विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को आतंकवादी संगठन घोषित करने के अमेरिकी सरकार के फैसले का स्वागत किया। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने टीआरएफ को विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) इकाई घोषित किया है, जिसने जम्मू-कश्मीर में घातक पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी। एक्स पर एक पोस्ट में जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान में स्थित लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन को प्रतिबंधित घोषित करने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो की विशेष रूप से सराहना की। विदेश मंत्री ने कहा, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के मुखौटा संगठन टीआरएफ को वैश्विक आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से प्रतिबंधित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) घोषित करने के लिए विदेश मंत्री मार्को रूबियो और अमेरिकी विदेश मंत्रालय की सराहना करता हूं। इस संगठन ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी।
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टीआरएफ और इससे जुड़े अन्य संगठनों को लश्कर-ए-तैयबा के नाम के साथ विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) के रूप में शामिल किया गया है। यह क्रमशः आव्रजन एवं राष्ट्रीयता अधिनियम की धारा 219 और शासकीय आदेश 13224 के तहत किया गया है। विदेश मंत्रालय ने लश्कर-ए-तैयबा की एफटीओ के रूप में स्थिति की भी समीक्षा की है और उसे बरकरार रखा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि टीआरएफ के खिलाफ यह कार्रवाई हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा, आतंकवाद का मुकाबला करने और पहलगाम हमले में न्याय के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख पर काम करने की प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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इस संगठन ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी। इससे पहले, अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह टीआरएफ को प्रतिबंधित वैश्विक आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से प्रतिबंधित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) की सूची में शामिल कर रहा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि टीआरएफ ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी जिसमें 26 लोगों की मौत हुई थी। टीआरएफ ने भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ कई हमलों की भी जिम्मेदारी ली है, जिसमें हाल में 2024 में हुआ हमला भी शामिल है।