Sunday, June 15, 2025
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Prabhasakshi NewsRoom: चाचा Sharad Pawar और भतीजे Ajit Pawar के बीच दूर नहीं हो रहे मतभेद, दोनों गुटों के विलय में अभी और लग सकता है वक्त!

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के दोनों गुटों ने मंगलवार को अपना 26वां स्थापना दिवस मनाया। शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के नेतृत्व वाले गुटों ने पुणे में अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित किये। हालांकि दोनों गुटों के विलय की अटकलें काफी समय से चल रही हैं लेकिन स्थापना दिवस पर दोनों खेमों में जो कुछ देखा गया उससे अभी यह दूर की कौड़ी प्रतीत होती है। हम आपको बता दें कि हाल के दिनों में कई ऐसे अवसर आये जब शरद पवार और अजीत पवार की बंद कमरों में कई बैठकें तो हुई हीं साथ ही दोनों नेता सार्वजनिक तौर पर भी एक मंच पर साथ दिखे लेकिन ऐसा लगता है कि दिलों की दूरियां अब भी कायम हैं जोकि दोनों गुटों को करीब आने से रोक रही हैं।
दोनों गुटों के नेताओं के बयानों पर गौर करें तो आपको बता दें कि 2023 में अपने चाचा शरद पवार से अलग होकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के साथ हाथ मिलाने वाले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने पार्टी समर्थकों को संबोधित करते हुए अपने निर्णय का बचाव किया। अजीत पवार ने कहा, “सिर्फ विपक्ष में बैठकर नारे लगाना और मोर्चे निकालना काफी नहीं है। हम साधु-संत नहीं हैं। हम यहां जनता की समस्याओं को सुलझाने, उन्हें दिशा देने और समावेशी राजनीति करने के लिए हैं।” अजीत पवार ने इस आलोचना को खारिज किया कि भाजपा से हाथ मिलाने का फैसला पार्टी की विचारधारा से समझौता था। उन्होंने कहा, “कुछ लोग हमसे पूछते हैं कि हमने भाजपा और महायुति गठबंधन से हाथ क्यों मिलाया।” उन्होंने तर्क देते हुए कहा, ”क्या हमने 2019 में शिवसेना से हाथ नहीं मिलाया था? तब भी तो समझौते हुए थे।”

इसे भी पढ़ें: कभी नहीं सोचा था पार्टी में दरार आएगी, NCP के स्थापना दिवस पर बोले शरद पवार

