न्यूज़ एजेंसी एएनआई को ईमेल पर दिए अपने एक इंटरव्यू में शेख हसीना ने मौजूदा हालात पर टिप्पणी कीसबसे पहले बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश लौटने की मांगों को खारिज कर दियाउन्होंने कहा कि उनके खिलाफ चल रही कानूनी कार्रवाई पूरी तरह से राजनीतिक है और मौजूदा हालात में वह बांग्लादेश वापस नहीं जाएंगेइस ईमेल इंटरव्यू में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारत विरोधी बढ़ती भावनाओं पर बात करते हुए कहा। यह दुश्मनी जानबूझकर कट्टरपंथियों द्वारा फैलाई जा रही है। जिन्हें यूनुस शासन ने खुली छूट दी है। यही लोग हैं जिन्होंने भारतीय दूतावास की ओर मार्च किया। बिना किसी डर के अल्पसंख्यकों पर हमला किया जिसकी वजह से मुझे और मेरे परिवार को जान बचाकर देश छोड़ना पड़ा।

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यूनुस ने ऐसे लोगों को सत्ता के पदों पर बिठाया है और दोषी आतंकवादियों को जेल से रिहा किया है। इसके साथ ही उन्होंने आगे कहा भारत के अधिकारियों और कर्मियों की सुरक्षा को लेकर भारत की चिंताएं पूरी तरह से जायज है। यह कहते हुए मुझे दुख हो रहा है कि एक जिम्मेदार सरकार राजनीतिक मिशनों की रक्षा करती है। उन्हें धमकी देने वालों पर कारवाई करती है। लेकिन इसके बजाय यूनुस गुंडों को संरक्षण देता है और उन्हें योद्धा कहकर महिमामंडित करता है। इसके साथ ही कट्टरपंथी शरीफ उस्मान हादी की हत्या का जिक्र करते हुए हसीना ने कहा यह घटना उनके हटने के बाद कानून व्यवस्था की पूरी तरह बिगड़ने का सबूत है जो अंतरिम सरकार में और भी बदतर स्थिति में पहुंच गई है। उन्होंने कहा कि हिंसा आम बात बन गई है जिससे देश के भीतर अस्थिरता बढ़ रही है और पड़ोसी देश भी चिंतित है।

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इसके साथ ही हसीना ने कट्टर इस्लामी संगठनों के बढ़ते प्रभाव पर भी चिंता जताई है। उन्होंने आरोप लगाया कि यूनुस ने चरमपंथियों को मंत्रिमंडल में जगह दी है। दोषी आतंकियों को छोड़ा है और अंतरराष्ट्रीय आतंकी नेटवर्क से जुड़े संगठनों को सार्वजनिक जीवन में सक्रिय होने का मौका दिया है। जिसकी वजह से ही बांग्लादेश की आज ये स्थिति हो गई है। भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर जिसे चिकन नेक कहा जाता है। बांग्लादेश में इसे लेकर दिए गए बयानों पर भी हसीना ने कहा कि यह सारे बयान गैर जिम्मेदाराना है और कोई भी जिम्मेदार नेता उस पड़ोसी को धमकी नहीं देगा जिस पर बांग्लादेश की व्यापार और क्षेत्र स्थिरता निर्भर करती होउनके अनुसार वे विचार बांग्लादेशी जनता की सोच क्यों नहीं दर्शाते? और यह विचार बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल होने के साथ ही खत्म हो जाएंगेशेख हसीना ने पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते संबंधों पर भी टिप्पणी की

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उन्होंने कहा कि ढाका हमेशा से ही सबसे दोस्ती की नीति में विश्वास रखता हैलेकिन यूस का रवैया गलत है और पुराने साझेदारों को नाराज करने के बाद आज की यह स्थिति उपजी हैहसीना ने आगे कहा कि आप मुझसे यह उम्मीद नहीं कर सकते कि मैं अपनी राजनीतिक हत्या का सामना करने के लिए वापस बांग्लादेश लौटूंउन्होंने दोहराया कि उन्होंने मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस को चुनौती दी थी कि इस मामले कोहहंग की अंतरराष्ट्रीय अदालत में पेश किया जाएजहां उन्हें भरोसा है कि एक स्वतंत्र अदालत उन्हें निर्दोष साबित कर देगी। 

Asim Munir के अंदर का मौलाना बाहर आकर बोला- India-Pak संघर्ष के दौरान हमें अल्लाह की विशेष मदद मिली और हमने उसे महसूस किया

