संसद का बजट सत्र चल रहा है। राज्यसभा में आज हंगामा के बीच ही राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा हुई। वहीं, प्रधानमंत्री ने अभिभाषण पर जवाब भी दिया। लोकसभा में आज का दिन काफी हंगामेदार रहा। अमेरिका से निर्वासित अवैध भारतीय प्रवासियों के साथ हुए व्यवहार को लेकर विपक्ष सरकार पर जबरदस्त तरीके से हमलावर था। राज्यसभा में भी इस मुद्दे को उठाया गया। दोनों ही सदनों में खूब हंगामा हुआ। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसको लेकर अपना बयान भी दिया।
इसे भी पढ़ें: हथकड़ी लगा अमेरिका ने 104 लोगों को किया था डिपोर्ट, अब विदेशों में काम करने वाले भारतीयों के लिए मोदी सरकार उठा सकती है बड़ा कदम
राज्यसभा की कार्यवाही
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यसभा में कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण प्रेरक और प्रभावी था और हम सब के लिए आगे के काम करने का मार्गदर्शन भी था। उन्होंने तंज सकते हुए कहा कि कांग्रेस के मॉडल में सर्वोपरि है ‘फैमिली फर्स्ट’। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के बाद देश को एक वैकल्पिक मॉडल, एक वैकल्पिक कार्यशैली देखने को मिली जिसमें तुष्टीकरण नहीं संतुष्टीकरण पर जोर दिया जाता है। हमने सामान्य वर्ग के गरीबों को दस प्रतिशत का आरक्षण दिया जिसका एससी, एसटी और ओबीसी समाज ने स्वागत किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिसे कोई नहीं पूछता, उसे मोदी पूजता है। गरीब और वंचित का कल्याण हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर से कांग्रेस को कितनी नफरत थी, उनके प्रति कांग्रेस में इतना गुस्सा था कि उनकी (बाबा साहेब) की हर बात से कांग्रेस चिढ़ जाती थी। आज कांग्रेस को मजबूरन ‘जय भीम’ बोलना पड़ रहा है। कांग्रेस की राजनीति का मंत्र हमेशा दूसरे की लकीर छोटी करना रहा…इसके कारण उन्होंने सरकारों को अस्थिर किया। उन्होंने कहा कि इस देश ने इमरजेंसी का दौर भी देखा है। संविधान को किस प्रकार कुचला गया, संविधान की स्पिरिट को सत्ता सुख के लिए किस प्रकार रौंदा गया था, ये देश जानता है। पीएम मोदी ने सदन में पढ़ा शेर…
तमाशा करने वालों को क्या खबर,
हमने कितने तुफानों को पार कर, दीया जलाया है…
– विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा में कहा कि अमेरिका में बिना दस्तावेज़ों के रह रहे भारतीयों को निर्वासित किए जाने की प्रक्रिया नयी नहीं है और यह सभी देशों का दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेशों में अवैध रूप से रह रहे हैं तो उन्हें वापस ले। राज्यसभा में इस संबंध में एक बयान देते हुए जयशंकर ने यह भी कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका की सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं कि निर्वासित लोगों के साथ दुर्व्यवहार न हो।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह सभी देशों का दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेश में अवैध रूप से रह रहे पाए जाते हैं तो वे अपने नागरिकों को वापस लें। यह नीति केवल एक देश पर लागू नहीं है। निर्वासन की प्रक्रिया कोई नयी नहीं है, यह कई वर्षों से है।’’
– राज्यसभा में बृहस्पतिवार को कांग्रेस के एक सदस्य ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लागू होने के बावजूद राष्ट्रपति अभिभाषण एवं आम बजट में सरकार द्वारा की गयी घोषणाओं को आचार संहिता का उल्लंघन करार देते हुए कहा कि अगली बार निर्वाचन आयोग को इस पर ध्यान देना चाहिए। उच्च सदन में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस के राजीव शुक्ला ने प्रश्न किया कि क्या राजनीति चुनाव के लिए ही होती है अथवा कुछ काम करने के लिए भी होती है? उन्होंने कहा कि जब चुनाव होने वाले होते हैं तो उस राज्य विशेष, वहां की संस्कृति, खानपान, पहनावे आदि की चर्चा होती है और चुनाव हो जाने के बाद उस राज्य को भुला दिया जाता है।
इसे भी पढ़ें: ‘कांग्रेस के मुंह से संविधान शब्द शोभा नहीं देता’, इमरजेंसी का जिक्र कर मोदी बोले- सत्ता सुख और शाही परिवार के…
लोकसभा की कार्यवाही
अमेरिका से निर्वासित‘‘अवैध’’ भारतीय प्रवासियों के साथ हुए व्यवहार को लेकर विपक्षी दलों के सदस्यों ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में हंगामा किया जिसके कारण सदन में केंद्रीय बजट पर चर्चा शुरू नहीं हो सकी तथा कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद चौथी बार शुक्रवार पूर्वाह्न 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विपक्ष के हंगामे के बीच सदन में कहा कि अमेरिका में बिना दस्तावेज़ों के रह रहे भारतीय प्रवासियों को निर्वासित किए जाने की प्रक्रिया नयी नहीं है और यह सभी देशों का दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेशों में अवैध रूप से रह रहे हैं तो उन्हें वापस ले। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हम यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका की सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं कि निर्वासित लोगों के साथ दुर्व्यवहार न हो।’’ वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बृहस्पतिवार को सदन में विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बाद कहा कि रोजाना प्रश्नकाल में गतिरोध पैदा करना भारत के मतदाताओं का अपमान हैं।