पाकिस्तान द्वारा जबरन कब्जाए गए पीओके से ऐसी तस्वीरें आई हैं, जिसका इंतजार भारत को 78 सालों से था। 78 साल पहले पाकिस्तान ने भारत के इस इलाके पर कब्जा कर लिया था। लेकिन इस इलाके को पाकिस्तान के कब्जे से छुड़वाने के लिए पीओके की जनता ने ही सबसे बड़ी जंग छेड़ दी है। मजे की बात ये है कि कुछ दिन पहले भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बस इतना कहा था कि पीओके खुद पर खुद भारत में आकर मिलेगा। इस बात को पीओके की जनता ने दिल से लगा लिया है। पीओके की जनता ने इस इलाके को भारत का बताते हुए पाकिस्तानी सेनी की गाड़ियों और कंटेनरों को नदी में फेंक दिया। पीओके की जनता इसी तरह से लड़ती रही तो दस दिनों में आजादी हासिल कर लेगी।
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भारत, इजरायल, बलूचिस्तान, अफगानिस्तान से लगातार पिटने वाली पाकिस्तानी सेना और पुलिस जब पीओके की जनता को मारने पहुंची तो अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसका अंदाजा किसी को भी नहीं था। 250 से ज्यादा सेना और पाकिस्तानी पुलिसवालों को पीओके की जनता ने बंधक बना लिया। पाकिस्तानी पुलिसवालों ने पीओके में सरेंडर कर दिया। सज धज कर पाकिस्तान की पुलिस पीओके के लोगों को लाठी डंडे से मारने पहुंची थी। लेकिन दस मिनट में सभी पुलिसवालों को घसीट घसीट कर सड़कों पर लिटा दिया गया। पीओके की जनता ने पाकिस्तान की सेना और पुलिस को ही नजरबंद कर लिया।
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ताज़ा रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पीओके के रावलकोट, हजीरा, अब्बासपुर, खाई गाला, पनिओला और त्राखेल में हज़ारों लोग धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। पाकिस्तानी मीडिया ने कल सड़कों पर पूरी तरह से अराजकता के वीडियो प्रसारित किए, जिनमें से एक में कुछ लोग हवा में गोलियाँ चलाते हुए दिखाई दे रहे हैं। एसीसी ने आरोप लगाया है कि मुस्लिम कॉन्फ्रेंस समूह ने पाकिस्तानी सेना और डीप स्टेट के इशारे पर प्रदर्शनकारियों पर गोलियाँ चलाईं। पीओके के नागरिक भी पाकिस्तानी राजनेताओं के अभिजात्य रवैये का विरोध कर रहे हैं। कुछ पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं।
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जम्मू-कश्मीर संयुक्त जन कार्रवाई समिति के नेता शौकत नवाज मीर ने 1 अक्टूबर को पीओके के कई प्रमुख कस्बों और जिलों से मुजफ्फराबाद की ओर एक लंबा मार्च निकालने की घोषणा की है। ये विरोध प्रदर्शन सिर्फ़ मुज़फ़्फ़राबाद या पीओके तक ही सीमित नहीं हैं। इसकी झलक विदेशों में भी दिखाई दे रही है। ब्रिटिश कश्मीरी भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गए हैं, और लंदन में पाकिस्तानी उच्चायोग और ब्रैडफ़ोर्ड स्थित उनके वाणिज्य दूतावास के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी पाकिस्तान सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं और मांग कर रहे हैं कि वह प्रदर्शनकारियों द्वारा उठाई गई 38 मांगों को स्वीकार करे, जिसमें मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाना भी शामिल है, क्योंकि पेट्रोल और बिजली जैसी कई वस्तुएं आम जनता के लिए पहुंच से बाहर हो गई हैं।