पाकिस्तान के रक्षा प्रमुख और सेना अध्यक्ष फील्ड मार्शल असीम मुनीर के अंदर का मौलाना सामने आ गया है। हम आपको बता दें कि मुनीर ने भारत के साथ मई महीने में हुए सैन्य टकराव को लेकर एक चौंकाने वाला बयान दिया है। इस्लामाबाद में आयोजित नेशनल उलेमा कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने दावा किया कि भारत द्वारा किए गए सैन्य हमलों के बाद पाकिस्तान को अल्लाह की विशेष मदद मिली और पाकिस्तानी सेना ने उसे महसूस किया। उनके अनुसार यह मदद चार दिनों तक चले संघर्ष के दौरान स्पष्ट रूप से नजर आई।
अपने भाषण में असीम मुनीर ने भारत के साथ संघर्ष को केवल सैन्य घटना के रूप में नहीं बल्कि धार्मिक संदर्भ में प्रस्तुत किया। उन्होंने कुरान की आयतें पढ़ीं और कहा कि पाकिस्तानी सेना को संघर्ष के दौरान ईश्वरीय हस्तक्षेप का अनुभव हुआ। उनके इस बयान को पाकिस्तान के भीतर सेना की छवि मजबूत करने और धार्मिक भावनाओं को उभारने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। इसी भाषण में असीम मुनीर ने अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को कड़ी चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में होने वाली आतंकवादी घुसपैठ में बड़ी संख्या अफगान नागरिकों की है और तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के लड़ाकों में लगभग सत्तर प्रतिशत अफगान हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अफगानिस्तान पाकिस्तान के बच्चों का खून बहाने की जिम्मेदारी नहीं लेगा।

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पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने तालिबान सरकार से साफ शब्दों में कहा कि उसे पाकिस्तान और टीटीपी में से किसी एक को चुनना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि किसी इस्लामी राष्ट्र में जिहाद का एलान करने का अधिकार केवल देश को होता है, किसी व्यक्ति या संगठन को नहीं। बिना देश की अनुमति के जिहाद की बात करना अवैध और अवांछनीय है। असीम मुनीर ने पाकिस्तान की स्थापना की तुलना पैगंबर द्वारा स्थापित प्रारंभिक इस्लामी राज्य से भी की और कहा कि दुनिया के सत्तावन इस्लामी देशों में पाकिस्तान को हरमैन शरीफैन की रक्षा का सम्मान मिला है। हम आपको बता दें कि मुनीर इस पूरे भाषण में धार्मिक प्रतीकों और सैन्य शक्ति को एक साथ जोड़ने की स्पष्ट कोशिश दिखाई दी।
देखा जाये तो असीम मुनीर का बयान पाकिस्तान की वर्तमान रणनीतिक उलझनों और आंतरिक असुरक्षाओं का आईना है। जब कोई सैन्य प्रमुख आधुनिक युद्ध में हार या दबाव को ईश्वरीय हस्तक्षेप की भाषा में समझाने लगे, तो यह उसकी कमजोरी का संकेत होता है। भारत द्वारा किए गए सटीक हमलों ने यह साफ कर दिया कि आतंकवाद के ढांचे अब सुरक्षित नहीं हैं और पारंपरिक बयानबाजी से जमीनी हकीकत नहीं बदली जा सकती।
सामरिक दृष्टि से आपरेशन सिंदूर ने दक्षिण एशिया की सुरक्षा तस्वीर को नया मोड़ दिया है। भारत ने स्पष्ट कर दिया कि वह आतंकी हमलों का जवाब सीमा के उस पार जाकर देने में संकोच नहीं करेगा। इससे पाकिस्तान की वह रणनीति कमजोर पड़ी है जिसमें वह परमाणु धमकी और अंतरराष्ट्रीय सहानुभूति के भरोसे आतंकवाद को ढाल की तरह इस्तेमाल करता रहा है। पाकिस्तानी सेना प्रमुख का अफगानिस्तान को दिया गया अल्टीमेटम भी उतना ही खोखला दिखता है। अफगान तालिबान और पाकिस्तान के रिश्ते पहले ही अविश्वास से भरे हैं। तालिबान के सत्ता में आने के बाद टीटीपी को खुली छूट मिली है, जो पाकिस्तान के लिए गंभीर सिरदर्द बन चुका है। सीमा पार से होने वाले हमले पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा को लगातार खोखला कर रहे हैं, लेकिन इस सच्चाई को स्वीकार करने की बजाय सारा दोष काबुल पर डाल देना आसान रास्ता है।
अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति भी किसी से छिपी नहीं है। वहां की सरकार अंतरराष्ट्रीय मान्यता के लिए संघर्ष कर रही है और आर्थिक संकट से जूझ रही है। ऐसे में पाकिस्तान की धमकी भरी भाषा हालात को सुधारने की बजाय और बिगाड़ सकती है। यदि पाकिस्तान सच में सीमा पार आतंकवाद रोकना चाहता है तो उसे दोहरे खेल से बाहर आना होगा, जिसमें वह कुछ संगठनों को अच्छा और कुछ को बुरा बताता है।
 
