प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच वार्ता से क्या रूस-यूक्रेन युद्ध के थमने के आसार बढ़े हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेनी ऊर्जा संस्थानों पर अस्थायी रूप से हमला बंद करने पर सहमति जताई है लेकिन 30 दिन के पूर्ण युद्धविराम की बात मानने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को उम्मीद थी कि यह स्थायी शांति समझौते की दिशा में पहला कदम होगा मगर पुतिन पूरी तरह नहीं माने हैं। उन्होंने कहा कि वहीं यूक्रेन ने इस मुद्दे पर कहा है कि वह इस बात का समर्थन करेगा, जिसके तहत दोनों देशों को एक-दूसरे के ऊर्जा बुनियादी ढांचे पर लगभग एक महीने तक हमला नहीं करना होगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप-पुतिन वार्ता पर नजर डालें तो एक बात साफ दिखती है कि ऐसे में जबकि पूर्वी यूक्रेन में रूसी सैनिक लगातार आगे बढ़ रहे हैं तब पुतिन ने किसी प्रकार के पूर्ण युद्धविराम की बात को मानने से इंकार कर दिया है लेकिन फिर भी जो सहमति बनी है उससे कुछ तो शांति होगी ही। उन्होंने कहा कि वैसे भी यह बातचीत रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करवाने से ज्यादा अमेरिका और रूस के संबंधों को फिर से प्रगाढ़ बनाने पर ज्यादातर केंद्रित थी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हालांकि यह भी एक सच्चाई है कि ट्रंप लगातार प्रयास कर रहे हैं कि यह युद्ध समाप्त हो जाये या युद्धविराम हो जाये। उन्होंने कहा कि उन्होंने पुतिन से बात करने के लिए दो घंटे का समय निकाला जोकि बड़ी बात है और शांति के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप पहले भी कह चुके हैं कि यूक्रेन में संघर्ष तीसरे विश्व युद्ध में बदल सकता है और रूस के साथ बेहतर संबंध अमेरिका के रणनीतिक हित में हैं। उन्होंने कहा कि क्रेमलिन ने भी दोनों नेताओं के बीच लंबी फोन चर्चा के बाद कहा है कि पुतिन ने ट्रंप के प्रस्ताव पर सहमति जताई है कि रूस और यूक्रेन 30 दिनों के लिए एक-दूसरे के ऊर्जा बुनियादी ढांचे पर हमला करना बंद कर दें।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि व्हाइट हाउस ने कहा है कि ट्रंप और पुतिन के बीच लंबी बातचीत के बाद, काला सागर में समुद्री युद्ध विराम के साथ-साथ अधिक पूर्ण युद्ध विराम और स्थायी शांति समझौते पर बातचीत तुरंत शुरू होगी। उन्होंने कहा कि हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यूक्रेन उन वार्ताओं में शामिल होगा या नहीं। उन्होंने कहा कि इस वार्ता के बारे में ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा है कि यह रविवार को सऊदी अरब के जेद्दा में होगी। उन्होंने कहा कि क्रेमलिन ने हालांकि विटकॉफ की टिप्पणियों पर जवाब नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि क्रेमलिन ने कहा है कि पुतिन ने ट्रंप से बात करने के बाद रूसी सेना को ऊर्जा स्थलों पर हमले बंद करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि हालांकि पुतिन ने चिंता जताई है कि एक अस्थायी युद्धविराम यूक्रेन को फिर से हथियारबंद होने और अधिक सैनिकों को जुटाने का मौका दे सकता है। उन्होंने कहा कि इसीलिए पुतिन ने इस बात पर जोर दिया है कि यूक्रेन को सभी सैन्य और खुफिया सहायता समाप्त करनी चाहिए।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ट्रंप ने फॉक्स न्यूज़ को बताया है कि पुतिन से बातचीत में यूक्रेन को दी जाने वाली सहायता का मुद्दा नहीं उठा। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने फॉक्स न्यूज़ के “द इंग्राहम एंगल” शो में बताया है कि हमारी कॉल बहुत अच्छी रही। यह लगभग दो घंटे तक चली। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि उनका देश 30 दिनों के लिए ऊर्जा सुविधाओं और बुनियादी ढांचे पर हमले रोकने के प्रस्ताव का समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि जेलेंस्की ने टेलीग्राम मैसेजिंग एप पर कहा है कि पुतिन ने वास्तव में पूर्ण युद्ध विराम के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि दुनिया के लिए यह सही होगा कि पुतिन द्वारा युद्ध को लंबा खींचने के किसी भी प्रयास को अस्वीकार कर दिया जाए।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह भी एक ओर रूस-यूक्रेन के बीच संघर्षविराम के लिए बात चल रही थी और दूसरी ओर दोनों देशों ने बुधवार को ही एक-दूसरे पर हवाई हमले करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह हमला तब हुआ जब उनके नेताओं ने ऊर्जा संबंधी बुनियादी ढांचे पर हमलों को रोकने के लिए सीमित युद्धविराम पर सहमति जताई थी। उन्होंने कहा कि एक सच्चाई यह है कि रूस इस समय तक यूक्रेन के 20 फीसदी हिस्से पर कब्जा कर चुका है। यूक्रेन का 50 फीसदी बुनियादी ढांचा ध्वस्त हो चुका है और आधी से ज्यादा आबादी भी दूसरे देशों में शरणार्थी जीवन गुजार रही है और बड़ी संख्या में लोग मारे जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि तीन साल तक युद्ध खिंचने पर भी यूक्रेन को कुछ हासिल नहीं हुआ है और वह अब अपने कई बड़े शहरों पर से नियंत्रण खोने की स्थिति में है। उन्होंने कहा कि लोग भी जानना चाहते हैं कि अब तक कुल मिलाकर उसे 260 बिलियन डॉलर की जो सहायता मिली उससे क्या हासिल हुआ?