प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ शिखर सम्मेलन 2025 में अपनी सफल भागीदारी पूरी करने के बाद स्वदेश वापसी के लिए प्रस्थान किया। देखा जाये तो प्रधानमंत्री की सात सालों बाद हुई चीन यात्रा ने कई वैश्विक प्रभाव छोड़े हें। इस दौरान भारत और चीन के रिश्तों में जहां नई गर्मजोशी आई वहीं चीन के सामने ही प्रधानमंत्री मोदी ने बीजिंग के दोस्त पाकिस्तान को जमकर लताड़ा। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक बड़ी सफलता रही कि एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान आतंकवाद के खिलाफ साझा घोषणा-पत्र ने भारत के रुख को गहराई से प्रतिबिंबित किया। हम आपको बता दें कि एससीओ सदस्य देशों ने पहलगाम आतंकी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की। घोषणा-पत्र में कहा गया कि इस तरह की घटनाओं के आयोजकों, प्रायोजकों और सहयोगियों को सज़ा दिलाना अनिवार्य है। सभी सदस्य राष्ट्रों ने यह भी दोहराया कि आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद का इस्तेमाल किसी भी स्वार्थपूर्ण राजनीतिक या भाड़े के उद्देश्यों के लिए अस्वीकार्य है।
घोषणा में स्पष्ट किया गया कि आतंकवाद के खिलाफ दोहरे मापदंड किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं हैं। इसमें यह भी जोर दिया गया कि सीमा पार से आतंकवादियों की आवाजाही को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय को गंभीरता से कदम उठाने होंगे। इससे पहले एससीओ मंच पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत पिछले चार दशकों से आतंकवाद की मार झेल रहा है। पहलगाम हमले का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह आतंकवाद के सबसे वीभत्स स्वरूपों में से एक था। उन्होंने उन मित्र देशों का आभार जताया, जिन्होंने इस दुख की घड़ी में भारत का साथ दिया।
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देखा जाये तो आतंकवाद पर एससीओ का यह संयुक्त रुख भारत की वर्षों पुरानी मांग को मजबूती देता है कि आतंकवाद को ‘अच्छा-बुरा’ या ‘रणनीतिक-सहयोगी’ की श्रेणियों में नहीं बाँटा जा सकता। इसके अलावा, “सीमा पार आतंकवाद” और “डबल स्टैंडर्ड” का जिक्र पाकिस्तान को सीधा संदेश है, भले ही उसका नाम नहीं लिया गया। साथ ही चीन, जो कई बार पाकिस्तान की आतंकवाद पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ढाल बना, अब एससीओ के सामूहिक स्वर में शामिल हुआ। यह भारत-चीन समीकरणों के लिहाज से महत्त्वपूर्ण है। हम आपको बता दें कि एससीओ सदस्य देश लगभग आधी दुनिया की आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऐसे मंच से आतंकवाद के खिलाफ सख्त स्वर भारत की कूटनीतिक जीत कही जा सकती है। देखा जाये तो मोदी ने एससीओ सम्मेलन में यह दिखा दिया कि भारत न केवल आतंकवाद से पीड़ित है बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक नेतृत्वकारी आवाज भी है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि तियानजिन में सम्पन्न एससीओ शिखर सम्मेलन भारत के लिए केवल बहुपक्षीय कूटनीति का अवसर नहीं रहा, बल्कि आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक एकजुटता हासिल करने का रणनीतिक मंच भी साबित हुआ। पहलगाम हमले की निंदा और दोहरे मापदंडों को अस्वीकार करने की घोषणा से यह स्पष्ट है कि अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के विरुद्ध स्पष्ट, एकरूप और ठोस रुख अपनाना ही होगा।