असीम मुनीर का यह कहना कि जिहाद का अधिकार केवल देश को है, अपने आप में एक विरोधाभास है। दशकों तक पाकिस्तान की धरती से पनपे आतंकी संगठनों को सरकार का मौन समर्थन मिलता रहा है। अब जब वही संगठन सरकार के लिए खतरा बन गए हैं, तो धार्मिक व्याख्याओं की आड़ में खुद को पाक साफ दिखाने की कोशिश हो रही है।
भारत के लिए यह घटनाक्रम एक स्पष्ट संदेश देता है कि पड़ोसी देश की नीति अभी भी भ्रम और अंतर्विरोध से भरी है। सामरिक स्तर पर भारत को अपनी सतर्कता और जवाबी क्षमता बनाए रखनी होगी। साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह बात मजबूती से रखनी होगी कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई केवल शब्दों से नहीं, ठोस कार्रवाई से लड़ी जाती है।
कुल मिलाकर असीम मुनीर का भाषण आस्था, डर और दबाव का मिला जुला दस्तावेज है। इसमें आत्मविश्वास कम और असमंजस ज्यादा झलकता है। जब सेना प्रमुख ईश्वरीय मदद की बात करने लगें, तो समझ लेना चाहिए कि जमीन पर हालात उतने मजबूत नहीं हैं जितना दिखाने की कोशिश की जा रही है।

Ukraine-Russia War | जंग रोकने के लिए अमेरिका ने बढ़ाया कदम, यूक्रेन और यूरोपीय देशों के साथ हुई निर्णायक वार्ता

व्लादिमीर पुतिन के टॉप विदेश नीति अधिकारी ने डोनाल्ड ट्रंप के सपोर्ट वाले शांति प्लान में हुए नए बदलावों को खारिज कर दिया है – हालांकि उन्होंने यह भी माना कि उन्होंने असल में उन्हें पढ़ा नहीं है। यूरी उशाकोव, जिन्होंने प्लान के ओरिजिनल वर्जन को बनाने में अहम भूमिका निभाई थी, जिसे बड़े पैमाने पर रूस के पक्ष में होने के कारण खारिज कर दिया गया था, उन्होंने अमेरिका, मॉस्को और कीव के बीच तीन-तरफ़ा समिट की संभावना को भी कम बताया। यूरी उशाकोव ने कहा, “मुझे यकीन है कि यूरोपियन और यूक्रेनियन लोगों ने जो प्रस्ताव दिए हैं या देने की कोशिश कर रहे हैं, वे निश्चित रूप से डॉक्यूमेंट को बेहतर नहीं बनाते हैं और लंबे समय तक शांति हासिल करने की संभावना को भी बेहतर नहीं बनाते हैं।”

रूस के साथ युद्ध खत्म करने पर यूक्रेन, यूरोप के साथ सार्थक बातचीत हुई 

वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ के एक दूत ने रविवार को कहा कि उन्होंने रूस और यूक्रेन के बीच लगभग चार साल से जारी युद्ध को समाप्त करने के लिए फ्लोरिडा में यूक्रेनी और यूरोपीय प्रतिनिधियों के साथ ‘‘उपयोगी और सार्थक’’ बातचीत की।
व्हाइट हाउस के दूत स्टीव विटकॉफ ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा कि इन वार्ताओं का उद्देश्य यूक्रेन, अमेरिका और यूरोप के बीच एक साझा रणनीतिक दृष्टिकोण पर सहमति बनाना है।

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उन्होंने कहा, ‘‘हमारी साझा प्राथमिकता हत्याएं रोकना, सुरक्षा प्रदान करना और यूक्रेन के पुनर्निर्माण, स्थिरता एवं दीर्घकालिक समृद्धि के लिए परिस्थितियां तैयार करना है। शांति केवल संघर्षविराम नहीं, बल्कि एक स्थिर भविष्य की गरिमापूर्ण नींव होनी चाहिए।’’
यह बातचीत अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन के शांति स्थापित करने के उद्देश्य से कई महीनों से जारी प्रयासों का हिस्सा है। हालांकि, इस कूटनीतिक पहल को मॉस्को और कीव की परस्पर विरोधी मांगों के कारण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल में यूक्रेन को लेकर अपनी अधिकतम मांगों पर अड़े रहने के संकेत दिए हैं और भारी नुकसान के बावजूद रूसी सेना युद्धक्षेत्र में आगे बढ़ रही है।
इसी बीच रूस के साथ भी बातचीत जारी है। रूसी राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास ‘क्रेमलिन’ के एक दूत किरिल दिमित्रिएव ने शनिवार को कहा कि फ्लोरिडा में बातचीत ‘‘रचनात्मक रूप से आगे बढ़ रही है।’’