उन्होंने यह भी कहा कि आंध्र प्रदेश के चंद्रबाबू नायडू और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जैसे नेता, जो धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के लिए जाने जाते हैं, वह भी पहले NDA के साथ जुड़ चुके हैं। उन्होंने कहा, “हमारा लक्ष्य स्पष्ट है— विकास और वंचितों का उत्थान।” हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में अपने गुट के कमजोर प्रदर्शन को स्वीकार करते हुए उन्होंने आत्ममंथन और सुधार की आवश्यकता बताई। उन्होंने कार्यकर्ताओं से स्थानीय निकाय चुनावों के लिए तैयार रहने का आह्वान किया और बताया कि पार्टी आने वाले डेढ़ महीने में राज्यभर में रैलियां शुरू करेगी। उन्होंने संकेत दिया कि स्थानीय समीकरणों के अनुसार गठबंधन हो सकते हैं और कहा कि पार्टी में नए चेहरों का स्वागत किया जाएगा, लेकिन जिम्मेदारियां केवल उन्हें दी जाएंगी जो खुद को साबित करेंगे। उन्होंने कहा, “विभाजनकारी राजनीति से अल्पकालिक लाभ हो सकता है, लेकिन समावेशी राजनीति ही एकमात्र स्थायी मार्ग है।” 
वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुनील तटकरे ने कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होना ‘लोगों के कल्याण’ के लिए लिया गया एक सामूहिक निर्णय था, न कि यह अकेले अजीत पवार का निर्णय था। सुनील तटकरे ने कहा, ‘‘यह कोई व्यक्तिगत निर्णय नहीं था। अजीत दादा के नेतृत्व में राजग में शामिल होना सामूहिक निर्णय था। मैंने कई मौकों पर स्पष्ट किया है कि 2014 के बाद से कई मौके आए, जब पार्टी (तब अविभाजित) ने गठबंधन में शामिल होने का फैसला किया था। हम राजग में शामिल होने के कगार पर थे, लेकिन आखिरी समय में फैसला बदल गया।’’ उन्होंने कहा कि 2023 में अजीत पवार के नेतृत्व में पार्टी ने लोगों के कल्याण के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल होने का फैसला किया। सुनील तटकरे ने कहा, ‘‘हम अपनी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा तथा छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर और शाहू महाराज की विचारधारा से समझौता किए बिना राजग में शामिल हुए।’’ उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी की यात्रा जारी रहेगी।
अविभाजित राकांपा के 26वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में अजीत पवार ने राकांपा (शरदचंद्र पवार) के साथ फिर से जुड़ने की संभावना के बारे में कोई निश्चित बयान नहीं दिया और केवल इतना कहा कि ऐसे फैसले शीर्ष नेतृत्व द्वारा लिए जाते हैं, न कि पार्टी कार्यकर्ताओं या कनिष्ठ नेताओं द्वारा। 
इस बीच, शरद पवार गुट की ओर से सुप्रिया सुले ने एक अलग कार्यक्रम का नेतृत्व किया। जब उनसे अजीत पवार गुट के साथ संभावित विलय पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने सीधे उत्तर देने से बचते हुए कहा कि पारिवारिक संबंध अब भी कायम हैं। उन्होंने कहा, ”अजीत पवार और मैं परिवार के तौर पर हमेशा साथ हैं। पार्टी के विलय जैसे निर्णय कैमरे पर नहीं, बातचीत की मेज पर होने चाहिए।” साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके गुट ने किसी विशेष विधानमंडल सत्र की मांग नहीं की है, जैसा कि हाल में कयास लगाए जा रहे थे। पार्टी के 26 साल के सफर पर सुप्रिया सुले ने कहा कि NCP हमेशा महाराष्ट्र और देश की जनता के साथ खड़ी रही है। “अच्छे दिन भी आते हैं, बुरे दिन भी। यही जीवन है।” पुणे में एक अन्य जगह राकांपा (शरदचंद्र पवार) के स्थापना दिवस समारोह में पार्टी सांसद सुप्रिया सुले ने दोनों गुटों के एक साथ आने के बारे में पूछे गए सवाल का सीधा जवाब देने से परहेज किया। सुप्रिया सुले ने कहा, ‘‘पिछले 15 दिनों से मुझे पार्टी नेताओं के साथ पार्टी मामलों पर चर्चा करने या अपने परिवार से भी मिलने का समय नहीं मिला है।’’ 
वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा-एसपी) प्रमुख शरद पवार ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि पार्टी में विभाजन होगा। पवार ने चुनौतियों के बावजूद पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘….पार्टी को कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन आप बिना हतोत्साहित हुए पार्टी को आगे ले जाते रहे। पार्टी में विभाजन हुआ। हमने कभी नहीं सोचा था कि पार्टी बंट जाएगी लेकिन ऐसा हुआ।’’ पवार ने कहा, ”कुछ लोग दूसरी विचारधाराओं के साथ हो लिए और यह विभाजन बढ़ गया। मैं आज इसके बारे में बात नहीं करना चाहता लेकिन जो लोग पार्टी के प्रति वफादार रहे, वे हमारी पार्टी की विचारधारा के कारण रहे।” उन्होंने कहा कि आने वाले चुनावों में एक अलग तस्वीर सामने आएगी।
उन्होंने कहा, ”इस पर ध्यान मत दीजिए कि कौन छोड़कर गया है या कौन शामिल हुआ है। अगर हम एकजुट रहेंगे और आम लोगों के प्रति प्रतिबद्ध रहेंगे तो हमें किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।” पवार ने कहा कि पार्टी के कई कार्यकर्ता जनसेवा के लिए समर्पित हैं और वे ही पार्टी की असली ताकत हैं। उन्होंने कहा, ”सत्ता की चिंता मत करो। अगर हम एकजुट रहेंगे तो सत्ता अपने आप आएगी। मैं राज्य में इस संभावना को देख सकता हूं।’’ पवार ने कहा कि दो से तीन महीने में नगर निगम चुनाव होने वाले हैं, इसलिए पार्टी नेतृत्व हर जिले में राकांपा (एसपी) के प्रतिनिधियों से बात करेगा और तय करेगा कि चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ा जाए या गठबंधन में। उन्होंने कहा, ‘‘हमें इस बात पर काम करना होगा और विचार करना होगा कि युवाओं को कैसे अवसर दिया जाए तथा यह भी देखना होगा कि हम नगर निगम और स्थानीय निकाय चुनावों में महिलाओं को कैसे मैदान में उतार सकते हैं, क्योंकि उनके लिए 50 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित है।’’ उन्होंने कहा कि राकांपा (एसपी) राज्य में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की नयी पीढ़ी तैयार करने के लिए काम करेगी। वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी राज्य में नया नेतृत्व लाकर इतिहास रचेगी। 
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