Sunday, October 5, 2025
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Prabhasakshi NewsRoom: युद्ध छेड़ने से लेकर युद्ध खत्म करने तक की समग्र क्षमता हासिल कर रहा है भारत

पिछले कुछ वर्षों में भारत ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में कई बड़े कदम उठाये हैं जिसका असर यह हुआ है कि देश के दुश्मनों के तेवर थोड़े नरम पड़े हैं। लेकिन भारत अपनी सीमाओं पर उच्च स्तर की सतर्कता बनाए हुए आज के बदलते वैश्विक परिदृश्यों को देखते हुए अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है और युद्ध छेड़ने से लेकर युद्ध रोकने तक की समग्र क्षमता हासिल करने में जुटा है। सीडीएस जनरल अनिल चौहान, सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हालिया बयानों का विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि भारतीय सैन्य बलों का तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है, तीनों सेनाओं को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किया जा रहा है लेकिन इसके साथ ही ग्राउण्ड पर भी अपनी पोजीशन की मजबूती बनाये रखने पर जोर दिया जा रहा है।
सीडीएस ने कही बड़ी बात
इस संबंध में प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि जमीनी स्तर पर सैनिकों का कोई विकल्प नहीं है क्योंकि प्रौद्योगिकी केवल क्षमता बढ़ाने वाली हो सकती है लेकिन यह लोगों की जगह नहीं ले सकती। ‘रायसीना डायलॉग’ को संबोधित करते हुए जनरल चौहान ने नये दौर के संघर्षों से निपटने के तरीकों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि पारंपरिक युद्ध के साथ-साथ अलग-अलग तरह के युद्ध से निपटने के लिए सैन्य कर्मियों को उचित प्रशिक्षण प्रदान करना देश के लिए एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे बहुसांस्कृतिक, बहुधार्मिक और बहुजातीय देश के लिए गलत सूचना और आंतरिक कलह एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
हम आपको बता दें कि जनरल चौहान ‘वर्सेज एंड वॉर्स: नेविगेटिंग हाइब्रिड थिएटर्स’ नामक सत्र को संबोधित कर रहे थे। सीडीएस ने साइबर स्पेस, दुष्प्रचार और आर्थिक दबाव को भी समकालीन युद्ध के आवश्यक तत्व बताया। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वैश्विक सुरक्षा माहौल में दो चुनौतियां हैं-एक है अनिश्चितता और दूसरी है तेज़ी से होने वाला बदलाव।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती लोगों को अलग-अलग तरह के युद्ध के साथ-साथ पारंपरिक युद्ध के लिए प्रशिक्षित करना है।’’ जनरल चौहान ने कहा कि तकनीक सिर्फ़ क्षमता बढ़ाने का काम कर सकती है, लेकिन यह लोगों की जगह नहीं ले सकती। सीडीएस ने नए दौर के युद्ध क्षेत्रों के बारे में भी बात की।
सेना प्रमुख का बयान
जहां तक सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी के हालिया बयान की बात है तो आपको बता दें कि उन्होंने कहा है कि चीन के एक प्रमुख आर्थिक और सामरिक शक्ति के रूप में उभरने से जटिलता बढ़ रही है, प्रतिस्पर्धा पैदा हो रही है और ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करने के भारत के प्रयासों में बाधा आ रही है। अपने संबोधन में सेना प्रमुख ने चीन और पाकिस्तान की बढ़ती नजदीकियों का भी परोक्ष संदर्भ दिया और कहा कि आज ‘‘उनकी मिलीभगत’’ ने ‘‘खतरा और बढ़ा दिया है’’। हम आपको याद दिला दें कि इससे पहले आठ मार्च को भी जनरल द्विवेदी ने चीन और पाकिस्तान का परोक्ष संदर्भ देते हुए कहा था कि दोनों ‘‘उच्च स्तर पर मिले हुए हैं’’, जिसे स्वीकार किया जाना चाहिए। चीन और पाकिस्तान के बीच निकटता पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा था, ‘‘जहां तक मेरा सवाल है, इसका मतलब यह है कि दो मोर्चों पर खतरा एक वास्तविकता है।’’
इसके बाद एक व्याख्यान में जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘‘देश कई तरह के प्रयासों के साथ काम कर रहा है, हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सुरक्षा के क्षेत्र में ‘किसी उभरती शक्ति द्वारा किसी मौजूदा शक्ति को हटाने के लिए युद्ध की आशंका’ में फंसना बहुत आसान है।’’ उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि जब सुरक्षा की बात आती है तो ‘‘और अधिक प्रयास करना तथा बेहतर प्रयास करना अब पर्याप्त नहीं है।’’ उन्होंने कहा ‘‘हमें चीजें अलग तरह से करने की जरूरत है और इसका मतलब है कि हमें अलग तरीके से सोचना होगा। सुरक्षा को बढ़ाने के लिए आज नए सिरे से सोचना जरूरी है।’’ जनरल द्विवेदी ने कहा, “हम समझते हैं कि सुरक्षा का मतलब युद्ध छेड़ने और युद्ध को रोकने की समग्र क्षमता है।” 
रक्षा मंत्री का भाषण
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत “बहुध्रुवीय दुनिया” में व्याप्त अनिश्चितताओं के बीच अपनी सैन्य शक्ति और सौम्य शक्ति के बीच संतुलन बनाए रख रहा है। राजनाथ सिंह ने मेजर बॉब खाथिंग की याद में नयी दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि भारत ने अपनी वैश्विक स्थिति मजबूत की है। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि भारत ने अपनी वैश्विक स्थिति को मजबूत किया है। दुनिया के सामने एक नया, सशक्त और संगठित भारत उभरा है। राजनाथ सिंह ने लोगों से राष्ट्र को हमेशा सर्वोपरि रखने, एकजुट रहने, ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने और अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए निडरता से आगे बढ़ने का आह्वान किया।
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