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रविवार को टेलीग्राम पर लिखा कि कूटनीतिक प्रयास “तेजी से आगे बढ़ रहे हैं” और फ्लोरिडा में उनकी टीम अमेरिकी पक्ष के साथ काम कर रही है।
बहरहाल, क्रेमलिन ने यूक्रेन, रूस और अमेरिका के बीच त्रिपक्षीय वार्ता की संभावना से रविवार को इनकार किया।

यूक्रेनी सेना सुमी में रूसी घुसपैठ का मुकाबला कर रही है

इसके अलावा यूक्रेनी सेना ने कहा कि वह सुमी क्षेत्र में रूसी घुसपैठ की कोशिश का मुकाबला कर रही है, जब मॉस्को ने दावा किया कि उसने एक सीमावर्ती गांव से 50 लोगों को जबरन हटा दिया है। यूक्रेन के जॉइंट टास्कफोर्स ने कहा, “ग्राबोव्स्के गांव में फिलहाल लड़ाई जारी है,” और कहा कि उनके सैनिक “कब्जा करने वालों को रूसी क्षेत्र में वापस धकेलने की कोशिश कर रहे हैं”।

यूक्रेनी मीडिया ने कल सेना के हवाले से बताया कि रूसी सेना ने उत्तर-पूर्वी सुमी क्षेत्र में यूक्रेन के साथ सीमा पार की और एक यूक्रेनी सीमावर्ती गांव के लगभग 50 निवासियों को रूस ले गए।

मीडिया ने बताया कि गांव से पकड़े गए ज़्यादातर स्थानीय निवासी बुज़ुर्ग लोग थे।यूक्रेन के पब्लिक ब्रॉडकास्टर सस्पिलने और यूक्रेनस्का प्रवदा न्यूज़ आउटलेट ने कहा कि रूसी सेना शनिवार रात ह्राबोव्स्के गांव के इलाके में यूक्रेनी क्षेत्र में घुस गई थी। 

Dhurandhar की बॉक्स ऑफिस पर दहाड़: 17वें दिन रणबीर की ‘एनिमल’ को चटाई धूल, ऑल-टाइम टॉप 10 में बनाई जगह

शुक्रवार को जेम्स कैमरन की अवतार फायर एंड ऐश जैसी बड़ी रिलीज़ के बावजूद, धुरंधर भारतीय बॉक्स ऑफिस पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए है। फिल्म ने तीसरे शनिवार को रिकॉर्ड तोड़ कमाई करते हुए लगभग 33.5 करोड़ रुपये कमाए और इसका कुल भारत नेट कलेक्शन 516.5 करोड़ रुपये हो गया। धुरंधर से पहले, तीसरे शनिवार को सबसे ज़्यादा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का रिकॉर्ड छावा (22 करोड़ रुपये) के नाम था, जिसके बाद पुष्पा 2 (20 करोड़ रुपये) थी। धुरंधर की तरह, दोनों फिल्मों ने ऑल-टाइम ब्लॉकबस्टर का दर्जा हासिल किया था।
 

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इसके अलावा ‘धुरंधर’ ने ग्लोबल बॉक्स ऑफिस कमाई में 800 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है, जो भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फिल्म के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। रिलीज़ के तीसरे शनिवार तक, फिल्म ने 790.75 करोड़ रुपये कमाए थे, जिससे सोमवार को इसके 800 करोड़ रुपये के मील के पत्थर तक पहुंचने की संभावना है।
 

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इसके साथ ही, धुरंधर ने भारत के नेट कलेक्शन के आधार पर अब तक की टॉप दस भारतीय फिल्मों में जगह बना ली है। फिल्म ने दसवें स्थान के लिए रणबीर कपूर की एनिमल को पीछे छोड़ दिया। तुलनात्मक रूप से, एनिमल का भारत में लाइफटाइम कलेक्शन 553 करोड़ रुपये था।
यह बॉक्स ऑफिस सफलता धुरंधर को 2025 में रिलीज़ होने वाली तीसरी भारतीय फिल्म बनाती है जो टॉप दस सूची में शामिल हुई है, इससे पहले ऋषभ शेट्टी की कांतारा चैप्टर 1 ने 622 करोड़ रुपये और विक्की कौशल की छावा ने भारत में 601 करोड़ रुपये कमाए थे।
हाल ही में, फिल्म ने संगीत के क्षेत्र में भी एक मील का पत्थर हासिल किया है, इसके साउंडट्रैक के सभी ट्रैक Spotify ग्लोबल टॉप 200 में शामिल हो गए हैं। यह पहली बार है जब किसी बॉलीवुड एल्बम के सभी गाने एक साथ अंतरराष्ट्रीय चार्ट में शामिल हुए हैं।
धुरंधर एल्बम के सभी ग्यारह ट्रैक एक साथ ट्रेंड कर रहे हैं, जो भारतीय फिल्मों के लिए एक दुर्लभ बात है। साउंडट्रैक ने Spotify के ग्लोबल टॉप एल्बम चार्ट पर दूसरे नंबर पर डेब्यू किया और US टॉप एल्बम चार्ट पर पांचवें नंबर पर रहा। टाइटल ट्रैक तीसरे नंबर पर है, जबकि ‘इश्क जलाकर कारवां’ और ‘गहरा हुआ’ टॉप टेन में अपनी जगह बनाए हुए हैं।
इस एल्बम में हनुमंकाइंड और दिलजीत दोसांझ जैसे कलाकारों के साथ कोलैबोरेशन दिखाया गया है, साथ ही बहरीनी संगीत से प्रेरित FA9LA या शेर-ए-बलूच नाम का एक ट्रैक भी है।
आदित्य धर द्वारा निर्देशित, धुरंधर में अक्षय खन्ना, अर्जुन रामपाल, आर माधवन, संजय दत्त, राकेश बेदी और सारा अर्जुन सहित कई कलाकार हैं। यह फिल्म दो-भाग वाली गैंगस्टर गाथा का पहला भाग है, जिसका सीक्वल ईद 2026 में रिलीज़ होने वाला है।

Delhi में पानी के टैंकर की चपेट में आने से बाइक टैक्सी चालक की मौत

पूर्वी दिल्ली के गीता कॉलोनी इलाके में कुंदन नगर के पास रविवार को एक टैंकर की चपेट में आने से 26 वर्षीय बाइक टैक्सी चालक की मौत हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी।
पुलिस को घटना की सूचना अपराह्न करीब 3:30 बजे मिली, जब पीसीआर ने गीता कॉलोनी थाने को एक दुर्घटना की सूचना दी।

एक अधिकारी ने बताया, पुलिस की एक टीम मौके पर पहुंची तो एक व्यक्ति पानी के टैंकर के पहिए के नीचे दबा मिला।
पुलिस के अनुसार, जब टीम घटनास्थल पर पहुंची तो वहां कोई प्रत्यक्षदर्शी मौजूद नहीं था।

प्रारंभिक जांच में पता चला कि पीड़ित घटना के समय मोटरसाइकिल चला रहा था और बाइक टैक्सी चालक के रूप में काम करता था।
अधिकारी ने बताया, वह हेलमेट पहना हुआ था, लेकिन उसका सिर टैंकर के पिछले पहिये के नीचे आने से पूरी तरह से कुचल गया था, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
मृतक की पहचान उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के निवासी जुबैर अली के रूप में हुई।

Delhi के नरेला में फैक्टरी में लगी आग, कोई हताहत नहीं

दिल्ली के नरेला औद्योगिक क्षेत्र में जूते बनाने की एक फैक्टरी में आग लग गई जिसके बाद दमकल सेवा की 14 गाड़ियां मौके पर भेजी गईं। दिल्ली अग्निशमन सेवा के एक अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी ने बताया कि रविवार रात 10 बजकर 58 मिनट पर नरेला औद्योगिक क्षेत्र में हरिश चंदर रोड के पास स्थित एक फैक्टरी से आग लगने की सूचना मिली थी।उन्होंने बताया कि आग ने फैक्टरी के अंदर रखी मशीनरी, जूतों के डिब्बों और तैयार जूतों को अपनी चपेट में ले लिया।

उन्होंने बताया कि लगभग 150 वर्ग गज क्षेत्र में फैली इस इमारत में एक भूमिगत तल, भूतल और ऊपर दो मंजिलें थीं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘मौके पर 14 दमकल गाड़ियां भेजी गईं और आग पर रविवार देर रात करीब दो बजकर 30 मिनट पर काबू पा लिया गया।’’
उन्होंने बताया कि इस घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। आग लगने के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है।